अभी और तीन रुपये तक सस्ता हो सकता है पेट्रोल-डीजल
नई दिल्ली, 25 मार्च (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (क्रूड ऑयल) में अभी तक आ चुकी नरमी के कारण आने वाले कुछ दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमत में 3 रुपये प्रति लीटर तक की कमी आ सकती है। जानकारों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में अगर इसी तरह अगले दो सप्ताह तक गिरावट जारी रही, तो भारत के पेट्रोल-डीजल की कीमत में 4 से 6 रुपए प्रति लीटर तक की कमी दिख सकती है। भारतीय पेट्रोलियम कंपनियों ने आज लगातार दूसरे दिन पेट्रोल और डीजल की कीमत में कटौती की है। आज पेट्रोल और डीजल की कीमत में प्रति लीटर क्रमशः 21 और 20 पैसे की कटौती की गई है।
लगातार दूसरे दिन पेट्रोल और डीजल की कीमत में हुई कटौती के आधार पर जानकारों का मानना है कि कई दिनों तक बाजार भाव स्थिर रहने के बाद अब पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत में कटौती होने का रास्ता साफ हो गया है। इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की चाल सुस्त पड़ने का सीधा फायदा भारतीय उपभोक्ताओं तक पहुंचने लगा है।
उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड और डब्लूटीआई क्रूड दोनों के भाव पिछले 15 दिनों के दौरान 15 डॉलर प्रति बैरल तक गिर गए हैं। इसमें आगे और भी नरमी बने रहने के संकेत मिल रहे हैं। श्री श्याम कमोडिटीज के मैनेजिंग डायरेक्टर शिवेंद्र बागड़िया का मानना है कि कच्चे तेल की कीमत पर कोरोना वायरस का संक्रमण सबसे ज्यादा असर डाल रहा है। खासकर यूरोपीय देशों में कोरोना के कारण हाल के दिनों में लगी पाबंदियों ने कच्चे तेल की मांग पर नकारात्मक असर डाला है। यही वजह है कि तेल निर्यातक देश (ओपेक कंट्रीज) की ओर से उत्पादन में कटौती करने के बावजूद कच्चे तेल की कीमत में लगातार नरमी का रुख बना हुआ है।
इसी तरह ब्रोकरेज फर्म सीआईएफएल के कमोडिटीज हेड प्रशांत धीर का कहना है कि कच्चे तेल में नरमी की एक वजह कोरोना के कारण लगी पाबंदियां हैं, तो दूसरी वजह अमेरिकी तेल उत्पादक देशों द्वारा कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ा देना है। अमेरिकी देश अपने डब्लूटीआई क्रूड के बल पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश में लगे हुए हैं। इसके कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में सामान्य जरूरत से ज्यादा क्रूड की उपलब्धता हो गई है। यही कारण है कि बीते कारोबारी सत्र में ही ब्रेंट क्रूड का भाव 6 सप्ताह के सबसे निचले स्तर तक पहुंच गया है।
जानकारों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव टूटने के बावजूद मध्य पूर्व के देश कच्चे तेल का उत्पादन करना पूरी तरह से रोक नहीं सकते। क्योंकि तेलकूपों और ऑयल रिग्स एक निश्चित सीमा से कम उत्पादन करने पर तुलनात्मक तौर पर अधिक खर्चीले साबित होते हैैं। यही कारण है कि मध्य पूर्व के देशों में भी न्यूनतम मात्रा में ही सही लेकिन कच्चे तेल का लगातार उत्पादन हो रहा है। अमेरिकी देशों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कमी को देखते हुए डब्लूटीआई क्रूड का उत्पादन बढ़ा दिया है। फिलहाल सामान्य दिनों की तुलना में डब्लूटीआई क्रूड का दोगुना से ज्यादा उत्पादन किया जा रहा है।
कमोडिटी मार्केट के जानकारों का कहना है कि भारत जैसे तेल का आयात करने वाले देशों के लिए क्रूड के भाव में आई नरमी हमेशा ही एक शुभ संकेत होती है, क्योंकि इससे न केवल इंपोर्ट बिल में कमी आती है बल्कि व्यापार घाटे को कम करने में भी मदद मिलती है। साथ ही भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश में पेट्रोल और डीजल की कीमत में आई नरमी देश की विशाल आबादी को राहत भी पहुंचाती है।