क्या CM की कुर्सी सिर्फ सपना रह जाएगी तेजस्वी के लिए? कांग्रेस की रणनीति पर उठे सवाल

पटना
सारा श्रृंगार किया पर ‘घेघा’ बिगाड़ दिया…बिहार के ग्रामीण अंचलों में ये कहावत काफी लोकप्रिय है. इसका उपयोग वैसे संदर्भों में किया जाता है जब ‘अज्ञानता वश’ किसी के पूरे परिश्रम पर पानी फिर जाता है. बिहार चुनाव के संदर्भ में क्या महागठबंधन के साथ यही कुछ होने जा रहा है? दरअसल, वोट चोरी और बिहार एसआईआर के मुद्दे पर जिस तरह से राहुल गांधी ने आक्रामक रूप दिखाया और एनडीए सरकार के विरुद्ध तमाम माहौल बनाया, क्या यह बिहार में फलीभूत होता हुआ दिख रहा है? 16 अगस्त से लेकर 3 सितंबर तक राहुल गांधी ने बिहार की यात्रा भी की, तेजस्वी यादव को भी साथ लिया और पूरी आक्रामकता से जदयू-भाजपा सरकार पर जोरदार प्रहार भी किए, लेकिन इसका परिणाम क्या हुआ? टाइम्स नाउ और जेवीसी की ताजा चुनावी सर्वे रिपोर्ट इसकी परतें खोलती है जो कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है!
कांग्रेस की सियासी जमीन और खिसकी
दरअसल कांग्रेस ने बिहार में कांग्रेस की मिट्टी पलीद हो जाने की तस्वीर इस सर्वे में दिखाई गई है. खास बात यह कि बीते 2020 के चुनाव से भी बदतर नतीजे कांग्रेस के लिए इस ताजा सर्वे में दिखाए जा रहे हैं. सर्वेक्षण से पता चलता है कि कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी का ‘वोट चुराने’ का अभियान मतदाताओं को रास नहीं आया है और 52 प्रतिशत लोगों ने विशेष जांच के आरोपों को निराधार बता दिया है. खास बात तो यह है कि सीटों के आंकड़े ऐसे हैं जो कांग्रेस की सियासी जमीन ही उसके पैरों तले से खिसका देने वाली है.
नीतीश-तेजस्वी की टक्कर में कांग्रेस गुम!
बता दें कि बिहार चुनाव 2025 जनमत सर्वेक्षण में जेवीसी पोल के अनुसार, इस साल नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) को 53 सीटें मिलने की उम्मीद है. दूसरी ओर, भाजपा को 71 सीटें मिलने की संभावना है, जबकि राजद को 74 सीटें मिलने की उम्मीद है. यानी राजद और भाजपा बराबरी की टक्कर में है और पिछले चुनाव की तुलना में जदयू भी बढ़ता हुआ दिख रहा है और 10 सीटें अधिक आने का अनुमान है. लेकिन, सवाल कांग्रेस को लेकर है कि आखिर देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी का बिहार में क्या होने वाला है?
सर्वे की बड़ी तस्वीर, कांग्रेस की कमजोर नींव
बता दें कि ओपिनियन पोल में सीटों की संख्या के मामले में एनडीए महागठबंधन पर मज़बूत बढ़त बनाए हुए है. जेवीसी पोल के अनुसार, एनडीए को 131-150 सीटें मिलने की उम्मीद है, जिसमें भाजपा को 66-77 सीटें, जेडी(यू) को 52-58 सीटें और एनडीए के अन्य सहयोगियों को 13-15 सीटें मिल सकती हैं. वहीं, सर्वेक्षण में महागठबंधन के लिए अनुमान लगाया गया है कि राजद को 57-71 सीटें मिल सकती हैं, उसके बाद कांग्रेस को 11-14 सीटें और अन्य को 13-18 सीटें मिल सकती हैं. इस तरह विपक्षी गठबंधन की कुल सीटों की संख्या 81-103 हो जाती है.
सीएम फेस की रेस में तेजस्वी से आगे नीतीश
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी को 4-6 सीटें मिलने का अनुमान है, जबकि एआईएमआईएम, बसपा और अन्य को 5-6 सीटें मिलने का अनुमान है. सर्वेक्षण की सबसे खास बात यह है कि ये ओपिनियन पोल नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के लिए सकारात्मक संदेश दे रहे हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी पार्टी और बिहार में अपना जनाधार खोने की अफवाहों के विपरीत, बिहार चुनाव से पहले एक नए सर्वेक्षण से पता चलता है कि जेडीयू को 2020 की तुलना में अधिक सीटें मिलने की संभावना है. नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री पद के लिए सबसे पसंदीदा नेता बनकर उभरे हैं.
चुनावी समीकरण और वोट शेयर का गणित
जेवीसी पोल के अनुसार, इस साल नवंबर में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में जनता दल (यूनाइटेड) को 53 सीटें मिलने की उम्मीद है। यह 2020 की तुलना में दस सीटें ज़्यादा है और इस साल अगस्त में किए गए सर्वेक्षण के अपने अनुमान से लगभग दोगुनी है. पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा और राजद ने क्रमशः 74 और 75 सीटें जीती थीं. वोट शेयर की बात करें तो एनडीए को 41-45 प्रतिशत वोट मिलने की उम्मीद है, जबकि महागठबंधन को 37-40 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है.
बिहार चुनाव में प्रशांत किशोर का एक्स-फैक्टर
जेवीसी सर्वे के अनुसार, प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी, जिसे कई लोग आगामी चुनावों में ‘एक्स-फैक्टर’ मानते हैं, 10-11 प्रतिशत वोट शेयर के साथ अच्छा प्रदर्शन कर सकती है. दूसरी ओर, कांग्रेस को एक और झटका लग सकता है. मुख्यमंत्री के सवाल पर, अधिकांश उत्तरदाताओं ने नीतीश को प्राथमिकता दी, 27 प्रतिशत ने उन्हें वोट दिया. राजद के तेजस्वी यादव 25 प्रतिशत वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. इसके बाद प्रशांत किशोर (15%), चिराग पासवान (11%) और सम्राट चौधरी (8 प्रतिशत वोट) हैं.
राहुल की रणनीति पर सवाल, तेजस्वी की टेंशन
राहुल गांधी ने वोट चोरी और एसआईआर मुद्दे पर जमकर आक्रामकता दिखाई, लंबा दौरा किया, तेजस्वी यादव को साथ लिया और एनडीए सरकार को घेरा भी. लेकिन, सर्वे बताता है कि मतदाताओं को यह रणनीति रास नहीं आई. उल्टे, कांग्रेस की सियासी ज़मीन और खिसकती दिख रही है. राहुल गांधी की रणनीति को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. सवाल यह भी कि क्या बिहार के चुनावी रण में कांग्रेस फिर वही गलती दोहराने जा रही है जो राजद और तेजस्वी यादव के लिए सेटबैक साबित होने जा रही है. जाहिर है बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर आए ताज़ा जेवीसी सर्वे ने कांग्रेस की चिंता और गहरी कर दी है.
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