बॉलीवुड के बैडमैन गुलशन ग्रोवर आज 68 साल के हो चुके हैं। गुलशन 4 दशक से फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिव हैं। पेरेंट्स चाहते थे कि वो बैंक में काम करें लेकिन एक्टिंग का रुझान उन्हें फिल्मों तक ले आया। बॉलीवुड से निकल कर उन्होंने हाॅलीवुड तक का सफर तय किया।
करीब 400 फिल्मों का हिस्सा रहे गुलशन के लिए इस मुकाम तक पहुंचना मुश्किलों से भरा रहा। खुद की स्कूल फीस भरने के लिए उन्होंने कभी डिटर्जेंट पाउडर तो कभी फिनाइल की गोलियां बेचीं। कई दिन बिना खाए भी सोए।
मुंबई में जब फिल्म में काम नहीं मिला तो गोविंदा, संजय दत्त जैसे सेलेब्स को एक्टिंग के गुण सिखाने लगे। करियर की शुरुआत उन्होंने हीरो जैसे रोल से की लेकिन बाद में विलेन जैसे रोल से छाए। यही रोल उनके लिए कभी-कभार मुसीबत भी बना। फिल्म में शाहरुख को मारने पर एक महिला अधिकारी ने उन्हें वीजा देने से मना कर दिया था।
गुलशन ग्रोवर का जन्म 21 सितंबर 1955 को दिल्ली के सटे एक इलाके में हुआ था। पिता रावलपिंडी के रहने वाले थे। वहां पर उनका कपड़ों का बिजनेस था। देश के विभाजन के बाद उनका परिवार दिल्ली में आकर बस गया। इस विभाजन का बुरा असर पिता के बिजनेस पर भी पड़ा, माली हालत खराब हो गई।
गुलशन 5 बहनों और 2 भाइयों में से एक थे। परिवार में लोग ज्यादा थे और पिता की कमाई सीमित, जिस कारण आर्थिक परेशानियां रहती थीं। कई दिन ऐसे भी बीते कि सभी को भूखे पेट भी सोना पड़ा। इसके बावजूद पिता का सपना था कि सभी बच्चे पढ़-लिखकर कामयाब हो जाएं। गुलशन समेत सभी बच्चे पिता की इस इच्छा का सम्मान करते हुए मन लगाकर पढ़ाई करते रहे।
बहनों के टीवी देखने पर लगाते थे पाबंदी
पिता के तरह ही गुलशन भी अपनी बहनों की पढ़ाई पर बहुत ध्यान देते थे। वो चाहते थे कि सभी बहनें सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ही ध्यान दें। इस मामले में वो इतने सख्त थे कि बहनों को टीवी भी नहीं देखने देते थे। ऐसे में बहनों ने एक उपाय सोचा।
जब गुलशन घर से बाहर निकलते थे, तो एक बहन दरवाजे पर पहरा देती और बाकी कमरे में बैठे टीवी देखतीं। जैसे ही गुलशन का आना होता, टीवी बंद कर सभी बहनें किताब खोल पढ़ाई करने का दिखावा करने लगतीं। कई इंटरव्यू में उन्होंने इस बात का जिक्र किया है कि वो अपनी बहनों के बहुत क्लोज रहे हैं। हर कोई एक दूसरे के दुख-सुख में सहारा बना है।
फीस के लिए कभी डिटर्जेंट पाउडर तो कभी फिनाइल की गोलियां बेचीं
आर्थिक हालत ठीक नहीं थी। इस कारण सभी बच्चों को पढ़ाना पिता के लिए मुश्किल था। गुलशन भी पिता की इस परेशानी को बखूबी समझते थे। उनका स्कूल दोपहर का था। वो सुबह बैग में स्कूल यूनिफॉर्म रख घर से निकल जाते थे।
स्कूल जाने से पहले वो बड़ी-बड़ी कोठियों पर बर्तन और कपड़े धोने वाले डिटर्जेंट पाउडर, फिनाइल की गोलियां बेचा करते थे। इस काम से कमाए हुए पैसों से वो स्कूल की फीस का खर्चा निकालते। दोपहर तक ये काम करने के बाद वो स्कूल चले जाते। कम उम्र में इतनी मेहनत करने पर वो कभी घबराए नहीं बल्कि परिवार के सपोर्ट से आगे बढ़ते गए।
रामलीला से शुरू किया एक्टिंग का सफर
जब गुलशन 3-4वीं क्लास में थे, तभी से उन्होंने रामलीला में पार्टिसिपेट करना शुरू कर दिया था। रामलीला के डायलॉग उनके पिता ही लिखा करते थे। यहीं से गुलशन का रुझान एक्टिंग की तरफ हो गया। हालांकि, शुरुआत में उन्होंने इसे करियर ऑप्शन के तौर पर नहीं चुना था।
उन्होंने सिर्फ अपनी पढ़ाई पर फोकस किया लेकिन खुशी के लिए वो रामलीला करते रहे। उन्होंने श्रीराम कॉलेज ऑफ काॅमर्स से पढ़ाई की। शौक के तौर पर यहां पर भी उन्होंने एक्टिंग जारी रखी। वक्त के साथ लोग उनके एक्ट को पसंद करने लगे। पूरी दिल्ली यूनिवर्सिटी में उनका नाम हो गया। कुछ समय बाद वो लिटिल थिएटर ग्रुप से जुड़ गए। लोगों का प्यार और सराहना देख उन्होंने इसी में करियर बनाने के बारे में सोचा।
हालांकि ऐसा करना उनके लिए आसान नहीं था। परिवार की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर थी। पेरेंट्स को भी उम्मीद थी कि वो पढ़ाई पूरी कर बैंक में नौकरी कर लें और परिवार के साथ रहें। मगर गुलशन एक बार रिस्क लेना चाहते थे। उन्होंने पेरेंट्स से कहा कि वो 6 महीने एक्टिंग फील्ड में ट्राई करेंगे। इस दौरान अगर बात बन जाती हैं तो ठीक, वरना हो काॅमर्स से जुड़े फील्ड में नौकरी के लिए ट्राई करेंगे। परिवार का भी इस फैसले पर पूरा सपोर्ट मिला।
संजय दत्त और सनी देओल के एक्टिंग गुरु बने
पढ़ाई पूरी करने के बाद गुलशन ने मुंबई का रुख किया। दूरदर्शन के शो ‘कोशिश से कामयाबी तक’ में उन्होंने बताया था, मैं ये सोच कर मुंबई गया था कि वहां पर सिर्फ फोटोग्राफ्स दिखाने से ही फिल्मों में काम आसानी से मिल जाएगा। हालांकि, ऐसा बिल्कुल नहीं था। बहुत पापड़ बेलने पड़े।
मुंबई आने के बाद गुलशन ने बहुत स्ट्रगल किया। उसके बावजूद उन्हें काम नहीं मिला। तंगी ने भी उन्हें इस सफर में परेशान किया। कई दिन तक भूखे भी सोना पड़ा। उन्हें एहसास हो गया कि फिल्मी ब्रेक के लिए फॉर्मल ट्रेनिंग की जरूरत है।
ये वो समय था जब रोशन तनेजा ने रोशन तनेजा स्कूल ऑफ एक्टिंग की शुरुआत की थी। एक्टिंग सीखने के लिए गुलशन ने भी यहां पर एडमिशन ले लिया। बैच में उनके साथ अनिल कपूर, मजहर खान और मदन जैन थे। यहां पर एक्टिंग सीखने के बाद वो इसी स्कूल में पढ़ाने भी लगे।
यहां पर उन्होंने संजय दत्त, टीना मुनीम, कुमार गौरव और सनी देओल को एक्टिंग सिखाई थी। यहां पर उन्हें पहली फीस 4000 रुपए मिली थी।
विलेन बन लूटी महफिल
पहली फिल्म में गुलशन की इमेज काफी साफ सुथरी थी। वहीं जब उन्होंने राॅकी जैसी फिल्में कीं, उनका नजरिया ही बदल गया। उनका सपना था हीरो बनने का था लेकिन काम करने के दौरान उन्होंने मन बना लिया कि वो बतौर विलेन करियर में आगे बढ़ेंगे।
उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया था- कई रिपोर्ट्स दावा करती हैं कि मैं बतौर हीरो नहीं चला तो विलेन बन गया। हालांकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। प्रेम नाथ, प्राण साहब, अमरीश पुरी को देख मैंने बहुत सीखा। उन्हीं को देख मैंने विलेन के तौर पर अपनी अलग पहचान और स्टाइल बनाने की कोशिश की। दर्शकों ने भी मुझे इस रोल में बहुत पसंद किया और मैं आगे बढ़ता गया।
हाॅलीवुड का शुरुआती सफर संघर्ष से भरा रहा
गुलशन ग्रोवर ने हाॅलीवुड का सफर तय किया है लेकिन एक ऐसा भी वक्त था कि कोई भी उन्हें हॉलीवुड की फिल्म में कास्ट नहीं करना चाहता था। बॉलीवुड में अपनी जगह बनाने के बाद गुलशन हाॅलीवुड का सफर तय करना चाहते थे। इसके लिए वो हाॅलीवुड जाकर वहां के लोगों से मिलने लगे।
दूरदर्शन को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया था, जब मैं वहां जाने लगा तो पता चला कि हाॅलीवुड के फिल्ममेकर्स बॉलीवुड के कमर्शियल स्टार्स पर बिल्कुल भरोसा नहीं करते थे। उनका मानना था कि हम लोग काम को जिम्मेदारी से पूरा नहीं करते। एक्टिंग में भी रियल टच नहीं बल्कि फिक्शनल टच ज्यादा होता है। मैंने इतने साल तक बॉलीवुड में काम किया था लेकिन वो लोग मुझे भी नहीं पहचानते थे।
फिर मैंने उन्हें बॉलीवुड की इनसाइड स्टोरी दिखाई। उन्हें बताया कि हमारी फिल्मों का जाॅनर ही ऐसा है कि चीजें फिक्शनल लगती हैं। दर्शकों की पसंद पर ही ऐसा कटेंट बनता है। इसी दौरान एक डायरेक्टर से मेरी मुलाकात हुई। मेरे लुक्स से वो काफी इंप्रेस हुए, एक फिल्म भी ऑफर की। मगर इसके बदले में उन्होंने कहा कि मैं हमेशा के लिए हाॅलीवुड में काम करने लगूं। ऐसा करने से मैंने मना कर दिया। मैंने उनके तर्क देते हुए कहा कि इंडिया के एक्टर्स को छोड़ दूसरे देश के स्टार्स यहां सिर्फ शूटिंग करने आते हैं और फिर अपने देश वापस चले जाते हैं। अगर मुझे फिल्म करना है तो भला मैं क्यों अपना देश और अपनी इंडस्ट्री छोड़ू। काफी समय लगा लेकिन वहां के प्रोड्यूसर और डायरेक्टर को मेरी बातों पर भरोसा हो गया।
जेम्स बॉन्ड की फिल्म से निकाले गए, फिर जंगल बुक में दिखे
गुलशन को जेम्स बॉन्ड की फिल्म कसिनो रोयाल में विलेन के रोल में कास्ट किया गया था। शूटिंग की डेट भी फाइनल हो गई थी। फिल्म से जुड़े सभी काम कर वो कुछ दिनों के लिए इंडिया चले गए क्योंकि वापस आकर वो लंबे समय के लिए शूटिंग में बिजी हो जाते।
तभी उनके पास काॅल आया कि उन्हें इस फिल्म से निकाल दिया गया। तर्क ये दिया गया कि जिन्होंने फिल्म में पैसा लगाया है, उन्हें गुलशन पर भरोसा नहीं है। बाद में इस रोल में मैड्स मिककेल्सन को कास्ट किया गया था।
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