विशेष आर्टिकल: एक जिला एक उत्पाद (ODOP): सफलता की अनगिनत कहानियां – उत्तर प्रदेश के कारीगरों की वैश्विक उड़ान

Oct 31, 2025 - 05:44
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विशेष आर्टिकल: एक जिला एक उत्पाद (ODOP): सफलता की अनगिनत कहानियां – उत्तर प्रदेश के कारीगरों की वैश्विक उड़ान

विशेष आर्टिकल: एक जिला एक उत्पाद (ODOP): सफलता की अनगिनत कहानियां – उत्तर प्रदेश के कारीगरों की वैश्विक उड़ान

लखनऊ

उत्तर प्रदेश सरकार की एक जिला एक उत्पाद (ODOP) योजना ने न केवल राज्य के पारंपरिक उद्योगों को नई जान फूंकी है, बल्कि हजारों कारीगरों, किसानों और छोटे उद्यमियों की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया है। 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू की गई यह योजना अब 75 जिलों में 74 उत्पादों को कवर कर रही है, और इसके तहत अब तक 40 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिल चुका है। निर्यात में 76% की वृद्धि हो चुकी है, जो ₹2 लाख करोड़ को पार कर गया है। लेकिन ODOP की असली ताकत तो उसके लाभार्थियों की प्रेरणादायक कहानियों में छिपी है। आइए, विस्तार से जानें कैसे यह योजना साधारण लोगों को उद्यमी बना रही है, और कैसे योगी सरकार का यह कदम लाखों परिवारों का सहारा बन गया है।

ODOP की सफलता: आंकड़ों से परे, जिंदगियों का बदलाव

ODOP ने उत्तर प्रदेश को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के साथ-साथ सामाजिक सशक्तिकरण को भी बढ़ावा दिया है। योजना के तहत 80,000 से अधिक कारीगरों को कौशल प्रशिक्षण दिया गया, ₹50,000 से ₹5 लाख तक के बिना गारंटी ऋण वितरित किए गए, और GI टैग प्राप्त 15 उत्पादों को वैश्विक बाजार में पहचान मिली। लेकिन ये आंकड़े सिर्फ संख्याएं नहीं – ये उन कारीगरों की कहानियां हैं जो कभी बाजार की मार झेलते थे, आज अंतरराष्ट्रीय मंचों पर चमक रहे हैं। योजना ने महिलाओं और ग्रामीण युवाओं को विशेष रूप से सशक्त किया, जिससे पलायन रुक गया और स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत हुई। अब ODOP उत्पाद अमेज़न, फ्लिपकार्ट जैसे प्लेटफॉर्म पर बिक रहे हैं, और G20 जैसे वैश्विक आयोजनों में उपहार के रूप में भेजे जा रहे हैं।

सफलता की प्रेरक कहानियां: कारीगरों की यात्रा से प्रेरणा

ODOP की सफलता लाखों कहानियों में बिखरी हुई है। यहां कुछ चुनिंदा उदाहरण हैं, जो दर्शाते हैं कि कैसे योजना ने लोगों की किस्मत पलट दी:

1. झांसी की सॉफ्ट टॉयज क्रांति: रानी लक्ष्मीबाई की धरती पर खिलौनों का साम्राज्य झांसी जिले का ODOP उत्पाद सॉफ्ट टॉयज है, जो भारतीय खिलौना उद्योग का महत्वपूर्ण हिस्सा है। स्थानीय कारीगर शिवानी शर्मा (28 वर्ष) की कहानी इसका जीवंत उदाहरण है। एक साधारण सिलाई मशीन पर घर से काम करने वाली शिवानी को ODOP के तहत ₹2 लाख का ऋण और 45-दिवसीय डिजाइन ट्रेनिंग मिली। पहले उनकी मासिक आय ₹5,000 थी, लेकिन आज वे 'झांसी क्राफ्ट टॉयज' ब्रांड के तहत 20 महिलाओं को रोजगार दे रही हैं। मासिक टर्नओवर ₹3 लाख हो गया है, और उनके उत्पाद दिल्ली के क्राफ्ट म्यूजियम में बिक रहे हैं। "ODOP ने मुझे सिर्फ पैसा नहीं, आत्मविश्वास दिया। अब मेरी बेटी भी इसी व्यवसाय में हाथ बंटाएगी," शिवानी बताती हैं। योजना ने झांसी में 500+ कारीगरों को जोड़ा, जिससे जिले का खिलौना निर्यात 40% बढ़ा।

2. देवरिया की बांस उत्पाद: पूजा शाही की 'ग्रीन क्राफ्ट' कंपनी – पर्यावरण और रोजगार का संगम देवरिया का ODOP उत्पाद बांस से बने हस्तशिल्प (जैसे थ्रेड्स, कैरी बैग्स और ऑर्गेनिक कंपोस्ट) है। पूजा शाही (32 वर्ष), एक ग्रामीण महिला उद्यमी, ने ODOP के तहत ₹3 लाख सब्सिडी प्राप्त की और देवरिया डिजाइनर प्राइवेट लिमिटेड शुरू की। पहले वे खेतों में मजदूरी करती थीं, आय ₹4,000 मासिक। अब उनकी कंपनी 30 महिलाओं को प्रशिक्षण देकर मासिक ₹8 लाख का कारोबार कर रही है। उत्पाद फ्लिपकार्ट पर बिकते हैं, और पर्यावरण-अनुकूल होने से अंतरराष्ट्रीय ऑर्डर आ रहे हैं। पूजा कहती हैं, "ODOP ने बांस को कचरा से खजाने में बदल दिया। अब मेरा गांव आत्मनिर्भर है।" यह कहानी योजना की सस्टेनेबल डेवलपमेंट को दर्शाती है, जहां 200+ परिवार लाभान्वित हुए।

3. हार्दोई का हथकरघा जादू: इकबाल हुसैन – बुनकर से निर्यातक तक हार्दोई का ODOP उत्पाद हथकरघा वस्त्र (कुर्ता-पजामा) है। इकबाल हुसैन (45 वर्ष) एक पारंपरिक बुनकर थे, जिनकी दुकान बाजार की कमी से बंद होने को थी। ODOP ने उन्हें ₹10 लाख ऋण और मार्केटिंग सपोर्ट दिया। आज वे 50 बुनकरों की टीम के साथ मासिक ₹15 लाख का टर्नओवर कर रहे हैं। उनके उत्पाद ODOP मार्ट पोर्टल पर उपलब्ध हैं, और यूरोप में निर्यात हो रहा है। "पहले चीनी कपड़ों से हम हार जाते थे, अब ODOP ने हमें ब्रांड बना दिया," इकबाल कहते हैं। हार्दोई में योजना से 1,000+ नौकरियां पैदा हुईं।

4. मुरादाबाद का पीतल शिल्प: कारीगरों का वैश्विक बाजार मुरादाबाद का ODOP उत्पाद पीतल के हस्तशिल्प है। मोहम्मद शाहिद (38 वर्ष) ने ODOP के कॉमन फैसिलिटी सेंटर (CFC) से मशीनरी सब्सिडी ली। पहले उनकी आय ₹6,000 मासिक थी, अब 25 कारीगरों को रोजगार देकर ₹20 लाख वार्षिक कमाते हैं। उनके उत्पाद G20 समिट में उपहार बने। योजना ने मुरादाबाद के पीतल निर्यात को दोगुना कर दिया।

5. सिद्धार्थनगर का कलानामक चावल: किसानों की सुनहरी फसल सिद्धार्थनगर का ODOP उत्पाद कलानामक चावल (GI टैग प्राप्त) है। रामप्रसाद यादव (50 वर्ष), एक किसान, ने ODOP ट्रेनिंग से जैविक खेती सीखी और ₹1.5 लाख ऋण से प्रोसेसिंग यूनिट लगाई। पहले फसल बर्बाद हो जाती थी, अब मासिक ₹2 लाख कमाते हैं। 100+ किसान जुड़े, और चावल राष्ट्रीय बाजार में बिक रहा है।

6. गोरखपुर की टेराकोटा: स्थानीय कला का पुनरुत्थान गोरखपुर का ODOP उत्पाद टेराकोटा है। सीता देवी (42 वर्ष) ने योजना से ₹75,000 टूलकिट प्राप्त की। अब वे 15 महिलाओं को प्रशिक्षित कर रही हैं, मासिक आय ₹1 लाख। उनके उत्पाद पर्यटन स्थलों पर बिकते हैं।

7. मुजफ्फरनगर का गुड़ पाउडर: माधुरमीठास ब्रांड की मिठास मुजफ्फरनगर का ODOP उत्पाद रासायनिक-मुक्त गुड़ पाउडर है। माधुरमीठास ब्रांड की संस्थापक अंजली वर्मा ने ODOP से मार्केटिंग सहायता ली। अब राष्ट्रीय स्तर पर बिक्री हो रही है, और 50 किसानों को लाभ।

ये कहानियां साबित करती हैं कि ODOP ने न केवल आय बढ़ाई, बल्कि महिलाओं को सशक्त किया और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के प्रेरक उद्गार: ODOP को आत्मनिर्भरता का आधार

मुख्यमंत्री योगी ने ODOP को बार-बार 'आत्मनिर्भर भारत' का आधार बताया है। 24 जनवरी 2024 को उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस पर अवध शिल्पग्राम में बोलते हुए उन्होंने कहा, "पहले निर्यात ₹86,000 करोड़ था, ODOP ने इसे ₹2 लाख करोड़ कर दिया। चीनी नकली उत्पादों की जगह अब ODOP उत्पाद बाजार में हैं।" 8 फरवरी 2024 को CFC उद्घाटन पर: "ODOP ने पारंपरिक उद्योगों को बाजार में प्रवेश दिलाया। यह आत्मनिर्भर भारत का आधार स्तंभ है।" 21 सितंबर 2025 को 'सेवा पखवाड़ा' में: "ODOP ने MSME में 2 करोड़ नौकरियां पैदा कीं, जो पलायन रोकने का माध्यम है।" इन भाषणों से स्पष्ट है कि योगी जी की दृष्टि ने योजना को जन आंदोलन बना दिया।

भाजपा सरकार का सराहनीय कदम: लाखों लाभार्थी, राष्ट्रीय प्रेरणा

भाजपा सरकार की ODOP योजना ने लाखों लोगों को सीधा लाभ पहुंचाया – ऋण, ट्रेनिंग और बाजार से। यह 'वोकल फॉर लोकल' का साकार रूप है, जो अन्य राज्यों के लिए मॉडल बनी। पारदर्शी वितरण और डिजिटल प्लेटफॉर्म ने भ्रष्टाचार रोका, और GI टैगिंग ने विरासत को संरक्षित किया।

निष्कर्ष: ODOP – सपनों का बाजार, सफलता की कहानी

ODOP की ये सफलता कहानियां उत्तर प्रदेश की नारी शक्ति, युवा ऊर्जा और कारीगरी की ताकत दर्शाती हैं। योगी सरकार ने साबित किया कि सही नीतियां जिंदगियां बदल सकती हैं। आइए, हम सब 'लोकल को ग्लोबल' बनाएं। अधिक जानकारी के लिए odopup.in पर जाएं।

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