
नई दिल्ली, 5जून। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने अखिलेश यादव की कमान में चमत्कारिक वापसी कर राजनीतिक पंडितों को हैरान कर दिया है. उत्तर प्रदेश को लेकर किए गए सारे एक्जिट पोल्स गलत साबित हो गए.
उत्तर प्रदेश में भाजपा इस कोशिश में थी कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण कराने का उसको पूरा श्रेय मिलेगा. लेकिन, भाजपा की आशाओं पर पानी फिर गया और समाजवादी पार्टी ने शानदार प्रदर्शन किया. जमीनी स्तर पर अखिलेश की लोकप्रियता और उनकी राजनीतिक सूझबूझ काबिल-ए-तारीफ है.
चुनाव आयोग की वेबसाइट पर जारी किए आकंड़ों के मुताबिक, उप्र की 80 लोकसभा सीटों में से समाजवादी पार्टी को 37 सीटों पर जीत हासिल हुई है, जबकि उत्तर प्रदेश में सपा के सहयोग से कांग्रेस को भी छह सीटों पर जीत मिल गई. 2019 के चुनाव में कांग्रेस को महज एक सीट पर जीत मिली थी.
सपा की स्थापना के बाद लोकसभा चुनावों में यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है और इसका श्रेय अखिलेश यादव को जाता है. सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अखिलेश यादव ने न केवल अपनी पारिवारिक एकता कायम की है, बल्कि 2019 में बसपा से गठबंधन के बावजूद सिर्फ पांच सीटें जीतने वाली सपा ने अकेले (यादव) परिवार में ही पांच सीटें हासिल कर ली हैं.
वर्ष 2019 में अकेले 62 सीट पर जीत हासिल करने वाली भाजपा इस बार उप्र में 33 सीटों पर ही सिमट गयी.
सपा के प्रदर्शन से संकेत मिलता है कि राज्य की मुस्लिम आबादी का भी उसे मजबूत समर्थन मिल है, जो कुल आबादी में एक बड़ा हिस्सा है.