दिवाली पर क्यों खुले रखते हैं दरवाजे : जानें पौराणिक महत्व और कथा

Oct 20, 2025 - 05:14
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दिवाली पर  क्यों खुले रखते हैं दरवाजे : जानें पौराणिक महत्व और कथा

हर साल दिवाली का त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है. इस साल दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाने वाली है. इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है. मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से पूजन करने पर माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और साल भर खुशहाल जीवन देती हैं. माता लक्ष्मी की कृपा से घर में सार भर आर्थिक तंगी नहीं आती.

दिवाली के दिन रात को लोगों के घरों का दरवाजा खुला रहता है. दिवाली की रात लोग दरवाजा क्यों खुला रखते हैं? इसके बारे में एक पौराणिक कथा है. आइए जानते हैं उस कथा के बारे में.

इसलिए दिवाली की रात दरवाजे खुले रखे जाते हैं
दिवाली की रात लोग अपने घरों का दरवाजा इसलिए खोलकर रखते हैं, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी घरों में प्रवेश करती हैं. जहां वे रोशनी, स्वच्छता और श्रद्धा पाती हैं, उन घरों में वो वास करती हैं, इसलिए घर में उनका स्वागत करने और उन्हें अंदर आने देने के लिए दरवाजों को खुला छोड़ा जाता है. यह भी माना जाता है कि देवी-देवता अंधेरे घरों में नहीं आते, इसलिए रोशनी और खुले दरवाजों से उनका स्वागत किया जाता है.

पौराणिक कथा
एक कथा के अनुसार, एक बार माता लक्ष्मी कार्तिक मास की अमावस्या की रात में भ्रमण पर निकलीं, लेकिन संसार में अंधेरा छाया हुआ था. ऐसे में माता लक्ष्मी रास्ता भटक गईं. इसके बाद उन्होंने ये तय किया ये रात मृत्यु लोक में गुजारी जाए और सुबह बैकुंठ धाम लौटा जाएगा, लेकिन माता को हर घर का दरवाजा बंद मिला. एक द्वार खुला था.

उस द्वार पर दीपक जल रहा था. इस पर माता लक्ष्मी दीपक की रौशनी की ओर चली गईं. वहां जाकर माता लक्ष्मी ने देखा कि एक बुजुर्ग महिला काम कर रही थी. इसके बाद माता लक्ष्मी ने उससे कहा कि उनको रात में रुकने के लिए स्थान चाहिए. फिर बुजुर्ग महिला ने माता को अपने घर में शरण दी और बिस्तर प्रदान किया. इसके बाद वो अपने काम में लग गई. काम करते-करते बुजुर्ग महिला की आंख लग गई. सुबह जब वो उठी तो देखा कि अतिथि जा चुकी थीं, लोकिन उसका घर महल में बदल चुका था.

चारों और हीरे-जेवरात धन दौलत रखी हुई थी, तब उस बुजुर्ग महिला को पता चला कि रात में जो अतिथि उसके घर आईं थीं वो कोई और नहीं, बल्कि स्वंय माता लक्ष्मी थीं. इसके बाद से ही कार्तिक मास की अमावस्या की रात घर में दीपक जलाने और घर को खुला रखने की पंरपरा शुरू हो गई. इस रात लोग घर का दरवाजा खोलकर माता लक्ष्मी के आने की प्रतिक्षा करते हैं.

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