राम रहीम केस में बड़ा खुलासा: हाईकोर्ट में उठाया गया सवाल – क्या 2017 पंचकूला हिंसा में सरकार थी मिलीभगत में?

Sep 27, 2025 - 12:14
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राम रहीम केस में बड़ा खुलासा: हाईकोर्ट में उठाया गया सवाल – क्या 2017 पंचकूला हिंसा में सरकार थी मिलीभगत में?

चंडीगढ़
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद 25 अगस्त 2017 को पंचकूला में फैली हिंसा में 32 लोगों की मौत हुई थी और 118 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का नुकसान हुआ था। उस समय डेरा प्रमुख के हथियारबंद समर्थक कथित तौर पर पंचकूला पहुंचे थे। 2017 में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद हुई हिंसा के मामले में पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट अब यह जांच करेगा कि क्या हरियाणा सरकार हिंसा रोकने में नाकाम रही थी या फिर समर्थकों की भीड़ जुटाने में उसकी कोई मिलीभगत थी। साथ ही मुआवजा और अन्य मुद्दों पर भी फुल बेंच सुनवाई करेगी।

25 अगस्त 2017 को पंचकूला में फैली इस हिंसा में 32 लोगों की मौत हुई थी और 118 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति का नुकसान हुआ था। उस समय डेरा प्रमुख के हथियारबंद समर्थक कथित तौर पर पंचकूला पहुंचे थे। शुक्रवार को चीफ जस्टिस शील नागू, जस्टिस विनोद एस भारद्वाज और जस्टिस विक्रम अग्रवाल की पूर्ण पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता अनुपम गुप्ता ने कहा कि 2017 में अदालत की ओर से तय संवैधानिक प्रश्नों पर अब फैसला होना चाहिए।
 
उन्होंने अदालत से हिंसा के मामलों में अभियुक्तों को बरी किए जाने और हरियाणा सरकार की ओर से डेरा सच्चा सौदा का समर्थन करने की घटनाओं पर गौर करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार राजनीतिक कारणों से डेरे की मदद करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। इन दलीलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट को मामले को निपटाने के बजाय सुनवाई जारी रखी। गुप्ता ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार राजनीतिक कारणों से डेरा समर्थकों को सहयोग दे रही थी। 240 मामले दर्ज हुए लेकिन 100 से अधिक में बरी हो चुके हैं।
 
पंजाब सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता चंचल सिंगला ने कहा कि पंजाब ने हिंसा के दौरान 11 जिलों में सुरक्षा बलों की तैनाती और नियंत्रण पर 169 करोड़ रुपये खर्च किए जिसमें 50 करोड़ रुपये सीआरपीएफ पर खर्च हुए। अदालत ने पंजाब सरकार से यह भी पूछा कि क्या उसने सुरक्षा बलों की तैनाती पर हुए खर्च की भरपाई किसी अन्य संस्था से मांगी है इस पर शपथ पत्र दायर किया जाए। अप्रैल 2025 की पिछली सुनवाई में अदालत ने स्पष्ट कर दिया था कि इस मामले में अब और स्थगन स्वीकार नहीं होगा।

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