Online News Portal for Daily Hindi News and Updates with weekly E-paper

खेती की जैविक पद्धति को बढ़ावा देने के प्रयास चल रहे, क्लस्टर स्थापित करके यह सुनिश्चित किया जा रहा

28
Tour And Travels

भोपाल

प्रदेश में जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जा रहा है। जैविक एवं प्राकृतिक खेती में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग नहीं किया जाता है। खेती की इस पद्धति को बढ़ावा देने के प्रयास चल रहे हैं। जैविक एवं प्राकृतिक खेती के लिए क्लस्टर स्थापित करके यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि मध्यप्रदेश जैविक खेती में अग्रणी रहे। केन्द्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुरूप जैविक एवं प्राकृतिक खेती के क्षेत्रफल को बढ़ावा देने के प्रयास किये जा रहे हैं।

प्रदेश में रेशम उत्पादन एवं मधुमक्खी पालन का भी कार्य किया जा रहा है। कृषकों को जैविक खेती अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश में जैविक खेती का क्षेत्रफल देश में सबसे अधिक है। मंडला, डिण्डोरी, बालाघाट, छिंदवाड़ा, बैतूल, कटनी, उमरिया, अनूपपुर जिले में जैविक खेती प्रमुखता से की जा रही है।

राज्य सरकार ने जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिये सहकारिता विभाग को कृषि एवं उद्यानिकी के साथ सम्बद्ध किया है। प्रदेश में प्राकृतिक खेती बोर्ड का गठन किया गया है। बोर्ड द्वारा प्राकृतिक खेती पर काम किया जा रहा है।

किसानों की समृद्धि के लिए उठाए जा रहे हैं ठोस कदम

अगले पाँच वर्षों में कृषि निर्यात को दोगुना किया जायेगा। अगले पाँच वर्षों में राज्य सरकार द्वारा एमएसपी पर सोयाबीन की खरीदी को और अधिक बढ़ाया जायेगा। उज्जैन में चना अनुसंधान संस्थान की स्थापना, दाल की प्रोसेसिंग एवं वेल्यू चेन को बढ़ावा दिया जायेगा, डिण्डोरी में श्रीअन्न अनुसंधान संस्थान की स्थापना, ग्वालियर में सरसों अनुसंधान संस्थान की स्थापना, प्रदेश में श्रीअन्न प्रमोशन एजेंसी के माध्यम से प्रचार-प्रचार, प्रदेश में 10 सोयाबीन विशिष्ट एफपीओ का गठन किया जा रहा है। मिशन दाल के अंतर्गत अगले 5 वर्षों में दाल का उत्पादन बढ़ाया जायेगा, प्रदेश में भारत सरकार द्वारा नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल संचालित की जा रही है।