Online News Portal for Daily Hindi News and Updates with weekly E-paper

भारत की चावल उपलब्धता की स्थिति आरामदायक

4 59

टूटे चावल की “निषिद्ध” स्थिति घरेलू खाद्य सुरक्षा और चारे की उपलब्धता सुनिश्चित करती है

चावल की घरेलू कीमत जांच के तहत

हल्‍के उबले चावल और बासमती चावल की निर्यात नीति में कोई बदलाव नहीं

टूटे चावल की निर्यात नीति में “मुक्त” से निषिद्ध संशोधन के साथ, भारत सरकार ने मुद्रास्फीति और चावल की घरेलू कीमत पर नियंत्रण रखते हुए सफलतापूर्वक घरेलू खाद्य सुरक्षा, मुर्गियों और मवेशियों के लिए घरेलू चारे की उपलब्धता सुनिश्चित की है।

टूटे चावल की निर्यात नीति में संशोधन किया गया है ताकि घरेलू मुर्गी पालन उद्योग और अन्य पशुओं के चारे की खपत के लिए टूटे चावल की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके और ईबीपी (इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम) कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन के लिए इथेनॉल का उत्पादन किया जा सके।

विभिन्न कारणों से नीति में संशोधन की आवश्यकता पड़ी।

टूटे चावल की घरेलू कीमत, जो खुले बाजार में 16 रुपये प्रति किलोग्राम थी, ऊंची अंतर्राष्‍ट्रीय कीमतों के कारण और निर्यात की वजह से राज्यों में बढ़कर लगभग 22 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। पशु खाद्य सामग्री की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण मुर्गी पालन क्षेत्र और पशुपालक किसान सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं क्योंकि मुर्गियों के चारे की लगभग 60-65 प्रतिशत उत्‍पाद की लागत टूटे चावल से आती है और कीमतों में किसी भी प्रकार की वृद्धि दूध, अंडा, मांस आदि जैसे पोल्ट्री उत्पादों की कीमत में दिखाई देती है जिससे खाद्य मुद्रास्फीति बढ़ती है।

भू-राजनीतिक परिदृश्य के कारण टूटे चावल की वैश्विक मांग में वृद्धि हुई है, जिसने पशु आहार से संबंधित उपयोगी वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव को प्रभावित किया है। टूटे चावल के निर्यात में पिछले 4 वर्षों में 43 गुना से अधिक (2018-19 में इसी अवधि में 0.41 एलएमटी की तुलना में अप्रैल-अगस्त, 2022 में 21.31 एलएमटी निर्यात) की वृद्धि हुई।

टूटे चावल का निर्यात हिस्सा वर्ष 2019 की इसी अवधि के 1.34 प्रतिशत की तुलना में उल्‍लेखनीय ढंग से 22.78 प्रतिशत तक बढ़ गया। वर्ष 2018-19 (वित्त वर्ष) से ​​2021-22 (वित्त वर्ष) तक टूटे चावल के कुल निर्यात में 319 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

कुछ देशों (जिन्होंने कभी भारत से टूटे हुए चावल का आयात नहीं किया) ने भारतीय उपभोक्ताओं की कीमत पर स्थिति का फायदा उठाने के लिए भारतीय बाजार में प्रवेश किया है।

सरकार ने हल्‍के उबले चावल (एचएस कोड = 1006 30 10) और बासमती चावल (एचएस कोड = 1006 30 20) से संबंधित नीति में कोई बदलाव नहीं किया है।

भारत से कुल चावल निर्यात का लगभग 55 प्रतिशत हिस्सा हल्‍के उबले चावल और बासमती चावल का है। इसलिए, किसानों को अच्छे लाभकारी मूल्य मिलते रहेंगे और आश्रित/कमजोर देशों के पास हल्‍के उबले हुए चावल की पर्याप्त उपलब्धता होगी क्योंकि वैश्विक चावल निर्यात में भारत का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

घरेलू उत्पादन में, 60-70 एलएमटी अनुमानित उत्पादन हानि का अनुमान लगाया गया था। अब, 40-50 एलएमटी की उत्पादन हानि की उम्मीद है और उत्पादन इस वर्ष अधिक होने की उम्मीद नहीं है, लेकिन पिछले वर्ष के बराबर है।

विशेष रूप से, 217.31 एलएमटी चावल सरकारी बफर स्टॉक में है जो बफर स्टॉक मानदंड से अधिक है। आगामी खरीफ मौसम में, 510 एलएमटी और रबी मौसम में 100 एलएमटी चावल की खरीद की जाएगी। देश में रखा गया बफर स्टॉक सार्वजनिक वितरण प्रणाली की मांग को पूरा करने के लिए जरूरत से ज्‍यादा है। टूटे चावल के निर्यात पर रोक लगाने और बासमती तथा हल्‍के उबले चावल के निर्यात पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाने के सरकार के हस्तक्षेप से स्थिति पर काबू पाने में मदद मिलेगी।

भारत वैश्विक चावल व्यापार में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रखता है, वित्‍त वर्ष 2021-22 में उसने 21.23 एमएमटी चावल का निर्यात किया जबकि पिछले वर्ष 17.78 एमएमटी निर्यात किया गया था। वर्तमान भू-राजनीतिक स्थिति के कारण, चावल की अंतरराष्ट्रीय कीमत आकर्षक थी जिससे गत वर्ष की तुलना में चावल का उच्च निर्यात हुआ।

चावल के अधिशेष स्टॉक के कारण, चावल की घरेलू कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार और पड़ोसी देशों की तुलना में नियंत्रण में होगी जहां कीमत तुलनात्मक रूप से अधिक है। पिछले वर्ष धान के एमएसपी में प्रतिशत वृद्धि 5.15 प्रतिशत (2022-23 में 2040 रुपये/क्विंटल 2021-22 में 1940 रुपये प्रति क्विंटल) थी। एमएसपी और अन्य इनपुट लागतों में वृद्धि के कारण चावल की कीमत में वास्तविक वृद्धि लगभग 3 प्रतिशत है। चावल की घरेलू कीमत आरामदायक स्थिति में है और कीमतें अच्छी तरह से नियंत्रण में रहेंगी।

चावल और गेहूं की अखिल भारतीय घरेलू थोक कीमतों में सप्ताह के दौरान क्रमशः 0.08 प्रतिशत और 0.43 प्रतिशत की कमी आई। चीनी के खुदरा मूल्य में सप्ताह के दौरान 0.19 प्रतिशत की कमी दिखाई दे रही है।

पिछले तीन वर्षों के उत्पादन, निर्यात और एमएसपी को दर्शाने वाली एक तालिका नीचे दी गई है;

 

चावल परिदृश्य
वर्ष उत्‍पादन (एमएमटी) निर्यात (एमएमटी) धान एमएसपी (रु./क्विंटल)
2020-21 124.37 17.78 1868
2021-22 130.29 21.2 1940
2022-23 (खरीफ) 104.99* 9.35** 2040

* डीए एंड एफडब्ल्यू द्वारा 21.09.2022 को 2022-23 के लिए जारी खाद्यान्न उत्पादन के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार

** अप्रैल, 2022 से अगस्त, 2022

4 Comments
  1. This article will help the internet people for setting up new web site or even a weblog from start to
    end.

  2. Aw, this was a very good post. Taking a few minutes and actual effort
    to create a really good article… but what can I
    say… I hesitate a whole lot and don’t seem to get
    anything done.

  3. acheter colchicine en suisse says

    Hello, i think that i saw you visited my site so i came to “return the favor”.I am
    attempting to find things to improve my website!I suppose its ok to use some of your ideas!!

  4. Wonderful blog! I found it while surfing around on Yahoo News.
    Do you have any tips on how to get listed in Yahoo News?
    I’ve been trying for a while but I never seem to get there!
    Appreciate it

Leave A Reply

Your email address will not be published.