समुद्री सुरक्षा में नया मोर्चा: राजनाथ सिंह बोले- एआई व साइबर डिफेंस अब अनिवार्य

Sep 29, 2025 - 17:44
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समुद्री सुरक्षा में नया मोर्चा: राजनाथ सिंह बोले- एआई व साइबर डिफेंस अब अनिवार्य

नई दिल्ली
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चेताया कि समुद्री खतरे अब तकनीकी और बहुआयामी हो गए हैं। जीपीएस स्पूफिंग, रिमोट कंट्रोल बोट, एन्क्रिप्टेड संचार, ड्रोन और डार्क वेब के जरिए आपराधिक गतिविधियां संचालित हो रही हैं। राजनाथ सिंह ने कहा कि बंदरगाह, शिपिंग लेन और ऊर्जा अवसंरचना भारत की अर्थव्यवस्था की जीवनरेखा हैं। समुद्री व्यापार में, भौतिक हो या साइबर, किसी भी तरह की बाधा का सीधा असर राष्ट्रीय सुरक्षा और अर्थव्यवस्था दोनों पर पड़ता है। इसलिए आर्थिक सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा को एक ही नजरिए से देखने की आवश्यकता है। नई दिल्ली स्थित तटरक्षक मुख्यालय में 29 सितंबर को उन्होंने 42वीं भारतीय तटरक्षक कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन किया। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में तटरक्षक के वरिष्ठ अधिकारी रणनीतिक, परिचालन और प्रशासनिक प्राथमिकताओं पर मंथन कर रहे हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय तटरक्षक आज राष्ट्रीय सुरक्षा का अहम स्तंभ है। यह बल अपनी स्थापना के समय सीमित संसाधनों से शुरू होकर आज 152 जहाजों और 78 विमानों के साथ एक मजबूत संगठन बन चुका है। उन्होंने बताया कि तटरक्षक बल ने अब तक 1,638 विदेशी पोतों और 13,775 विदेशी मछुआरों को अवैध गतिविधियों में पकड़ा है तथा 6,430 किलोग्राम मादक पदार्थ जब्त किए हैं। जब्त किए गए इन मादक पदार्थों का मूल्य 37,833 करोड़ रुपए है। केवल इस वर्ष जुलाई तक 76 खोज एवं बचाव अभियानों में 74 लोगों की जान बचाई गई है। स्थापना से अब तक तटरक्षक बल 14,500 से अधिक लोगों का जीवन सुरक्षित कर चुका है।

राजनाथ सिंह ने तटरक्षक की अनूठी भूमिका रेखांकित करते हुए कहा कि यह बल बाहरी और आंतरिक सुरक्षा दोनों के संगम पर कार्य करता है। सशस्त्र बल जहां बाहरी खतरों से देश की रक्षा करते हैं और अन्य एजेंसियां आंतरिक सुरक्षा देखती हैं, वहीं तटरक्षक दोनों मोर्चों पर सक्रिय है। अवैध मछली पकड़ना, ड्रग्स व हथियारों की तस्करी, मानव तस्करी, प्रदूषण और समुद्री अपराधों पर लगाम कसने में इसकी भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। रक्षा मंत्री ने तटरक्षक की मानवीय संवेदनशीलता की सराहना करते हुए कहा कि चक्रवात, तेल रिसाव, औद्योगिक दुर्घटनाओं या विदेशी जहाजों की मुसीबत में तटरक्षक बल ने हमेशा तत्परता से प्रतिक्रिया दी है।
उन्होंने कहा, “दुनिया भारत को ऐसे संकटों में हमारी प्रतिक्रिया से आंकती है और तटरक्षक बल ने हर बार देश का मान बढ़ाया है।” उन्होंने महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में तटरक्षक बल की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि अब महिलाएं केवल सहयोगी भूमिकाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि पायलट, ऑब्जर्वर, हवरक्राफ्ट ऑपरेटर, एयर ट्रैफिक कंट्रोलर, लॉजिस्टिक्स और विधि अधिकारी के रूप में अग्रिम मोर्चे पर सेवा दे रही हैं। यह बदलाव “समावेशी भागीदारी की दृष्टि” को दर्शाता है। रक्षा मंत्री ने तटरक्षक बल से 2047 तक के लिए एक भविष्यवादी रोडमैप तैयार करने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि युद्ध अब महीनों में नहीं बल्कि घंटों और सेकंडों में तय हो रहे हैं, जहां उपग्रह, ड्रोन और सेंसर निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं। ऐसे में तैयारियों, अनुकूलन और त्वरित प्रतिक्रिया को तटरक्षक की दृष्टि का आधार बनाना होगा। रक्षा मंत्री ने कहा कि तटरक्षक के आधुनिकीकरण में सरकार लगभग 90 प्रतिशत पूंजीगत बजट स्वदेशी साधनों पर खर्च कर रही है। जहाज और विमान निर्माण, मरम्मत और रखरखाव का काम अब देश में ही हो रहा है। इससे न केवल सुरक्षा मजबूत हुई है बल्कि भारतीय जहाज निर्माण उद्योग और अर्थव्यवस्था को भी बल मिला है। इस सम्मेलन में परिचालन प्रदर्शन, लॉजिस्टिक्स, मानव संसाधन विकास, प्रशिक्षण और प्रशासन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हो रही है। इंजीनियर-इन-चीफ सहित रक्षा मंत्रालय और तटरक्षक बल के वरिष्ठ अधिकारी इसमें भाग ले रहे हैं।

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