झारखंड में शुरू होगी कैशलेस ट्रीटमेंट स्कीम-2025, एंबुलेंस खर्च भी सरकार उठाएगी

Jul 12, 2025 - 17:44
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झारखंड में शुरू होगी कैशलेस ट्रीटमेंट स्कीम-2025, एंबुलेंस खर्च भी सरकार उठाएगी

मेदिनीनगर (पलामू)
सड़क दुर्घटनाओं में घायल होने वाले लोगों को अब इलाज के लिए आर्थिक संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा। केंद्र सरकार की कैशलेस ट्रीटमेंट स्कीम-2025 के तहत 1.5 लाख रुपये तक का इलाज पूरी तरह मुफ्त मिलेगा। इलाज का पूरा खर्च केंद्र सरकार वहन करेगी और भुगतान ऑनलाइन माध्यम से सीधे अस्पताल को किया जाएगा। योजना के तहत घायल व्यक्ति को दुर्घटना की तिथि से अधिकतम सात दिनों तक कैशलेस इलाज की सुविधा दी जाएगी।

इसमें किसी बीमा दस्तावेज, एडवांस राशि या अन्य औपचारिकताओं की आवश्यकता नहीं होगी। झारखंड सरकार ने योजना को राज्य में लागू करने के लिए प्रक्रिया आरंभ कर दी है। सभी जिलों को पत्र भेजकर नोडल पदाधिकारी नामित करने को कहा गया है। जानकारी के अनुसार, जिले में सिविल सर्जन को नोडल पदाधिकारी बनाए जाने की संभावना है। योजना का एक पोर्टल भी विकसित किया जा रहा है, जिसमें प्रत्येक जिले के उपायुक्त के नाम से लॉगिन आईडी बनाई जाएगी।

कैशलेस इलाज की स्वीकृति जांच प्रक्रिया पूर्ण होने और उपायुक्त के आदेश के बाद ही दी जाएगी। आने वाले महीनों में यह योजना पलामू में लागू हो सकती है। इसके शुरू होने से सड़क हादसे में घायल व्यक्ति को तत्काल इलाज का लाभ मिल सकेगा और आर्थिक तंगी इलाज में बाधा नहीं बनेगी।

जांच में यदि दुर्घटना संदिग्ध पाई गई तो नहीं मिलेगा लाभ
योजना के तहत दुर्घटना की पुष्टि संबंधित थाने की पुलिस द्वारा की जाएगी। पुलिस अधिकारी को मौके पर पहुंचकर घायल को अस्पताल भेजने में सहायता करनी होगी और 24 घंटे के भीतर टीएमएस पोर्टल पर प्रारंभिक ईडीएआर विवरण अपलोड करना अनिवार्य होगा। यदि सत्यापन में यह पाया गया कि मरीज सड़क दुर्घटना का शिकार नहीं है, तो उसे इलाज की पूरी लागत स्वयं चुकानी होगी। योजना का लाभ केवल उसी स्थिति में मिलेगा जब घायल व्यक्ति को दुर्घटना के 24 घंटे के भीतर अस्पताल में भर्ती करा दिया गया हो। इसके बाद भर्ती होने पर योजना का लाभ नहीं मिलेगा।

पीड़ित को दुर्घटनास्थल से अस्पताल तक पहुंचाने के लिए इस्तेमाल की गई एंबुलेंस का किराया भी योजना के तहत भुगतान किया जाएगा। इसके लिए परिजनों को कोई राशि नहीं देनी होगी। इस योजना के लागू होने से सड़क हादसे के बाद समय पर इलाज संभव हो सकेगा और इलाज में देरी के कारण होने वाली मौतों में कमी आ सकती है। गरीब और जरूरतमंद परिवारों के लिए यह योजना जीवनरक्षक साबित हो सकती है।

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