रघुराम राजन की सलाह: सरकार को अपनाना चाहिए ये कदम, भारत को मिलेगा बड़ा फायदा

Aug 31, 2025 - 11:44
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रघुराम राजन की सलाह: सरकार को अपनाना चाहिए ये कदम, भारत को मिलेगा बड़ा फायदा

नई दिल्ली 
आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने सुझाव दिया है कि सरकार को उन तेल रिफाइनर कंपनियों पर विंडफॉल टैक्स लगाना चाहिए, जिन्हें रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदकर बड़ा मुनाफा हो रहा है। उनका कहना है कि इस टैक्स से मिलने वाले पैसे का इस्तेमाल भारतीय एक्सपोर्टर्स (निर्यातकों) को मदद देने में किया जा सकता है, क्योंकि हाल ही में अमेरिका ने भारत पर भारी टैरिफ लगाए हैं, जिससे हमारे निर्यातक नुकसान झेल रहे हैं।

रेवेन्यू में भी इजाफा होगा
उन्होंने कहा कि ट्रंप के टैरिफ के कारण भारत के कई उद्योगों, खासकर छोटे और मझोले एक्सपोर्टर्स, पर दबाव बढ़ गया है और उनकी कमाई पर सीधा असर पड़ा है। राजन का मानना है कि यह कदम दोहरा फायदा देगा। एक तरफ सरकार को अतिरिक्त राजस्व मिलेगा और दूसरी तरफ़ निर्यातकों को राहत मिल सकेगी। इससे भारत की निर्यात क्षमता को सहारा मिलेगा और वैश्विक बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा बनी रहेगी।

राजन ने क्या कहा
राजन ने लिंक्डइन पर विंडफॉल टैक्स पर अपने विचार व्यक्त किए। वे कहते हैं, "क्या वे अब भी अतिरिक्त मुनाफा कमा रहे हैं? क्या हमें उस मुनाफे में से कुछ लेकर उन निर्यातकों को फायदा पहुंचाना चाहिए जो रूस से तेल खरीदने से नुकसान उठा रहे हैं।" वे कहते हैं, "क्यों न हम अपने रिफाइनरों पर उनके द्वारा खरीदे गए रूसी तेल के अनुपात में विंडफॉल टैक्स लगाएं और उसे अपने छोटे और मध्यम निर्यातकों को हस्तांतरित करें? इससे यह सुनिश्चित होगा कि भारत में जो लोग रूसी तेल से लाभान्वित होते हैं, वे भी इसका भुगतान करें, न कि दूसरों को भुगतान करने दें।"

रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और नायरा एनर्जी लिमिटेड के नेतृत्व वाली भारतीय रिफाइनर कंपनियां सितंबर में रूस से तेल खरीद में 10-20% या प्रतिदिन 150,000-300,000 बैरल की वृद्धि कर सकती हैं, रॉयटर्स ने गुरुवार (28 अगस्त 2025) को प्रारंभिक खरीद आंकड़ों से परिचित व्यापारियों का हवाला देते हुए बताया। रूस अधिक कच्चा तेल बेचने के लिए कीमतों में कटौती कर सकता है क्योंकि वे यूक्रेन के ड्रोन हमलों से क्षतिग्रस्त हुई रिफाइनरियों में उतना तेल संसाधित नहीं कर सकते। भारत के बिना, रूस को अपने निर्यात को मौजूदा स्तर पर बनाए रखने में कठिनाई होगी। इससे तेल निर्यात राजस्व में कमी आएगी, जिससे क्रेमलिन के बजट और यूक्रेन में रूस के जारी युद्ध का वित्तपोषण होता है।

 

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