7 दिन पहले ही लंदन जाने वाले थे विजय रुपाणी, उपचुनाव के प्रचार अभियान के कारण दौरा टालना पड़ा था

Jun 14, 2025 - 13:44
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7 दिन पहले ही लंदन जाने वाले थे विजय रुपाणी, उपचुनाव के प्रचार अभियान के कारण दौरा टालना पड़ा था

अहमदाबाद
गुजरात के दो बार मुख्यमंत्री रहे विजय रुपाणी की गुरुवार को अहमदाबाद में एयर इंडिया में विमान हादसे में निधन हो गया। वह अपनी बेटी से मिलने लंदन जा रहे थे। बताया जा रहा है कि उनका प्लान एक हफ्ते पहले ही लंदन जाने का था लेकिन फिर चुनाव प्रचार के चलते उन्हें थोड़े दिनों के लिए प्लान टालना पड़ा।

जानकारी के मुताबिक विजय रुपाणी पहले 5 जून को अपनी बेटी से मिलने लंदन जाने वाले थे। उनके साथ उनकी पत्नी भी जाने वाली थी। लेकिन रुपाणी को जो पंजाब प्रभारी भी है, लुधियाना पश्चिम उपचुनाव के प्रचार अभियान के कारण अपनी दौरा टालना पड़ा। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य पार्टी प्रमुख सुनील जाखड़ ने बताया कि 5 जून को उनकी पत्नी तो लंदन चली गईं लेकिन वह रह गए और फिर उन्होंने 12 जून की तारीख तय की लेकिन उनका वो सफर कभी पूरा हो ही नहीं पाया। 12 जून को अहमदाबाद से लंदन जाने वाला विमान टेकऑफ के कुछ मिनटों बाद ही दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विजय रुपाणी भी इसी फ्लाइट में मौजूद थे जिसमें अन्य यात्रियों के साथ उनकी भी दर्दनाक मौत हो गई।

विजय रुपाणी के भाई ने क्या कहा?
गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के रिश्ते के भाई विपुल को अपने भाई की मौत के बारे में दिन में बाद में उनके एक पारिवारिक सदस्य द्वारा सोशल मीडिया ग्रुप पर की गई पोस्ट से पता चला। विपुल ने शुक्रवार को बताया, मैंने एक अभिभावक खो दिया, जो मेरे और कोलकाता में परिवार के अन्य सदस्यों के साथ हर अच्छे-बुरे समय में खड़ा रहा। दिवंगत भाजपा नेता के बड़े भाई उम्मेद रुपाणी सहित रुपाणी परिवार के लगभग 25 सदस्य पीढ़ियों से कोलकाता और निकटवर्ती हावड़ा के विभिन्न हिस्सों में रहते आए हैं, जबकि विजय रुपाणी पढ़ाई के लिए राजकोट चले गए और गुजरात में बस गए। दिवंगत नेता को अपना बड़ा भाई बताते हुए विपुल ने पिछले साल एक पारिवारिक समारोह में शामिल होने के लिए उनकी कोलकाता यात्रा को याद किया।

उन्होंने कहा, पिछली बार वह (विजय) कोलकाता एक साल पहले आए थे, जब वह अपने बड़े भाई उम्मेद के साथ हाजरा में उनके घर पर रुके थे, जहां मैं रहता हूं, उससे ज़्यादा दूर नहीं। हमने खूब बातें कीं और साथ में खूब मौज-मस्ती की। उस समय वह गुजरात के राजनीतिक नेता नहीं थे, लेकिन वह सभी को अपना करीबी रिश्तेदार मानते थे।

 

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