बिना बाईसी प्रथा के पेसा एक्ट नामंजूर: कुड़मी समाज ने दी आंदोलन की चेतावनी

Jul 20, 2025 - 17:14
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बिना बाईसी प्रथा के पेसा एक्ट नामंजूर: कुड़मी समाज ने दी आंदोलन की चेतावनी

रांची
पुराना विधानसभा सभागार में रविवार को टोटेमिक कुड़मी/कुरमी विकास मोर्चा के बैनर तले पंचायती राज व्यवस्था पेसा कानून पर एक महत्वपूर्ण परिचर्चा का आयोजन किया गया। समाज के प्रमुख नेता शीतल ओहदार की अध्यक्षता में आयोजित इस परिचर्चा में समाज के वरिष्ठ बुद्धिजीवी, पूर्व जैक अध्यक्ष डॉ. अनिल कुमार महतो, रांची विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. अमर कुमार चौधरी, रजिस्ट्रार डॉ. मुकुंद चंद मेहता, झारखंड उच्च न्यायालय के अधिवक्ता षष्ठी रंजन महतो सहित दर्जनों प्रोफेसर और अधिवक्ताओं ने हिस्सा लिया। सैकड़ों लोगों की उपस्थिति में हुई इस परिचर्चा में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि कुड़मी जनजाति पेसा कानून का समर्थन करती है, लेकिन इसमें कुड़मी समाज की प्राचीन बाईसी प्रथा को शामिल करना अनिवार्य है।

बिना इस परंपरा के शामिल किए पेसा कानून लागू करना कुड़मी समाज के लिए काला कानून साबित होगा। परिचर्चा में उपस्थित वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि बाईसी प्रथा कुड़मी समाज की सबसे पुरानी और जीवंत रूढ़िगत परंपरा है, जो आज भी ग्रामीण समाज में बिना किसी विचलन के लागू है। इस व्यवस्था को लागू कराने में प्रत्येक गांव के मईड़ला महतो की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। परिचर्चा में यह तय किया गया कि इस परंपरा को और सुदृढ़ करने के लिए व्यापक मुहिम चलाई जाएगी। शीतल ओहदार ने स्पष्ट किया कि यदि झारखंड सरकार पेसा कानून में बाईसी प्रथा को शामिल किए बिना इसे लागू करती है तो यह अनुसूचित क्षेत्रों में निवास करने वाले कुड़मी समुदाय के साथ अन्याय होगा। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसी स्थिति में कुड़मी समाज सड़क से सदन तक आंदोलन करने को बाध्य होगा।

झारखंड सरकार से की मांग
परिचर्चा में झारखंड सरकार से मांग की गई कि कुड़मी की बाईसी प्रथा को पेसा कानून में शामिल किया जाए। इसके लिए एक 31 सदस्यीय टीम का गठन किया गया, जो इस परंपरा का लिखित दस्तावेज तैयार कर राज्यपाल, मुख्यमंत्री समेत पंचायती राज मंत्री दीपिका पांडेय सिंह को मांग पत्र सौंपेगी। सभी प्रतिभागियों को पेसा कानून के ड्राफ्ट की प्रति वितरित की गई। परिचर्चा में युवाओं, समाजसेवियों और बुद्धिजीवियों से अपील की गई कि वे गांव-गांव जाकर पेसा कानून के फायदे-नुकसान की जानकारी दें और मईड़ला महतो परंपरा को जीवित रखने के लिए प्रयास करें। इस आयोजन में सखीचंद महतो, सुषमा महतो, सपन कुमार महतो, थानेश्वर महतो, राजेंद्र महतो, संजय लाल महतो, जयंती देवी, रघुनाथ महतो, रामपोदो महतो, अधिवक्ता मिथलेश महतो, किरण महतो, सोमा महतो, अनिल महतो, रवंती देवी, सावित्री देवी, कपिल देव महतो, रवि महतो, सुरेश महतो सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

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