मिस्टिसिज़्म ऑफ़ इंडिया – रागिनी रेणु की सूफ़ी एवं भक्ति संगीत से सजी अविस्मरणीय संध्या

परमानंद और भक्ति से सराबोर एक अविस्मरणीय शाम में देश की सुप्रसिद्ध सूफ़ी एवं भक्ति गायिका रागिनी रेणु ने अपने संगीत समारोह “मिस्टिसिज़्म ऑफ़ इंडिया” में दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह कार्यक्रम सोपोरी एकेडमी ऑफ़ म्यूज़िक एंड परफ़ॉर्मिंग आर्ट्स (सा-मा-पा ) द्वारा स्टेइन ऑडिटोरियम, इंडिया हैबिटेट सेंटर, नई दिल्ली में आयोजित किया गया। सभागार संगीत प्रेमियों से खचाखच भरा हुआ था, जहाँ श्रोताओं ने सूफ़ी और भक्ति काव्य की अनन्त परंपरा का अनूठा सफ़र अनुभव किया।
रागिनी रेणु को भारत की प्रख्यात भक्ति अवं सूफी गायिकाओं में गिना जाता है और उन्हें “मिस्टिक सॉन्गस्ट्रेस” के रूप में विशेष पहचान प्राप्त है। वे कश्मीर की सोपोऱी–सूफ़ियाना घराने की शिष्या हैं। उन्हें महान संत-संगीतज्ञ, संतूर वादक एवं संगीतकार पंडित भजन सोपोरी जी के मार्गदर्शन में दीक्षा मिली, जिन्होंने उन्हें सूफ़ी और भक्ति संगीत की गहन साधना में ढाला। रागिनी ने शास्त्रीय गायकी को तैयारी और भाव के साथ साधते हुए अपनी कला को निखारा है। सूफ़ी अंग, ग़ज़ल और क़ाफ़ी पर उनकी सहज पकड़ उन्हें परंपरागत शैलियों के साथ-साथ आधुनिक अभिव्यक्तियों में भी उतनी ही प्रभावशाली बनाती है। अपने विशिष्ट अंदाज़ और अपने गुरु की समृद्ध रचनाओं के साथ वे भक्ति और सूफ़ी संगीत की परंपरा की सच्ची उत्तराधिकारी हैं। उनकी सशक्त और ओजस्वी आवाज़ आधयात्मिक रहस्यवाद की अनुबभूति को जीवंत कर देती है, जिससे श्रोता भाव-विभोर होकर आनंदानुभूति में डूब जाते हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत रागिनी ने संत कबीर की रचना “युगन युगन योगी” से की जिसकी रचना उन्होंने स्वयं की है । इसके पश्चात उन्होंने अपने गुरु पंडित भजन सोपोरी जी की रचनाओं को प्रस्तुत किया, जिनमें शामिल थीं -
- “अजब नैन तेरे” (शाह अब्दुल लतीफ़ भिट्टाई)
- “उठ चल्ले गवांदो यार” (बाबा बुल्ले शाह)
- “ज़िहाल-ए-मिस्कीं” (हज़रत अमीर ख़ुसरो)
- “के बेदर्दा संग यारी” (बाबा बुल्ले शाह)
- “रांझा जोगिया बन आया नी” (बाबा बुल्ले शाह)
और अमीर ख़ुसरो की पारम्परिक रचना “छाप तिलक”।
प्रत्येक प्रस्तुति भाव और अधयात्म रहस्य की गहराई से ओतप्रोत थी, जिसे रागिनी ने अपनी आत्मीय अभिव्यक्ति और सूफ़ियाना घराने की अनुशासित शैली के साथ प्रस्तुत किया। उनके गायन में एक ओर अनुशासन था तो दूसरी ओर रहस्यवाद की उन्मुक्तता और यही संगम श्रोताओं को अभिभूत कर गया।
रागिनी रैनू का संगत करने वाले कलाकार थे बलराम सिसोदिया (तबला), चंचल सिंह (ढोलक),
ललित सिसोदिया (हारमोनियम), शंभु सिसोदिया (सारंगी) तथा राग यमन (बांसुरी)।
इस संध्या की गरिमा को और बढ़ाया देश के अनेक विशिष्ट व्यक्तित्वों ने, जिनमें शामिल थे पद्मविभूषण नृत्यांगना एवं पूर्व सांसद डॉ. सोनल मानसिंह, प्रख्यात गायक पंडित विद्याधर व्यास, तबला वादक उस्ताद अक़्रम ख़ान, उस्ताद अख्तर हसन एवं उस्ताद रफ़ीउद्दीन साबरी, वायलिन वादक उस्ताद असगर हुसैन,सा-मा-पा अध्यक्ष एवं शिक्षाविद् प्रो. अपर्णा सोपोरी, और संतूर वादक एवं संगीतकार पंडित अभय रुस्तुम सोपोरी। उनकी उपस्थिति ने कार्यक्रम की महत्ता को और बढ़ाया और यह दर्शाया कि संगीत-जगत में रागिनी रेणु का कितना सम्मान है।
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