रुपया डॉलर के मुकाबले हुआ कमजोर, 15 दिसंबर को 90.58 का रिकॉर्ड निचला स्तर

Dec 15, 2025 - 09:14
 0  6
रुपया डॉलर के मुकाबले हुआ कमजोर, 15 दिसंबर को 90.58 का रिकॉर्ड निचला स्तर

मुंबई
 डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 15 दिसंबर को अपने अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. शुरुआती कारोबार में रुपया 9 पैसे की गिरावट के साथ 90.58 प्रति डॉलर पर खुला. रुपये की इस ऐतिहासिक कमजोरी ने वित्तीय बाजारों में खलबली मचा दी है. विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा हालात में घरेलू और वैश्विक दोनों ही कारणों से रुपये पर दबाव बना हुआ है.

साल 2025 की शुरुआत में 1 जनवरी को रुपया 85.70 प्रति डॉलर के स्तर पर था. महज कुछ महीनों में इसमें 5 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की जा चुकी है. रुपये के कमजोर होने का सीधा असर देश के आयात बिल पर पड़ता है. भारत अपनी जरूरतों का बड़ा हिस्सा कच्चे तेल, गैस और सोने के रूप में विदेशों से मंगाता है. कमजोर रुपया इन सभी आयातों को महंगा बनाता है, जिसका बोझ अंततः आम उपभोक्ता तक पहुंचता है.

रुपये की गिरावट से पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर दबाव बढ़ सकता है और महंगाई में भी तेजी आने की आशंका रहती है. इसके अलावा विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्रों और विदेश यात्रा करने वालों के लिए खर्च पहले की तुलना में काफी बढ़ गया है. अब एक डॉलर खरीदने के लिए 90 रुपये से ज्यादा खर्च करने पड़ रहे हैं, जिससे विदेशी विश्वविद्यालयों की फीस, रहने-खाने और अन्य खर्चों में भारी इजाफा हो गया है.

रुपये में गिरावट की प्रमुख वजहें
विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिकी टैरिफ नीति को लेकर बनी अनिश्चितता रुपये की कमजोरी की बड़ी वजह है. अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर लगाए गए ऊंचे टैरिफ से निर्यात पर असर पड़ने की आशंका है, जिससे विदेशी मुद्रा की आवक घट सकती है. दूसरी ओर, जुलाई 2025 से अब तक विदेशी संस्थागत निवेशकों ने भारतीय बाजारों से बड़ी मात्रा में पूंजी निकाली है. इस बिकवाली के दौरान रुपये को डॉलर में बदलने से डॉलर की मांग बढ़ी और रुपया और कमजोर हो गया.

इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल और सोने की कीमतों में तेजी से भारत का आयात बिल बढ़ा है. कई कंपनियां और आयातक जोखिम से बचने के लिए डॉलर की हेजिंग कर रहे हैं, जिससे बाजार में डॉलर की मांग और बढ़ रही है.

RBI की नीति पर टिकी बाजार की नजर
बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार भारतीय रिजर्व बैंक का हस्तक्षेप अपेक्षाकृत सीमित रहा, जिससे रुपये की गिरावट तेज दिखाई दी. अब सभी की नजरें शुक्रवार को आने वाली RBI की मौद्रिक नीति पर टिकी हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि सेंट्रल बैंक रुपये में स्थिरता लाने के लिए जरूरी कदम उठा सकता है. तकनीकी तौर पर रुपया फिलहाल ओवरसोल्ड जोन में है, ऐसे में आने वाले दिनों में सीमित सुधार की संभावना भी जताई जा रही है.

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0