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लालू यादव के मुस्लिम आरक्षण वाले बयान पर भड़के जदयू नेता, बोले- अफसोस है

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नई दिल्ली, 9मई। लोकसभा चुनाव को लेकर देश की राजनीति में मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा गरमाया हुआ है. इसमें मुद्दे की तपिश तब और बढ़ गई जब लालू प्रसाद यादव ने भी मुसलमानों को पूरा आरक्षण देने की वकालत कर दी. लालू यादव ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि “आरक्षण तो मिलना चाहिए मुसलमानों को, पूरा.”. अब इस मुद्दे को लेकर भाजपा लगातार INDIA अलायंस पर पिछड़ों के आरक्षण को मुसलमानों में बांटने का आरोप लगा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी लगातार कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन पर निशाना साध रहे हैं. अब इस मामले में जदयू के बड़े नेता केसी त्यागी ने भी अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लालू यादव को कठघरे में खड़ा किया है. केसी त्यागी ने क्या कहा है आगे पढ़िये.

केसी त्यागी ने कहा कि 7 अगस्त 1990 में वी पी सिंह के नेतृत्व में मंडल कमीशन की अनुशंसाएं लागू हुईं. इतिहास गवाह है जब उनके विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव आया तो कांग्रेस पार्टी के नेता स्वर्गीय राजीव गांधी जी ने लंबा भाषण देकर के जाति के आधार पर आरक्षण का विरोध किया था. के सी त्यागी ने कहा कि लालू यादव के बयान की जितनी भी निंदा की जाए उतनी कम है. लालू जी को जानकारी होनी चाहिए शायद होगी कि 82 परसेंट के आसपास जो बैकवर्ड मुस्लिम हैं वह मंडल कमीशन के बाद आरक्षण के दायरे में आते हैं. उसी तर्ज पर जिस तर्ज पर हिंदुओं के पिछड़े मंडल कमीशन में आते हैं. मुस्लिमों का जो आरक्षण का कोटा है पिछड़ी जातियों का वो पूरा हो जाता है.

केसी त्यागी ने आगे कहा, जब आप मुस्लिम के लिए अलग से आरक्षण मांगते हो, इसका मतलब मुस्लिम के अंदर गरीब स्लिम का पूरा कोटा खाने की आप फिर छूट देते हो. जो मंडल विरोधी आरक्षण विरोधी ताकतें हैं, उनके हाथ में एक नया हथियार देते हो कि जो हिंदू के अंदर बैकवर्ड कास्ट बैकवर्ड क्लासेस हैं, उनका भी आरक्षण का हक मारे. केसी त्यागी ने आगे कहा, इस बयान की जितनी भी निंदा की जाए कम है. हमें आश्चर्य भी है अफसोस भी है, लेकिन लालू जी ने जो बयान दिया है वह पिछड़ों के जो उत्थान हुए उसके विरुद्ध है. आरक्षण का मूल सिद्धांत है सोशली और एजुकेशनली पिछड़े कास्ट को आरक्षण दिया जाए.

केसी त्यागी ने कहा कि प्रधानमंत्री के बयान और नीतीश कुमार के बयान का हवाला देना चाहता हूं और पार्टी का भी हवाला देना चाहता हूं कि जब तक हम जिंदा हैं, राजनीति में सक्रिय हैं हमारे रहते धरती की कोई भी ताकत ना संविधान को छू सकती है ना आरक्षण को कुछ हो सकता है. वह जमाना चला गया अब. याद करो जब जातिगत जनगणना हुई थी किसी पार्टी की हिम्मत भी विरोध करने की नहीं हुई.1990 में जब आरक्षण लागू हुआ था, लोग सड़कों पर थे. आज एक पॉलिटिकल पार्टी नहीं है जिसने कहा हो कि 50% की सीमा क्यों समाप्त कर रहे हो? अतिपिछड़ों के एंपावरमेंट के लिए बिहार सरकार ने ₹200000 की राशि दी है तो जमाना बदल गया है. 1990 नहीं है.

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