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अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ का ऐपल पर भारी असर, 76 अरब का पड़ेगा बोझ

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वॉशिंगटन

अमेरिकी सरकार, वहां के राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने जिस जोश में दुनियाभर के देशों पर टैरिफ लगाने का ऐलान किया, वो अब उसी पर भारी पड़ रहा है। ऐपल के सीईओ टिम कुक ने अमेरिका की ओर से लगाए गए टैरिफ और ऐपल पर इसके असर को लेकर बात की है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, उन्‍होंने बताया है कि टैरिफ के कारण कंपनी की कॉस्‍ट में 900 मिलियन डॉलर यानी करीब 76 अरब रुपये की बढ़ोतरी हो सकती है। इस बोझ से बचने के लिए कंपनी भारत में अपने प्रोडक्‍शन को बढ़ा रही है। टिम कुक ने उम्‍मीद जताई है कि आने वाले वक्‍त में सभी आईफोन, भारत में बनाए जाएंगे। ऐपल अपने बाकी प्रोडक्‍ट्स जैसे-आईपैड, मैक, ऐपल वॉच और एयरपॉड्स को वियतनाम में बनाएगी। मुख्‍यतौर पर वह चीन में अपने प्रोडक्‍शन को कम कर रही है, क्‍योंकि अमेरिका ने चाइना पर 145 फीसदी टैरिफ लगा दिया है।

तो क्‍या आईफोन महंगे हो जाएंगे
जब भी किसी कंपनी पर बोझ बढ़ता है तो वह अपने प्रोडक्‍ट्स की कीमतों में इजाफा करती है। बिजनेस मॉडल भी यही कहता है। लेकिन ऐपल अभी आईफोन्‍स की कीमतों को बढ़ाने के बारे में नहीं सोच रही। दरअसल, उसने बड़ी संख्‍या में ऐपल प्रोडक्‍ट्स जैसे-आईफोन का स्‍टॉक अमेरिका में जमा कर लिया है। टैरिफ लागू होने से पहले ही ऐपल ने हवाई जहाजों में आईफोन भरकर अमेरिका पहुंचा दिए। इससे फौरी तौर पर उसे कीमतें कंट्रोल करने में मदद मिली है।

तो कारोबार पर क्‍या असर होगा
टिम कुक ने ऐपल के कारोबार पर भी बात की। रिपोर्ट के अनुसार, उन्‍होंने कहा कि टैरिफ इसी तरह रहे और पॉलिसीज में कोई बदलाव ना हुआ तो कॉस्‍ट में 900 मिलियन डॉलर की बढ़ोतरी हो सकती है। उन्‍होंने यह भी कहा कि कंपनी को जून में खत्‍म होने वाली त‍िमाही में फायदा होने की उम्‍मीद है। इसकी वजह है कि जून में अमेरिका में बिकने वाले आईफोन्‍स मेड इन इंडिया होंगे, जो चीन टैरिफ के असर से बचे रहेंगे। चिंता इस बात की है कि ऐपल अभी कई एक्‍सेसरीज चीन में बनवाता है। ऐपल केयर और कुछ एक्‍सेसरीज पर चीन में कुल टैरिफ 145 फीसदी तक पहुंच जाएगा।

हालांकि टिम कुक ने इस बारे में कुछ नहीं बताया कि जून के बाद क्‍या होगा। मौजूदा वक्‍त में अमेरिका ने ज्‍यादातर देशों पर 20 फीसदी टैरिफ लगाया है, लेकिन चीन पर 145 फीसदी टैरिफ लागू किया है। बाकी देशों को राहत के आसार भी हैं, लेकिन चीन को राहत देने के मूड में डोनाल्‍ड ट्रंप कतई नहीं हैं। इसीलिए ऐपल समेत तमाम कंपनियों को अपनी रणनीति में बदलाव करना पड़ा है।