तीस हज़ारी–हाईकोर्ट–साकेत कोर्ट रूट पर DTC AC बस सेवा शुरू

Nov 21, 2025 - 18:11
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तीस हज़ारी–हाईकोर्ट–साकेत कोर्ट रूट पर DTC AC बस सेवा शुरू

वकीलों की सुविधा के लिए दिल्ली बार एसोसिएशन की पहल को बड़ी सफलता

दिल्ली के वकीलों की लंबे समय से चली आ रही परिवहन समस्या का समाधान अब शुरू हो गया है। दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (DTC) ने 21 नवंबर 2025 से तीस हज़ारी कोर्ट, दिल्ली हाईकोर्ट और साकेत कोर्ट के बीच सीधी एसी बस सेवा शुरू करने की घोषणा कर दी है। यह कदम उस विस्तृत मांग के बाद उठाया गया, जिसे दिल्ली बार एसोसिएशन के सदस्य कार्यकारिणी अधिवक्ता अमित कुमार राघव ने 4 जुलाई 2025 को लिखे पत्र में उठाया था।

 न्यायिक समुदाय के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने भी दिया समर्थन

इस महत्वपूर्ण पहल को गति देने में दिल्ली न्यायपालिका और बार से जुड़े कई वरिष्ठ अधिकारियों व प्रतिनिधियों का भी योगदान रहा। इनमें शामिल हैं:

1. अदिति चौधरी – जिला एवं सत्र न्यायाधीश (पश्चिम)

2. बिनीता गोयल – जिला एवं सत्र न्यायाधीश

3. वी. के. दहिया – जिला एवं सत्र न्यायाधीश

4. सोमन चौधरी – डिपो प्रबंधक, राजघाट डिपो, दिल्ली

5. डी. के. शर्मा – अध्यक्ष, तीस हज़ारी कोर्ट

6. विकास गोयल – सचिव, दिल्ली बार एसोसिएशन,
तथा दिल्ली बार एसोसिएशन की पूरी कार्यकारिणी समिति

इन सभी के सहयोग, समर्थन और फॉलो-अप ने विषय को प्रशासन के उच्च स्तर तक पहुंचाया, जिसके बाद DTC ने गति से कार्यवाही की।

 नई घोषित कोर्ट कनेक्टिविटी बस सेवाएँ

1. रूट 501A — साकेत कोर्ट → दिल्ली हाईकोर्ट

मार्ग: चिराग दिल्ली मेट्रो, सिरी फोर्ट, मोलड़ाबांद, लाजपत नगर मेट्रो, जंगपुरा, ओबेरॉय होटल, जू → हाईकोर्ट

2. रूट 502A — तीस हज़ारी कोर्ट → दिल्ली हाईकोर्ट

मार्ग: कश्मीरी गेट मेट्रो, जीपीओ, लाल किला, जामा मस्जिद, दिल्ली गेट, ITO मेट्रो, सुप्रीम कोर्ट, NGT–CAT डेबोर्डिंग → हाईकोर्ट

 एक महीने का ट्रायल, बाद में विस्तार पर विचार

इन बस सेवाओं को एक माह के प्रायोगिक आधार पर शुरू किया गया है। फीडबैक और प्रदर्शन के आधार पर सेवा को आगे स्थायी रूप से विस्तारित किया जा सकता है।

 अमित कुमार राघव के प्रयासों का DTC ने आधिकारिक रूप से किया उल्लेख

DTC द्वारा जारी नोटिफिकेशन में स्पष्ट लिखा गया है कि यह सेवा अमित कुमार राघव अधिवक्ता द्वारा भेजे गए पत्र और सुझावों के संदर्भ में शुरू की गई है।
कानूनी बिरादरी ने इसे एक “ऐतिहासिक कदम और वकीलों के लिए बड़ी राहत” बताया है।

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