चीन-पाक की कोशिशें नाकाम, बलूच आर्मी पर पाबंदी में अमेरिका, फ्रांस और UK का विरोध

Sep 19, 2025 - 14:14
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चीन-पाक की कोशिशें नाकाम, बलूच आर्मी पर पाबंदी में अमेरिका, फ्रांस और UK का विरोध

न्यूयॉर्क
पाकिस्तान में सक्रिय विद्रोही संगठन बलूच लिबरेशन आर्मी और उसकी मजीद ब्रिगेड को संयुक्त राष्ट्र की पाबंदी सूची 1267 में शामिल कराने के प्रस्ताव पर अमेरिका ने वीटो कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पाकिस्तान और उसके सदाबहार दोस्त चीन की ओर से इस प्रस्ताव को रखा गया था। इस पर अमेरिका ने वीटो लगा दिया। इसके अलावा ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देशों ने भी विरोध किया। इस तरह यह प्रस्ताव गिर गया। दरअसल संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध समिति 1267 के तहत यह प्रावधान है कि अलकायदा और इस्लामिक स्टेट से किसी भी तरह का ताल्लुक रखने वाले आतंकी संगठन पर पाबंदी लगाई जाती है।

ऐसे संगठनों की संपत्तियों को दुनिया भर में जब्त किया जा सकता है। इसी को लेकर अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने कहा कि जिस बलूच लिबरेशन आर्मी और उसके आत्मघाती दस्ते मजीद ब्रिगेड पर पाबंदी का प्रस्ताव है, उसका अलकायदा और इस्लामिक स्टेट से तो कोई संबंध ही नहीं है। ऐसे में इन दोनों को इस सूची में शामिल नहीं किया जा सकता। संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि आसिम इफ्तिखार अहमद ने बुधवार को कहा था कि अफगानिस्तान में अलकायदा, इस्लामिक स्टेट, तहरीक-ए-तालिबान, ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट, बलूच लिबरेशन आर्मी और मजीद ब्रिगेड के ठिकाने हैं।

पाकिस्तानी राजनयिक का दावा था कि अफगानिस्तान में इन संगठनों के कम से कम 60 ठिकाने हैं। लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने इस दलील के आधार पर पाबंदी से इनकार किया। अमेरिका ने साफ कहा कि बलूच लिबरेशन आर्मी का अलकायदा या फिर इस्लामिक स्टेट से कोई संबंध नहीं पाया गया। इसलिए इस सूची में शामिल नहीं किया जा सकता। हालांकि यह भी सही है कि अमेरिका ने बलूच लिबरेशन आर्मी और मजीद ब्रिगेड को आतंकी संगठन घोषित किया है। बलूचिस्तान में लंबे समय से स्वायत्तता की मांग उठती रही है। बलूच लिबरेशन आर्मी ने इस मांग को लेकर विद्रोह ही छेड़ रखा है।

बता दें कि भारत कई बार पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठनों पर पाबंदी की मांग कर चुका है, लेकिन चीन अकसर अड़ंगे लगाता रहा है। अब ऐसा पहली बार हुआ है, जब चीन और पाकिस्तान के साझा प्रयास को अमेरिका ने इस तरह झटका दिया है। उसके अलावा फ्रांस और ब्रिटेन ने भी विरोध किया है।

 

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