भिंड के शहीद वीर सपूत को 54 साल बाद बांग्लादेश सरकार ने किया सम्मानित, 1971 की Indo-Pak war में हुए थे शहीद

भिंड
चंबल को वीरों की भूमि कहा जाता है. इस क्षेत्र के अनेकों वीर सपूतों ने देश की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए. ऐसे ही भिंड के 12 वीर सपूतों ने 1971 के भारत-पाकिस्तान जंग में लड़ते हुए शहीद हो गए थे. पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा जो कि वर्तमान में बांग्लादेश है वह भी अपनी आजादी की लड़ाई लड़ रहा था. बांग्लादेश को आजाद कराने में भारत ने अहम भूमिका निभाई थी. सन् 1971 के युद्ध के करीब 54 साल बाद बांग्लादेश की सरकार ने शहीद भारतीय जवानों को सम्मानित किया है.
54 साल बाद शहीद जवान को मिला सम्मान
1971 में हुए भारत-पाकिस्तान जंग में भिंड के 12 वीर सपूत शहीद हुए थे, इसमें से एक शहीद राम लखन गोयल भी थे. दो दिन पहले अचानक भिंड शहर के सैनिक कॉलोनी में आर्मी की एक गाड़ी पहुंची. गाड़ी में मौजूद आर्मी के जवानों ने आवाज लगाई तो घर से एक 70 वर्षीय बुजुर्ग महिला लीला देवी गोयल बाहर निकली. लीला देवी अचानक घर के सामने आर्मी के जवानों के देख अचंभित रह गई. एक जवान ने उनसे पूछा कि क्या वे शहीद राम लखन गोयल की पत्नी हैं? लीला देवी ने कहा कि हां, मैं शहीद राम लखन गोयल की पत्नी हूं. वहां खड़े सेना के दो जवानों ने उनके पैर छुए और बताया कि वह उनके शहीद पति का सामान लेकर आया है.
बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने किया सम्मानित
सेना के जवानों ने गाड़ी से एक बॉक्स निकाला. जिसमें बांग्लादेश की ओर से गार्ड ऑफ ऑनर, एक शील्ड और एक हफ्ता सहित एक पत्र था. वह लेटर बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना और तत्कालीन राष्ट्रपति मोहम्मद अब्दुल हमीद की ओर से भेजा गया था. प्रमाण पत्र में लिखा हुआ था कि बांग्लादेश सरकार 1971 के भारतीय शहीद जवान का सम्मान कर रही है. यह सम्मान पत्र करीब 7 साल पहले जारी किया गया था.
शहीद राम लखन गोयल की पत्नी लीला देवी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, "यह सम्मान तो अच्छा है, लेकिन बहुत देर कर दी. मेरे पति देश के लिए शहीद हो गए. उसके बाद से मैं अकेली रह रही हूं. मेरी शादी के कुछ ही दिन बाद वह शहीद हो गए थे. तार के माध्यम से पता चला था कि वह शहीद हो गए हैं. मेरा कोई बच्चा भी नहीं है. मैंने परिवार का भतीजा गोद लिया है."
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