केरल में दिमाग खाने वाला अमीबा: 19 मौतों के बाद जानें कारण, लक्षण और बचाव

Sep 19, 2025 - 15:14
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केरल में दिमाग खाने वाला अमीबा: 19 मौतों के बाद जानें कारण, लक्षण और बचाव

केरल 
पिछले कुछ समय से केरल राज्य एक जीवित सूक्ष्मजीव के कारण दहशत झेल रहा है। बता दें, इस सूक्ष्मजीव का नाम नेगलेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri) है, जिसे आम बोलचाल की भाषा में 'दिमाग खाने वाला अमीबा' कहा जाता है। हाल ही में केरल में ब्रेन ईटिंग अमीबा के लगभग 67 से अधिक मामले सामने आए हैं, जिनमें 19 लोगों की मौतें हो चुकी हैं। ब्रेन ईटिंग अमीबा के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल और राज्य स्वास्थ्य विभाग ने अपनी निगरानी बढ़ा दी है। बताया जा रहा है कि यह गंभीर संक्रमण नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करके मस्तिष्क के ऊतकों को नष्ट कर देता है। आइए जानते हैं आखिर क्या है दिमाग खाने वाला यह अमीबा, इसके लक्षण, कारण और बचाव के उपाय।
क्या है ब्रेन ईटिंग अमीबा

ब्रेन ईटिंग अमीबा नेग्लेरिया फाउलेरी नामक एक सूक्ष्म अमीबा के संक्रमण से होता है। यह साइज में बहुत छोटा होने की वजह से नाक के जरिए शरीर में प्रवेश करके सीधा दिमाग में पहुंच जाता है। दिमाग के टिशू जो पहले से ही काफी मुलायम होते हैं, यह अमीबा उन्हें धीरे-धीरे गलाना शुरू कर देता है, जिसकी वजह से 98 प्रतिशत संक्रमित लोग जिंदा नहीं बच पाते हैं।

ब्रेन ईटिंग अमीबा के कारण
डॉक्टरों की मानें तो बढ़ते तापमान के कारण अमीबिक मेनिन्जाइटिस के मामले बढ़ रहे हैं। गर्म परिस्थितियां इस रोगाणु के लिए आदर्श प्रजननस्थल बनाती हैं। ब्रेन ईटिंग अमीबा आमतौर पर गर्म, मीठे पानी वाले स्थानों जैसे झील, तालाब, गर्म पानी के स्विमिंग पूल, या टैंक में पाया जाता है। वॉटर एक्टिविटीज के दौरान इसके मनुष्यों के संपर्क में आने की संभावना बढ़ जाती है। संक्रमित पानी के छींटे या स्नान के दौरान यह नाक के मार्ग से मस्तिष्क तक पहुंच जाता है।

ब्रेन ईटिंग अमीबा के लक्षण
अमीबिक मेनिन्जोएन्सेफलाइटिस के शुरुआती लक्षण सामान्य फ्लू के समान हो सकते हैं। जो आमतौर पर संक्रमण के लगभग 9 दिन बाद दिखाई देने लगते हैं। जैसे कि-
-तेज बुखार
-ठंड लगना
-सिरदर्द
-मतली और उल्टी
-गर्दन में अकड़न
- रोशनी से डर
-दौरे
- नींद में बदलाव और चक्कर

ब्रेन ईटिंग अमीबा से बचाव
यह संक्रमण तेजी से मस्तिष्क को प्रभावित करता है। यदि समय पर इलाज न किया जाए तो 48 से 72 घंटे में मृत्यु तक हो सकती है। लेकिन समय रहते एमआरआई समेत बाकी जांच करवाकर इस बीमारी का इलाज करवाया जा सकता है। ब्रेन ईटिंग अमीबा के इलाज के दौरान डॉक्टर आमतौर पर एंटी-एमीबिक दवाओं और सहायक देखभाल का उपयोग करते हैं, लेकिन बहुत कम मामलों में ही मरीज पूरी तरह ठीक हो पाता है।

 

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