पंजाब में बाढ़ का कहर! 1996 गांव डूबे, 46 मौतें और 1.75 लाख हेक्टेयर फसल बर्बाद

लुधियाना
पंजाब में इस समय भारी तबाही का मंजर है. लोग बेघर हो गए हैं. उनके आशियाने उजड़ गए हैं. विनाशकारी बाढ़ में कई लोगों की मौत हो गई. मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक बाढ़ में मरने वालों की संख्या बढ़कर 46 हो गई है, जबकि 1.75 लाख हेक्टेयर जमीन पर खड़ी फसलें बर्बाद हो गई हैं. NDRF, BSF, सेना, पंजाब पुलिस और जिला प्रशासन की टीमें लगातार राहत बचाव कार्यों में जुटी हुई हैं.
जहां पंजाब दशकों में आई सबसे ज्यादा भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है. वहीं हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में कम तबाही नहीं मची हुई है. भारी बारिश के कारण सतलुज, ब्यास और रावी नदियों और मौसमी नालों के उफान के चलते यह स्थिति बनी हुई है. इसके अलावा पंजाब में हुई भारी बारिश ने हालात को और गंभीर कर दिया, जिससे लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.
बांधों पर पानी का जलस्तर
अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक शनिवार को पोंग बांध के जलस्तर में मामूली कमी 1,394.19 फुट दर्ज की गई. हालांकि, यह अब भी अधिकतम सीमा 1,390 फुट से चार फुट ऊपर है. शुक्रवार को बांध में पानी का प्रवाह 99,673 क्यूसेक था, जो घटकर 47,162 क्यूसेक रह गया. वहीं भाखड़ा बांध में शनिवार को जलस्तर 1,678.14 फुट दर्ज किया गया, जो शुक्रवार को 1,678.47 फुट था. सतलुज नदी पर बने इस बांध में पानी का प्रवाह 62,481 क्यूसेक और निकासी 52,000 क्यूसेक रही.
पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने राज्य में बाढ़ को पांच दशकों में आई सबसे ज्यादा भीषण बताया. उन्होंने कहा कि पंजाब और पड़ोसी पहाड़ी राज्यों में लगातार हुई बारिश ने भारी तबाही मचाई हुई है, जिससे सभी जिलों के लगभग 2,000 गांव प्रभावित हुए हैं. 3.87 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं और 46 मौतों की जानकारी अभी तक सामने आई है. 1 अगस्त से 5 सितंबर के बीच 14 जिलों से 43 मौतें दर्ज की गई थीं और 23 जिलों के 1,996 गांव बाढ़ से प्रभावित हुए हैं.
कहां हुई सबसे ज्यादा मौतें?
सबसे ज्यादा मौतें होशियारपुर और अमृतसर में 7-7 हुईं. पठानकोट में 6, बरनाला में 5, लुधियाना और बठिंडा में 4-4, मानसा में 3, गुरदासपुर, रूपनगर और एसएएस नगर में 2-2 और पटियाला, संगरूर, फाजिल्का और फिरोजपुर से 1-1 मौतें दर्ज की गईं. पठानकोट में 3 लोग लापता हैं. अधिकारियों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से जिले में पानी खतरनाक स्तर पर है और लगातार बाढ़ से गांवों में रहने वाले लोगों की मुश्किलें लगातार बढ़ रही हैं.
अधिकारियों के मुताबिक अब तक 22,854 लोगों को प्रभावित इलाकों से निकाला जा चुका है. वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा चीमा ने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि क्षेत्र को 18 जिलों में भारी नुकसान हुआ है. इसके अलावा बुनियादी ढांचे मकानों और पशुओं को भी बड़ा नुकसान पहुंचा है. उन्होंने बताया कि घग्गर नदी का जलस्तर भी 750 फुट के खतरे के निशान को पार कर गया है.
रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी
पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने ये भी बताया कि पूरे राज्य में लगभग 200 राहत शिविर लगाए गए हैं, जहां 7,000 से ज्यादा विस्थापित लोगों को रखा गया है. NDRF की 24 और SDRF की दो टीमें, 144 बोट की मदद से रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही हैं. वहीं होशियारपुर में टांडा और मुकेरियां उप-विभागों के निचले इलाकों में भारी नुकसान हुआ है, जहां धान, गन्ना और मक्का जैसी फसलों को भारी क्षति हुई है.
डिप्टी कमिश्नर आशिका जैन ने कहा कि नुकसान का आकलन करने के लिए डिटेल्ड सर्वे कराया जा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रभावित परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा और समय पर राहत और बचाव कार्य सुनिश्चित करने के लिए सभी विभाग अच्छे से काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हालात काबू में हैं. इस बीच, कपूरथला जिले के डिप्टी कमिश्नर अमित कुमार पंचाल ने बताया कि ब्यास नदी में पानी का प्रवाह 1.72 लाख क्यूसेक दर्ज किया गया है.
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