Online News Portal for Daily Hindi News and Updates with weekly E-paper

“हरित अर्थव्यवस्था” भारत के भविष्य के विकास में एक नये क्षेत्र के रूप में अपनी भूमिका निभाएगी: डॉ. जितेंद्र सिंह

184
Tour And Travels

नई दिल्ली,4 अक्टूबर। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) तथा पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह “ग्रीन रिबन चैंपियंस” कॉन्क्लेव के दौरान एक विशेष साक्षात्कार में कहा, “हरित अर्थव्यवस्था” भारत के भविष्य के विकास में एक नये क्षेत्र के रूप में अपनी भूमिका निभाएगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, “स्टार्टअप और अनुसंधान एवं विकास में उद्योग की हिस्सेदारी प्रारंभ से ही होनी चाहिए।”

उन्होंने कहा, “बड़े स्तर पर औद्योगिक जिम्मेदारी और उद्योग की भागीदारी के साथ हरित वित्तपोषण की शुरुआत से ही आवश्यकता है, क्योंकि मेरा यह मानना है कि अन्यथा आप एक निश्चित बिंदु से आगे नहीं बढ़ सकते।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जैव अर्थव्यवस्था आने वाले समय में आजीविका का एक बेहद आकर्षक स्रोत बनने जा रही है।

उन्होंने कहा, “2014 में, भारत की जैव-अर्थव्यवस्था लगभग 10 बिलियन डॉलर थी, आज यह 80 बिलियन डॉलर है। केवल 8-9 वर्षों में यह 8 गुना बढ़ गयी है और हम 2025 तक इसके 125 बिलियन डॉलर होने की आशा करते हैं।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा घोषित अनुसंधान राष्ट्रीय शोध संस्‍थान (एनआरएफ) के पास बड़े पैमाने पर गैर-सरकारी संसाधन होंगे। उन्होंने कहा, इसके परिणामस्वरूप, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच का अंतर कम हो जाएगा और दोनों क्षेत्रों के बीच भविष्य के विकास के लिए अधिक तालमेल स्थापित होगा।

उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय शोध संस्थान एक थिंक टैंक के रूप में भी काम करेगा, इसे उन विषयों को भी तय करने का अधिकार होगा, जिन पर परियोजनाओं को शुरू किया जाना है और आवश्यकताओं या भविष्य के दृष्टिकोण/अनुमानों के आधार पर वित्त पोषित किया जाना है। संस्थान अंतरराष्ट्रीय सहयोग के संबंध में भी निर्णय लेगा।” उन्होंने आगे कहा, “एनआरएफ के पास अधिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण होगा, ताकि नवाचार समय के साथ खो न जाएं।”

अनुसंधान एनआरएफ अधिनियम हाल ही के मॉनसून सत्र में संसद द्वारा पारित किया गया है, जिसके लिए पांच वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया गया है। एनआरएफ भारत के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, अनुसंधान संस्थानों और अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशालाओं में अनुसंधान और नवाचार की संस्कृति को बढ़ावा देगा तथा भारत में स्वच्छ ऊर्जा अनुसंधान और मिशन इनोवेशन को प्रोत्साहन प्रदान करेगा। संस्थान को लगभग 70 प्रतिशत वित्त पोषण गैर-सरकारी स्रोतों से प्राप्त होगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, पीएम मोदी के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है- राष्ट्रीय शिक्षा नीति, एनईपी-2020। यह छात्रों को उनकी योग्यता के आधार पर उच्च शिक्षा में इंजीनियरिंग से मानविकी और मानविकी से इंजीनियरिंग में शिक्षा ग्रहण करने की अनुमति देगा।

उन्होंने कहा, “इसका हमारे जीवन के हर क्षेत्र पर, यहां तक कि हमारे मानसिक कल्याण पर भी प्रभाव पड़ेगा। जैसा मैंने कहा, नागरिक या युवा अपना सारा जीवन ‘अपनी आकांक्षाओं के बंदी’ के रूप में नहीं जीएंगे, जिसका प्रोत्साहन वास्तव में उनके माता-पिता करते हैं।”

एकाधिक प्रवेश/निकास विकल्प के प्रावधान के साथ, एनईपी-2020 का एक उद्देश्य डिग्री को शिक्षा से अलग करना है। अलग-अलग समय पर विभिन्न कैरियर अवसरों का लाभ उठाने से जुड़े शैक्षणिक लचीलेपन का छात्रों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, जो उनकी शिक्षा प्राप्ति और अंतर्निहित योग्यता पर आधारित होगा।