तेरे इश्क़ में’ रिव्यू: दिल्ली की सर्दियों में पिघलती एक गहरी प्रेमकथा, धनुष–कृति की बेहतरीन केमिस्ट्री ने रचा असर
आनंद एल राय निर्देशित ‘तेरे इश्क़ में’ इस हफ्ते रिलीज़ हुई फिल्मों में सबसे परिपक्व और संवेदनशील प्रेमकथा बनकर उभरती है। दिल्ली की सर्दियों की धुँध, हलचल और खामोशी—तीनों को निर्देशक ने कहानी में इस तरह पिरोया है कि शहर फ़िल्म का एक जीवंत किरदार बन जाता है। धनुष और कृति सैनन की जोड़ी इस रूमानी, भावनात्मक और खुरदुरी प्रेमकथा में ऐसा प्रभाव छोड़ती है, जिसे आसानी से भुलाया नहीं जा सकता।
कहानी: मोहब्बत, संघर्ष और आत्म-टूटन की दास्तान
फ़िल्म शंकर (धनुष) और मुक्ति (कृति सैनन) की कहानी है—दो ऐसे किरदार जिनकी दुनिया बाहर से साधारण लेकिन भीतर से उथल-पुथल से भरी है। दोनों अपने अलग संघर्षों, जख्मों और अधूरेपन के बीच मिलते हैं और एक-दूसरे में सुकून भी ढूँढते हैं और चुनौती भी।
आनंद एल राय रिश्तों की जटिलता दिखाने में माहिर हैं, और यहां भी उनका निर्देशन बेहद गहरा व संवेदनशील है। कहानी कहीं भी मेलोड्रामा में नहीं फँसती और वास्तविकता का स्वाद बनाए रखती है।
धनुष: अभिनय का सबसे मजबूत स्तंभ
धनुष इस फ़िल्म में भी वही कर दिखाते हैं जिसके लिए वे जाने जाते हैं—सटीक, सधा हुआ और दिल को छू लेने वाला अभिनय।
शंकर की खामोश पीड़ा, प्रेम में अनिश्चितता, और भीतर का संघर्ष—सब कुछ धनुष के चेहरे और आंखों से साफ झलकता है।
इंडिया गेट और पुरानी दिल्ली वाले सीन उनकी एक्टिंग का मास्टरक्लास साबित होते हैं।
कृति सैनन: करियर का एक अहम मोड़
कृति इस फिल्म में बेहद परिपक्वता के साथ उभरी हैं। मुक्ति का किरदार केवल रोमांटिक नहीं, बल्कि मजबूत, विद्रोही और सताया हुआ भी है। कृति ने इन सभी परतों को पकड़ने की पूरी कोशिश की है और कई दृश्यों में वे धनुष के सामने बराबरी पर खड़ी दिखती हैं।
दिल्ली: फ़िल्म का असली कैनवास
दिल्ली की सर्दियाँ शायद पहले कभी इतनी खूबसूरत और भावनात्मक रूप में पर्दे पर नहीं आईं।
धुँध, दीवारों की नमी, इंडिया गेट की रौनक और पुरानी दिल्ली की तंग गलियाँ—सब कुछ कहानी का मूड बनाते हैं।
आनंद एल राय शहर को सिर्फ लोकेशन के रूप में नहीं, बल्कि एक भावनात्मक फ्रेम के रूप में इस्तेमाल करते हैं।
संगीत: ए. आर. रहमान का संवेदनशील जादू
रहमान का संगीत फिल्म को आत्मा देता है।
इरशाद कामिल के गीत और रहमान की धुनें दिल की धड़कनों जैसा रिद्म बनाती हैं।
एक-दो गाने कहानी को खास ऊंचाई पर ले जाते हैं।
कमज़ोरियां
पहले 20 मिनट की धीमी गति
सेकंड हाफ में कुछ उपकथाएं पूरी तरह नहीं खुलतीं
भावनात्मक दृश्यों की अधिकता हर दर्शक को पसंद नहीं आएगी
इसके बावजूद फिल्म अपनी भावनात्मक ताकत बनाए रखती है।
निष्कर्ष: देखनी चाहिए या नहीं?
‘तेरे इश्क़ में’ उन लोगों के लिए है जो प्रेम को केवल रोमांस नहीं, बल्कि एक गहरी मानवीय यात्रा की तरह महसूस करना चाहते हैं।
धनुष और कृति सैनन शानदार हैं, और आनंद एल राय की कहानी कहने की शैली फिल्म को एक खूबसूरत अनुभव बनाती है।
दिल्ली की धुँध में लिपटी एक सुंदर, दर्दभरी और यादगार प्रेमकथा।
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