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पंजाब के स्कूलों में समय से पहले हो सकती हैं गर्मी की छुट्टियां, तापमान 42 डिग्री सैल्सियस को पार कर चुका है

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लुधियाना
अभी मई महीने की शुरुआत में दो दिन बाकी हैं लेकिन गर्मी ने अभी से ही पूरे शबाब पर आकर कहर बरपाना शुरू कर दिया है। तापमान 42 डिग्री सैल्सियस को पार कर चुका है और लू के थपेड़ों ने आम जनजीवन प्रभावित कर दिया है। इस समय सबसे अधिक दिक्कत का सामना स्कूल जाने वाले छोटे बच्चों को करना पड़ रहा है जिनकी दिनचर्या पर भीषण गर्मी ने बुरा असर डाला है। चिलचिलाती धूप में 41 डिग्री तापमान के बीच लू की मार सहते हुए जब बच्चे छुट्टी के समय घर पहुंच रहे हैं तो इनको देख हर किसी का दिल पसीज रहा है। अभिभावकों ने सरकार और शिक्षा विभाग से मांग की है कि बच्चों के स्वास्थ्य को देखते हुए स्कूलों में फौरन गर्मी की छुट्टियां घोषित की जाएं। कई अभिभावकों ने सुझाव दिया है कि यदि तत्काल छुट्टियां नहीं दी जा सकतीं तो स्कूलों का समय बदला जाए और सुबह जल्दी स्कूल लगाकर जल्दी छुट्टी कर दी जाए ताकि बच्चे तेज धूप और लू से बच सकें।

तपती सुबह और प्रचंड दोपहर
सुबह के समय से ही तापमान 33 डिग्री से ऊपर चला जाता है। नन्हें बच्चे भारी स्कूल बैग उठाकर तपती धूप में स्कूल के लिए निकलते हैं। दोपहर 12 बजे के बाद गर्मी का प्रकोप इतना बढ़ जाता है कि तेज धूप और गर्म हवाएं बच्चों को बुरी तरह प्रभावित करती हैं। छुट्टी के समय जब बच्चे स्कूल से निकलते हैं, तब सूरज पूरी लय में होता है और लू चलती है। ऐसे में कई बच्चों के सिर दर्द, कमजोरी, चक्कर आना और उल्टी जैसी समस्याएं सामने आ रही हैं। हीट स्ट्रोक का खतरा भी बच्चों में तेजी से बढ़ रहा है। अधिकांश स्कूलों में पर्याप्त छायादार क्षेत्र नहीं होने के कारण छुट्टी के समय बसों और वैनों तक पहुंचने में बच्चों को सीधे धूप का सामना करना पड़ता है जिससे उनका स्वास्थ्य और अधिक प्रभावित होता है।

स्कूलों में व्यवस्था नाकाफी, ग्रामीण इलाकों में हालात बदतर
हालांकि कुछ निजी स्कूलों ने अपने क्लासरूम्स में ए.सी. की व्यवस्था की है लेकिन हर स्कूल ऐसा नहीं कर पा रहा। अधिकांश सरकारी और ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में गर्मी से निपटने के लिए कोई विशेष प्रबंध नहीं किए गए हैं। ग्रामीण इलाकों में बिजली की कटौती आम समस्या है। दोपहर के समय जब गर्मी चरम पर होती है, तब बिजली न होने की वजह से क्लास के पंखे भी नहीं चलते। कई स्कूलों में न तो जैनरेटर है और न ही शीतल पेयजल की समुचित व्यवस्था। बच्चों को पानी पीने के लिए लंबी कतारों में लगना पड़ता है और कई बार पर्याप्त पानी भी उपलब्ध नहीं होता। इस स्थिति ने खासकर छोटे बच्चों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डाला है और कई मामलों में अभिभावकों ने बच्चों के बीमार पड़ने की शिकायतें भी की हैं।

दूर-दराज के विद्यार्थियों को सबसे अधिक मुश्किल
जिन छात्रों को रोजाना गांवों और शहर के स्कूलों तक आना-जाना पड़ता है, उनकी मुश्किलें कई गुना बढ़ गई हैं। कई बच्चे एक-डेढ़ घंटे तक धूप में सफर करते हैं। सुबह स्कूल जाते समय ही पसीना बहने लगता है और दोपहर में वापसी पर गर्म हवाओं का प्रचंड सामना करना पड़ता है। लगातार धूप और लू की चपेट में रहने के कारण डिहाइड्रेशन, थकावट और शरीर में पानी की कमी जैसी गंभीर समस्याएं देखी जा रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, लगातार गर्मी में सफर करने से बच्चों के शरीर का तापमान असंतुलित हो सकता है, जिससे हीट स्ट्रोक या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
 
पिछला अनुभव : 21 मई से हुई थीं छुट्टियां
गर्मी की विकरालता को देखते हुए पिछले वर्ष पंजाब सरकार ने 21 मई से ही स्कूलों में ग्रीष्मावकाश घोषित कर दिया था, जबकि सामान्यत: हर साल 1 से 30 जून तक गर्मी की छुट्टियां शुरू होती थीं। इस वर्ष भी तापमान पिछले वर्षों से अधिक तेजी से बढ़ रहा है, जिससे अभिभावकों को उम्मीद है कि इस बार भी जल्द निर्णय लिया जाएगा।

डॉक्टरों की सलाह
डॉ. राजेश गौतम (बाल रोग विशेषज्ञ) कहते हैं कि गर्मी में बच्चों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। हीट स्ट्रोक से बचाने के लिए बच्चों को बाहर जाते समय हल्के रंग के सूती कपड़े पहनाएं। टोपी या छाता दें और नियमित अंतराल पर पानी पिलाते रहें। लू से बचने के लिए बच्चों को दोपहर 12 से 4 बजे के बीच बाहर जाने से बचाना चाहिए। यदि कोई बच्चा अत्यधिक पसीना बहा रहा है चक्कर आ रहे हैं या शरीर गरम हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।