कल से शुरू हो रहा है छठ पर्व: जानें चारों दिनों का धार्मिक महत्व और संध्या अर्घ्य की तारीख

Oct 24, 2025 - 06:14
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कल से शुरू हो रहा है छठ पर्व: जानें चारों दिनों का धार्मिक महत्व और संध्या अर्घ्य की तारीख

हिंदू धर्म में छठ का पर्व बहुत ही विशेष और खास माना जाता है. इस त्योहार पर सूर्यदेव और छठी मैय्या की पूजा-उपासना की जाती है. छठ पर्व के ये 4 दिन बहुत ही खास माने जाते हैं, जो कि विशेष रूप से उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है. छठ पूजा को प्रतिहार, डाला छठ, छठी और सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है.

छठ पूजा का व्रत महिलाएं अपने परिवार और पुत्र की दीर्घायु के लिए करती हैं. इस बार छठ के पर्व की शुरुआत 25 अक्टूबर, शनिवार से होने जा रही है और इसका समापन 28 अक्टूबर, मंगलवार को होगा. छठ के पर्व ये चार दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होते हैं जिसमें पहला होता है नहाय-खाय, दूसरा खरना, तीसरा संध्या अर्घ्य और चौथा ऊषा अर्घ्य-पारण. चलिए अब छठ के पर्व की सभी तिथियों के बारे में जानते हैं. 

छठ पर्व 2025 कैलेंडर (Chhath Puja 2025 Calender)

पहला दिन- नहाय खाय, जो कि 25 अक्टूबर 2025 को है.
दूसरा दिन- खरना, जो कि 26 अक्टूबर को है.
तीसरा दिन- संध्या अर्घ्य, जो कि 27 अक्टूबर को किया जाएगा. 
चौथा दिन- ऊषा अर्घ्य, जो कि 28 अक्टूबर को किया जाएगा.

छठ पर्व के चार दिनों का महत्व

नहाय खाय (Nahay Khay)- छठ पूजा का पहला दिन होता है नहाय खाय. इस दिन व्रती किसी पवित्र नदी में स्नान करके, इस पवित्र व्रत की शुरुआत करती हैं. स्नान के बाद भोजन ग्रहण किया जाता है, जिससे व्रत की शुरुआत हो जाती है. इस दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 28 मिनट पर होगा और सूर्यास्त शाम 5 बजकर 42 मिनट पर होगा. 

खरना (Kharna)- छठ पूजा का दूसरा दिन होता है खरना. खरना को लोहंडा भी कहा जाता है. इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं. शाम के समय व्रती मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी जलाकर गुड़ की खीर (रसिया) और घी से बनी रोटी तैयार करती हैं. सूर्य देव की विधिवत पूजा के बाद यही प्रसाद सबसे पहले ग्रहण किया जाता है. इस प्रसाद को खाने के बाद व्रती अगले दिन सूर्य को अर्घ्य देने तक अन्न और जल का पूर्ण रूप से त्याग करती हैं.

संध्या अर्घ्य (Sandhya Arghya)- छठ पूजा का तीसरा और महत्वपूर्ण दिन होता है संध्या अर्घ्य. इस दिन व्रती दिनभर बिना जल पिए निर्जला व्रत रखती हैं. फिर, शाम को व्रती नदी में डूबकी लगाते हुए ढलते हुए सूरज को अर्घ्य देती हैं. इस दिन सूर्य अस्त शाम 5 बजकर 40 मिनट पर होगा.

ऊषा अर्घ्य (Usha Arghya)- इस पूजा का चौथा और आखिरी दिन होता है ऊषा अर्घ्य. इस दिन सभी व्रती और भक्त नदी में डूबकी लगाते हुए उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इस दिन सूर्योदय सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर होगा. अर्घ्य देने के बाद, 36 घंटे का व्रत प्रसाद और जल ग्रहण करके खोला जाता है, जिसे पारण कहा जाता है.

छठ पूजा महत्व 

छठ पूजा सूर्य देव और छठी मईया की आराधना का पर्व है, जिसे शुद्धता, आस्था और अनुशासन का प्रतीक माना जाता है. इस दिन व्रती पूरी निष्ठा और संयम के साथ सूर्य देव को अर्घ्य देकर जीवन में सुख, समृद्धि और संतानों के कल्याण की कामना करते हैं. यह पर्व प्रकृति, जल और सूर्य की उपासना से जुड़ा है, जो मानव जीवन में ऊर्जा और सकारात्मकता के महत्व को दर्शाता है.

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