2020 दिल्ली” — एक जलता हुआ सच, एक तड़पती हुई याद, और साहस से बनी सिनेमाई गवाही

Nov 13, 2025 - 13:39
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2020 दिल्ली” — एक जलता हुआ सच, एक तड़पती हुई याद, और साहस से बनी सिनेमाई गवाही

  " देवेंद्र सिंह तोमर "

दिल्ली दंगों पर फिल्म बनाना सिर्फ तकनीक और कलाकारों की बात नहीं है — यह आग के बीच से होकर गुज़रने जैसा जोखिम है। निर्देशक देवेंद्र मालवीय ने यह जोखिम उठाया भी है और निभाया भी। “2020 दिल्ली” कोई मनोरंजन का पैकेज नहीं, बल्कि एक ऐसी खुरदरी, झकझोर देने वाली फिल्म है जो 2020 की खामोश दिल्ली में छुपे दर्द को फिर से जगा देती है।

कहानी: एक दिन जो इतिहास में धँस गया

फिल्म 24 फरवरी 2020 की उसी तारीख पर टिक जाती है — जब दिल्ली के कुछ हिस्सों में आग और अफरातफरी थी, और दूसरी तरफ दुनिया की निगाहें ट्रम्प के दौरे पर।
शाहीनबाग की हल्की-सी गूंज से शुरू होकर यह कहानी अचानक हिंसा, अपप्रचार, साजिश और सत्ता की जोड़तोड़ में उतर जाती है। यह कोई रैखिक कथा नहीं है, बल्कि कई चेहरों की आपबीती और अनसुनी चीखों को जोड़कर बुनी गई एक त्रासदी है।

निर्देशन: सीमित साधनों में बेबाक बोल

देवेंद्र मालवीय का निर्देशन साफ दिखाता है कि विषय को लेकर उनमें झिझक नहीं, प्रतिबद्धता है।
दंगों और भगदड़ के दृश्य सिंगल शॉट में पकड़ने की कोशिश फिल्म को डॉक्यूमेंट्री जैसा यथार्थ देती है।
हाँ, असल लोकेशंस — जैसे सीलमपुर, जाफराबाद — तक न जा पाना एक कमी छोड़ जाता है, लेकिन छोटे बजट में इतना जीवंत माहौल रचना बड़ी बात है।

थीम: दिल्ली का दर्द, सरहदों का सच

फिल्म सिर्फ दिल्ली या दंगों की कहानी नहीं कहती — यह बताती है कि दर्द की कोई भूगोल नहीं होती।
पाकिस्तान में हिंदू अल्पसंख्यकों, खासकर बेटियों के धर्मांतरण और अत्याचार के मुद्दे को छूकर फिल्म एक बड़ा सामाजिक आईना सामने रखती है।
यह विस्तार फिल्म को एक सामान्य दंगा-ड्रामा नहीं, बल्कि एक मानवीय बयान बना देता है।

अभिनय: बृजेंद्र काला का वज़न

बृजेंद्र काला पूरी फिल्म की धुरी हैं।
एक साधारण सिक्योरिटी गार्ड की भूमिका में उनका दर्द, डर, और इंसानियत — तीनों इतने स्वाभाविक हैं कि कई दृश्य गले में गांठ छोड़ जाते हैं।
समर जय सिंह, सिद्धार्थ भारद्वाज, आकाश अरोरा, भूपेश सिंह, चेतन शर्मा — सभी अपनी-अपनी जगह ठीक हैं और कहानी को थामे रखते हैं।

तकनीकी पक्ष: कच्चा-दृढ़, सीमित-सत्य

कैमरा वर्क में चमक-दमक नहीं है, लेकिन सच्चाई है।
साउंड डिजाइन कई जगह भारी पड़ता है, और कुछ दृश्य जल्दी कटते लगते हैं — पर बजट और माहौल, दोनों को देखते हुए फिल्म की तकनीक सम्मान खड़ा करती है।

निर्माता का हौसला: कंटेंट से बड़ा संघर्ष

देवेंद्र मालवीय का सबसे बड़ा काम फिल्म बनाना नहीं, फिल्म बनाकर उसे सामने खड़ा कर देना है।
विषय विवादित भी है, राजनीतिक भी, और कानूनी चुनौतियों वाला भी — ऐसे में यह फिल्म उनके हिम्मत और इरादे दोनों का दस्तावेज़ है।

देखें या न देखें?

यदि आप मसाला खोजते दर्शक हैं, तो यहां कुछ नहीं मिलेगा।
लेकिन यदि सिनेमा आपके लिए सवाल उठाने वाली कला है,
यदि आप 2020 के अध्याय को सिर्फ खबरों में नहीं, एक मानवीय अनुभव के रूप में समझना चाहते हैं —
तो “2020 दिल्ली” जरूर देखने लायक है।

यह फिल्म मनोरंजन नहीं, इतिहास का वह पन्ना है जिसे बार-बार पलटकर देखने की जरूरत है।

निर्माता-निर्देशक: देवेंद्र मालवीय
मुख्य कलाकार: बृजेंद्र काला, समर जय सिंह, सिद्धार्थ भारद्वाज, आकाश अरोरा, भूपेश सिंह, चेतन शर्मा

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