गरियाबंद में माओवादी नेटवर्क को बड़ा झटका, 10-10 लाख के दो इनामी नक्सलियों ने किया सरेंडर

Dec 13, 2025 - 16:44
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गरियाबंद में माओवादी नेटवर्क को बड़ा झटका, 10-10 लाख के दो इनामी नक्सलियों ने किया सरेंडर

गरियाबंद
छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत 10 लाख के दो इनामी माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है। छत्तीसगढ़ सरकार और शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति तथा पुलिस की सतत अपील से प्रभावित होकर प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के डीजीएन डिवीजन में सक्रिय दो माओवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ते हुए आत्मसमर्पण किया। आत्मसमर्पण करने वालों में एसडीके एरिया कमेटी सदस्य संतोष उर्फ लालपवन और सीनापाली एरिया कमेटी सदस्य मंजू उर्फ नंदे शामिल हैं। दोनों पर कुल 10 लाख रुपए का इनाम घोषित था।

संतोष उर्फ लालपवन मूलतः बीजापुर जिले का निवासी है, जो वर्ष 2005 से माओवादी संगठन में सक्रिय था। वह विभिन्न दलम, प्लाटून और एरिया कमेटियों में कार्य करते हुए लंबे समय तक सीसी स्तर के नेताओं की सुरक्षा टीम में भी शामिल रहा। गरियाबंद और ओडिशा सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय रहते हुए वह कई गंभीर नक्सली घटनाओं, आईईडी ब्लास्ट और मुठभेड़ों में शामिल रहा, जिनमें पुलिस बल को नुकसान पहुंचा। इसके बाद में वह एसडीके और उदंती एरिया कमेटी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रहा था। वहीं, मंजू उर्फ नंदे सुकमा जिले की रहने वाली है और वर्ष 2002 से संगठन से जुड़ी थी। बाल संगठन से लेकर एलओएस, सीएनएम और एरिया कमेटी तक का सफर तय करते हुए वह सीनापाली एरिया कमेटी की सदस्य बनी। गरियाबंद-नुआपाडा सीमावर्ती क्षेत्रों में सक्रिय रहते हुए वह भी कई मुठभेड़ों में शामिल रही, जिनमें अनेक माओवादी मारे गए।

आत्मसमर्पण के दौरान दोनों माओवादियों ने बताया कि संगठन की विचारधारा खोखली हो चुकी है। जंगलों में कठिन जीवन, लगातार हिंसा, बीमारी और असुरक्षा के बीच भविष्य अंधकारमय हो गया था। दूसरी ओर शासन की आत्मसमर्पण-पुनर्वास नीति के तहत मिलने वाली आर्थिक सहायता, आवास, स्वास्थ्य और रोजगार सुविधाओं तथा पहले आत्मसमर्पण कर चुके साथियों के बेहतर जीवन से वे प्रभावित हुए। गरियाबंद पुलिस द्वारा गांव-गांव में चलाए गए प्रचार और अपील ने भी उन्हें यह कदम उठाने के लिए प्रेरित किया। गरियाबंद पुलिस ने दोनों के आत्मसमर्पण को बड़ी सफलता बताते हुए क्षेत्र में सक्रिय अन्य माओवादियों से भी अपील की है कि वे हिंसा का मार्ग छोड़कर नजदीकी थाना, चौकी या कैंप में आत्मसमर्पण कर समाज की मुख्यधारा में लौटें, जिससे आने वाले दिनों में उनको काफी फायदा होने वाला है।

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