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केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होगा CAA, तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रीयों ने किया रुख साफ

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नई दिल्ली, 15 मार्च। लोकसभा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा से कुछ दिन पहले 11 मार्च को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के नियमों को अधिसूचित किया. लेकिन यह पूरे देश में लागू होगा या नहीं इसपर अभी तक कुछ साफ नहीं है. केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि उनके राज्य में सीएए लागू नहीं किया जाएगा. जानिए किस वे क्या तर्क दिया.

केरल
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने भी पहले घोषणा की थी कि राज्य इस अधिनियम को लागू नहीं करेगा. विजयन ने कहा, “एलडीएफ सरकार ने यह पुष्टि करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि केरल नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू नहीं करेगा. केरल सीएए के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाला पहला राज्य है. राज्य जल्द ही आगे की कानूनी कार्रवाई शुरू करेगा.”

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के राज्यसभा सांसद और सीपीआई केरल राज्य सचिव बिनॉय विश्वम ने गुरुवार को सीएए के कार्यान्वयन को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. उन्होंने कहा, “सीएए के प्रावधान हमारे संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ हैं और हमने इस खतरनाक कानून के कार्यान्वयन को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जो भारतीय समाज के समावेशी ताने-बाने के खिलाफ है.”

पश्चिम बंगाल
तृणमूल कांग्रेस नेता शशि पांजा ने पांजा ने दावा किया कि सीएए पश्चिम बंगाल में ‘काम’ नहीं करेगा, उन्होंने कहा कि राज्य में रहने वाला हर व्यक्ति नागरिक है. सीएए और नागरिकता से जुड़ी कोई भी चीज़ पश्चिम बंगाल में काम नहीं करेगी. पश्चिम बंगाल में रहने वाला हर कोई नागरिक है. चुनाव से पहले देश जिन समस्याओं का सामना कर रहा है, केंद्र के पास उनका समाधान नहीं है. इसलिए, वे सीएए के साथ खेल रहे हैं. टीएमसी नेता ने कहा, केरल ने हमारा समर्थन किया क्योंकि वे भी समझते हैं कि उनके राज्य में रहने वाला हर कोई इस देश का नागरिक है.

राज्य में CAA लागू करने की अनुमति नहीं
इससे पहले 13 मार्च को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि केंद्र को राज्य में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर और नागरिकता संशोधन अधिनियम लागू करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

ममता ने आरोप लगाया कि यह आम चुनाव से पहले सिर्फ एक नौटंकी है और जैसे ही कोई सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करेगा, वह व्यक्ति ‘अवैध प्रवासी’ की श्रेणी में आ जाएगा. इस अधिनियम को संविधान विरोधी बताते हुए सीएम ने कहा कि यह मुसलमानों के साथ दोयम दर्जे का नागरिक जैसा व्यवहार करेगा. उन्होंने कहा, “मैं इसे पहले ही 3-4 बार कह चुकी हूं. हमारा रुख बिल्कुल स्पष्ट है. उनके दिमाग में एनआरसी है. हम दोनों (एनआरसी और सीएए) नहीं होने देंगे.

तमिलनाडु
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी घोषणा की कि राज्य में सीएए लागू नहीं किया जाएगा.

भारतीय नागरिकता प्रदान
नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पेश किए गए और 2019 में संसद द्वारा पारित सीएए नियमों का उद्देश्य बांग्लादेश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान से आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों सहित सताए गए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत पहुंचे, उन्हें भारतीय नागरिकता प्रदान करना है.

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