छह दशक की सेवा के बाद मिग-21 सितंबर में होगा रिटायर, भारतीय वायुसेना को कहेगा अलविदा

Jul 23, 2025 - 03:44
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छह दशक की सेवा के बाद मिग-21 सितंबर में होगा रिटायर, भारतीय वायुसेना को कहेगा अलविदा

नई दिल्ली
 हिंदुस्तान के आसमान में 60 और 70 के दशक में अपनी बादशाहत कायम रखने वाला फाइटर जेट मिग-21 सिंतबर में रिटायर हो रहा है। पैंथर्स के नाम से मशहूर 23 स्क्वाड्रन ने भारत के हर छोटे-बड़े युद्ध में हिस्सा लिया। 60 वर्षों से अधिक समय तक भारतीय वायुसेना का हिस्सा रहने के बाद इसे अब 19 सितंबर को चंडीगढ़ एयरबेस पर एक समारोह में विदाई दे दी जाएगी। जानते हैं 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल होने के बाद कैसा रहा मिग-21 का सफर...

मिग-21 लड़ाकू विमान का इतिहास मिला-जुला रहा। इस फाइटर जेट को भारत ने सोवियत संघ से खरीदा था। इसके बाद इसे 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया। भारतीय वायुसेना में शामिल होने के बाद हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने इसके कई विमान भारत में बनाए। 1960 और 70 के दशक में मिग-21 स्क्वाड्रन की आकाश में मौजूदगी से उस समय भारतीय वायुसेना को रणनीतिक बढ़त मिली। 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध, 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति, 1999 में कारगिल युद्ध और 2019 में बालाकोट स्ट्राइक में मिग-21 का अहम योगदान रहा। अभी चल रहे ऑपरेशन सिंदूर में भी मिग-21 स्क्वाड्रन अलर्ट मोड में है।

हादसों के बाद दिया गया 'उड़ता ताबूत' नाम
जहां एक तरफ 60-70 के दशक में आकाश में अपनी मौजूदगी से भारतीय वायुसेना को मिग-21 ने सशक्त किया। वहीं दूसरी ओर समय के साथ इसकी टेक्नोलॉजी कमजोर पड़ने लगी। कई हादसों के कारण इसे 'उड़ता ताबूत' भी नाम दिया गया। आप के दौर में लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के विमानों के सामने मिग-21 कुछ खास नहीं रह गया। हालांकि 60-70 के दशक में इसकी गिनती बेहतरीन फाइटर जेटों में होती थी। इसकी पुरानी तकनीक और हादसों के बाद उठ रहे सवाल को लेकर अब इसे 62 वर्षों बाद 19 सितंबर को रिटायर कर दिया जाएगा। वहीं पैंथर्स स्क्वाड्रन की विदाई के बाद भारतीय वायुसेना में लड़ाकू स्क्वाड्रनों की संख्या घटकर 29 हो जाएगी। जो कि 1960 के दशक के बाद सबसे कम है। यहां तक की 1965 में 32 लड़ाकू स्क्वाड्रनों की संख्या थी।

हर युद्ध में मिग-21 ने किया कमाल
एविएशन एक्सपर्ट अंगद सिंह ने कहा, 'कोई और फाइटर जेट भारतीय वायुसेना के साथ इतने लंबे समय तक नहीं जुड़ा रहा। वायुसेना के 93 साल के इतिहास में दो-तिहाई समय तक यह जेट रहा है। इसने 1965 से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक हर मोर्चे पर अपना अहम योगदान दिया है। आज हर भारतीय फाइटर पायलट के करियर में इसका योगदान है। इसमें कोई शक नहीं कि यह भारतीय आसमान के एक महान विमान को भावुक विदाई होगी।'

सूत्रों के अनुसार, मिग-21 के विदाई समारोह में वायुसेना के बड़े अधिकारी और पुराने सैनिक शामिल होंगे। इस मौके पर फ्लाईपास्ट और विमानों की प्रदर्शनी भी होगी। मिग-21 ने सबसे लंबे समय तक वायुसेना में सेवा देने का रिकॉर्ड बनाया है। भारत ने मिग-21 के 850 से अधिक विमान खरीदे थे, जिनमें ट्रेनर विमान भी शामिल थे। लगभग 600 विमान हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने भारत में बनाए थे।

स्वदेशी विमानों की डिलीवरी में देरी
दुनियाभर में इन विमानों का इस्तेमाल अब खत्म हो चुका है, लेकिन वायुसेना इनकी समय सीमा बढ़ाती रही है। क्योंकि इनकी जगह लेने के लिए आधुनिक लड़ाकू विमान अभी तक नहीं मिल पाए हैं। पहले यह तय हुआ था कि मिग-21 स्क्वाड्रन की जगह लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट लेंगे, लेकिन इन स्वदेशी विमानों की डिलीवरी में देरी हो गई है।

 

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