आबादी के मानक ने तोड़ा रेवाड़ी नगर निगम का सपना, आबादी 3 लाख की बजाय आबादी 1.86 लाख

रेवाड़ी
रेवाड़ी शहर फिलहाल नगर निगम नहीं बन पाएगा, क्योंकि नगर निगम बनने के लिए जरूरी आबादी का मानक पूरा नहीं हो रहा है। शहरी स्थानीय निकाय विभाग ने नगर निगम के लिए रिपोर्ट मांगी थी, जिसमें साफ हुआ कि जनसंख्या अभी पर्याप्त नहीं है।
फिलहाल रेवाड़ी की आबादी करीब 1.86 लाख है, जबकि नगर निगम बनने के लिए कम से कम 3 लाख से ज्यादा आबादी होनी चाहिए। हालांकि आउटर एरिया की हाई राइज बिल्डिंगों को शामिल किया जाए तो आबादी 4 लाख से अधिक हो सकती है, लेकिन नगर परिषद की रिपोर्ट केवल वर्तमान अधिकृत क्षेत्र की जनसंख्या पर आधारित है। इसी वजह से यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई है।
हाऊस में प्रस्ताव भी नहीं
रेवाड़ी नगर परिषद के लोगों ने भी कभी रेवाड़ी नगर निगम के लिए प्रयास नहीं किए हैं। क्योंकि नगर परिषद हाउस के द्वारा कभी नगर निगम का प्रस्ताव भी पास नहीं किया गया। सबसे जरूरी होता है कि हाऊस का प्रस्ताव पास करके मुख्यालय को भेजा जाए।
1994 में नगर परिषद बना रेवाड़ी
साल 1994 में रेवाड़ी को नगर परिषद बनाए जाने की घोषणा की गई थी। उस समय रेवाड़ी नगर परिषद में 22 वार्ड होते थे। लेकिन वर्ष 1995 में हुए पहले चुनाव के समय 25 वार्ड पर चुनाव हुए। इसके बाद तीन वार्ड बंदी के साथ रेवाड़ी नगर परिषद के अब वार्ड 31 हो गए हैं।
शहर में 6 सेक्टर व 66 कॉलोनियां हुईं अधिकृत
रेवाड़ी के नगर परिषद बनने के बाद तेजी से विस्तार हुआ है। वर्ष 1995 में रेवाड़ी शहर में केवल एक सेक्टर व कॉलोनियां थी। रेवाड़ी नगर परिषद से सेक्टर तीन, सेक्टर चार, सेक्टर- पांच, सेक्टर-18, सेक्टर-19 व सेक्टर 21 जुड़ गए हैं।
कॉलोनियों की बात करें तो उस समय केवल रेवाड़ी नगर परिषद में 6 कॉलोनियां हुआ करती थी, लेकिन रेवाड़ी के नगर परिषद बनने के बाद 66 कॉलोनियां नगर परिषद से जुड़ चुकी हैं। नगर परिषद की घोषणा होते हुए 11 कॉलोनी व वर्ष 2004 में 32, वर्ष 2014 में 5 तथा 2018 में 18 कॉलोनी नगर परिषद से जुड़ चुकी हैं। वर्तमान में शहर में करीब 80 कालोनी हैं।
आजादी से पहले का नगर पालिका
अंग्रेजों के जमाने में रेवाड़ी एक नगर पालिका हुआ करती थी। पूर्व विधायक रघु यादव ने वर्ष 1987 में राव तुलाराम पार्क में आयोजित जनसभा में मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल के समक्ष रेवाड़ी को अलग जिला बनाने की मांग रखी थी।
मुख्यमंत्री ने विधायक की मांग पर एक नवंबर 1989 को रेवाड़ी को नया जिला घोषित किया था। अलग से जिला बनने के बाद वर्ष 1994 में रेवाड़ी को नगर पालिका से नगर परिषद बनाया गया। जुलाई 1995 में रेवाड़ी नगर परिषद के पहली बार चुनाव हुए।
1 लाख के अधिक मतदाता
चुनाव की घोषणा के समय 22 वार्ड पर चुनाव होने की घोषणा की गई, लेकिन बाद में 24 वार्ड के चुनाव कराए गए थे। अगर वर्तमान समय की बात की जाए तो रेवाड़ी नगर परिषद में 31 वार्ड हैं। वहीं पहले चुनाव के समय रेवाड़ी नगर परिषद की आबादी 96 हजार व 22 वोट हुआ करते थे। लेकिन वर्तमान समय में रेवाड़ी नगर परिषद की आबादी लगभग 1 लाख 86 हजार है। वहीं करीब 1 लाख 20 हजार मतदाता नगर परिषद से जुड़े हुए हैं।
पहली चेयरपर्सन बनीं थीं सरोज भारद्वाज
नगर परिषद बनने के बाद वर्ष 1995 में सरोज भारद्वाज पहली बार नगर परिषद चेयरपर्सन बनीं थीं। वहीं वर्ष 1996 में सुचित्रा चांदना ने बहुमत हासिल कर सरोज भारद्वाज की जगह प्रधान बनी। इसके बाद वर्ष 2002-05 तक हरीश अरोड़ा नगर परिषद के प्रधान रहे। वहीं विजय राव ने 2005-10 तक नगर परिषद की कमान संभाली। इसके बाद तीन साल तक चुनाव नहीं हुए।
वर्ष 2013 में हुए चुनाव में शंकुतला भांडोरिया विजयी रहीं। वर्ष 2017 में विनीता पीपल ने शंकुतला भांडोरिया की जगह कमान संभाली। इनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद तीन साल तक चुनाव नहीं हो पाए। वर्ष 2020 में हुए चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी पूनम यादव नगर परिषद चेयरमैन चुनी गई। जिनका कार्यकाल जनवरी 2026 में खत्म हो रहा है।
मांगी गई थी शहर की रिपोर्ट: EO
रेवाड़ी नगर परिषद के EO सुशील भुक्कल ने बताया कि नगर निगम को लेकर कुछ बिंदुओं पर शहर की रिपोर्ट मांगी गई थी। रेवाड़ी शहर की आबादी करीब 1 लाख 86 हजार है। नगर निगम के लिए किसी भी शहर की आबादी कम से कम 3 लाख होनी चाहिए।
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