मुंगेली नगर पालिका की धीमी विकास रफ्तार पर डिप्टी सीएम का सख्त रुख: जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को दो टूक निर्देश
मुंगेली
मुंगेली नगर पालिका क्षेत्र डिप्टी मुख्यमंत्री एवं नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव के गृह जिले में आता है, इसलिए नगर विकास के लिए उन्होंने क्षेत्र में कई विकास परियोजनाओं की झड़ी लगा दी है। बीते 20 महीनों में इस नगर पालिका क्षेत्र को विभिन्न मदों और कार्यों के लिए कुल 92 करोड़ रुपये की स्वीकृति मिल चुकी है। 19 नवंबर को आयोजित एक कार्यक्रम में डिप्टी सीएम ने लगभग 30 करोड़ रुपये के नए विकास कार्यों का शिलान्यास और भूमिपूजन भी किया। इसके बावजूद, नगरीय प्रशासन की धीमी कार्यशैली के कारण पुराने स्वीकृत परियोजनाओं में से कई कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाए हैं।
मुंगेली नगर पालिका में कई परियोजनाओं के लिए जमीन का चयन या स्थान का निर्धारण भी नहीं हो पाया है। इस धीमी गति के लिए नगर पालिका के सीएमओ, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और पार्षदों की टीम को जिम्मेदार माना जा रहा है। नाराज डिप्टी सीएम अरुण साव ने सार्वजनिक मंच से न सिर्फ अपनी नाराजगी व्यक्त की, बल्कि अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों को विकास कार्यों में तेजी लाने के निर्देश भी दिए।
नगर विकास में कौन बना रोड़ा?
मुंगेली नगर पालिका में वर्तमान में कांग्रेस के रोहित शुक्ला अध्यक्ष हैं, जबकि उपाध्यक्ष भाजपा के जय प्रकाश मिश्रा हैं। डिप्टी सीएम ने क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए बड़े पैमाने पर धनराशि जारी की है, लेकिन अधोसंरचना विकास की गति कछुए की चाल जैसी धीमी बनी हुई है। इससे कई परियोजनाएं ठप पड़ी हैं और नागरिक अपेक्षित विकास का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।
महत्वपूर्ण परियोजनाओं में देरी
नवीन नगर पालिका कार्यालय भवन और नालंदा परिसर जैसी कई बड़ी परियोजनाओं को स्वीकृति मिलने के बावजूद अब तक कार्य शुरू नहीं हुए हैं। भूमि का चयन न होना और परियोजनाओं के लिए ठोस कार्ययोजना न बनना इस देरी का मुख्य कारण है। अब सवाल यह उठता है कि इस स्थिति के लिए दोषी कौन है—क्या नगर पालिका के अधिकारी सीएमओ होरी सिंह ठाकुर, या जनप्रतिनिधि? यदि अधिकारी दोषी हैं, तो उन पर तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए। वहीं, यदि जिम्मेदारी जनप्रतिनिधियों की है, तो उन्हें डिप्टी सीएम की नसीहत मानकर आपसी सामंजस्य के साथ कार्य करना चाहिए।
डिप्टी सीएम की नसीहत: “किंतु-परंतु छोड़ो, विकास पर ध्यान दो”
डिप्टी सीएम अरुण साव ने सार्वजनिक मंच से कहा कि मुंगेली नगर पालिका के लिए धन की कोई कमी नहीं है, केवल कार्ययोजना बनाने में देरी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि पहले से स्वीकृत कार्यों को शीघ्र पूरा कराना अत्यंत आवश्यक है। चाहे वह नगरीय प्रशासन विभाग हो, खेल विभाग, पीडब्ल्यूडी या पीएचई—मुंगेली क्षेत्र के विकास में किसी भी प्रकार की कमी नहीं रहने दी जाएगी।
जानकारों का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष और भाजपा उपाध्यक्ष के बीच आपसी खींचतान या दूरी भी विकास कार्यों को प्रभावित कर रही हो सकती है। डिप्टी सीएम ने इस पर जोर देते हुए कहा कि नगर विकास के लिए आपसी तालमेल और सहयोग सबसे जरूरी है। उन्होंने नगर पालिका अध्यक्ष को भी नसीहत दी कि उन्हें “किंतु–परंतु” की सोच छोड़कर केवल और केवल नगर के विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
अधिकारियों के साथ तालमेल की कमी
नगर पालिका अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के राजनीतिक भेदभाव के कारण अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ अपेक्षित तालमेल नहीं बन पा रहा है। समय-समय पर जनता ने इसकी झलक देखी और महसूस की है। इसके अलावा सवाल यह भी उठता है कि कहीं जनप्रतिनिधि अपने पसंदीदा ठेकेदारों को फायदा पहुंचाने के चक्कर में विकास कार्यों को प्रभावित तो नहीं कर रहे। यह विषय मुंगेली की जनता के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है।
डिप्टी सीएम अरुण साव ने स्पष्ट किया कि नगर पालिका में क्या चल रहा है, उनसे कुछ भी छिपा नहीं है। अब सभी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी बनती है कि वे आपसी तालमेल के साथ विकास कार्यों को समय पर पूरा करें और मुंगेली को एक आधुनिक और व्यवस्थित नगर बनाने में योगदान दें।
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