विकसित उत्तर प्रदेश 2047: आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप इकोनोमिक ड्राइवर बनने की ओर

Dec 13, 2025 - 14:44
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विकसित उत्तर प्रदेश 2047: आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप इकोनोमिक ड्राइवर बनने की ओर

एसआईआईसी के इंचार्ज प्रोफेसर दीपू फिलिप ने कहा,  उत्तर प्रदेश बनेगा स्टार्टअप का बड़ा केंद्र

लखनऊ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन का ही परिणाम है कि उत्तर प्रदेश, देश के एक बड़े स्टार्टअप इकोसिस्टम के रूप में अपनी सशक्त पहचान बना रहा है। इस दिशा में देश के सबसे प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों में शामिल आईआईटी कानपुर अपनी एक सशक्त भूमिका निभा रहा है। आईआईटी कानपुर अब केवल शिक्षा और रिसर्च तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह देश के आर्थिक भविष्य को दिशा देने वाला एक मजबूत स्टार्टअप हब बनकर उभर रहा है। यहां स्थित स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (एसआईआईसी) में इस समय 521 स्टार्टअप अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने के साथ देश-प्रदेश के इकनोमिक ड्राईवर के रूप में अपनी सशक्त पहचान बना रहे हैं। साथ ही उत्तर प्रदेश को नवाचार की नई राजधानी के रूप में स्थापित करने का काम कर रहे हैं। आईआईटी कानपुर में औद्योगिक एवं प्रबंधन इंजीनियरिंग विभाग एवं डिज़ाइन प्रोग्राम और एसआईआईसी के इंचार्ज प्रोफेसर दीपू फिलिप का कहना है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार स्टार्टअप को लेकर बहुत कुछ कर रही है। आने वाले समय में यह प्रदेश स्टार्टअप का बड़ा केंद्र होगा।

आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप इकोसिस्टम को उत्तर प्रदेश सरकार का सीधा और रणनीतिक सहयोग मिल रहा है। योगी आदित्यनाथ सरकार की स्टार्टअप फ्रेंडली नीतियों, आसान फंडिंग व्यवस्था और मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर के चलते यहां इनोवेशन को तेज गति मिली है। सरकार और संस्थान की साझेदारी ने आईआईटी कानपुर को ऐसा प्लेटफॉर्म बना दिया है जहां आइडिया (विचार) सीधे इंडस्ट्री और बाजार से जुड़ रहा है।

खुद मेंटर की भूमिका निभाता है आईआईटी कानपुर 
आईआईटी कानपुर आज देश का इकलौता ऐसा इनक्यूबेटर सेंटर है जो केवल स्टार्टअप को जगह और संसाधन ही नहीं देता, बल्कि खुद एक मेंटर की भूमिका निभाता है। प्रोफेसर दीपू फिलिप का कहना है कि यहां के स्टार्टअप को आगे बढाने के लिए एक फैकल्टी मेम्बर को मेंटर बनाया जाता है। स्टार्टअप को तकनीकी मार्गदर्शन, बिजनेस मॉडलिंग, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, मार्केट एक्सेस और निवेशकों से जुड़ने तक का पूरा इकोसिस्टम उपलब्ध कराया जाता है। यही वजह है कि यहां के स्टार्टअप शुरुआती चरण में ही मजबूत आधार के साथ आगे बढ़ते हैं।

मैन्युफैक्चरिंग और उत्पादन से संबंधित स्टार्टअप को ही दिया जा रहा स्थान
खास बात यह है कि आईआईटी कानपुर के इनक्यूबेशन सेंटर में मैन्युफैक्चरिंग और प्रोडक्शन से जुड़े स्टार्टअप्स को विशेष रूप से बढ़ावा दिया जा रहा है। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के विजन के अनुरूप यहां सेमीकंडक्टर, एआई, हार्डवेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस प्रोडक्शन, ड्रोन, एग्री टेक, क्लीन एनर्जी, इन्टरनेट ऑफ़ थिंग्स (आईओटी) और एडवांस मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े आइडिया को बड़े बिजनेस का रूप दिया जा रहा है। कई स्टार्टअप आज हजारों करोड़ रुपये के बाजार को टारगेट कर रहे हैं और रोजगार सृजन में अहम भूमिका निभा रहे हैं। आईआईटी कानपुर कैम्पस में स्थित ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग से संबंधित स्टार्टअप द्वारा निर्मित ड्रोन का उपयोग ऑपरेशन सिन्दूर में किया गया था। कोविड-19 के दौरान भी यहाँ के स्टार्टअप ने बड़ी भूमिका निभाई थी। 

देश के किसी भी क्षेत्र के स्टार्टअप कर सकते है आवेदन... 
प्रोफेसर दीपू फिलिप बताते है कि आईआईटी कानपुर का इनक्यूबेटर किसी एक राज्य या क्षेत्र तक सीमित नहीं है। देश के किसी भी कोने से आने वाला स्टार्टअप यहां आवेदन कर सकता है। चयन पूरी तरह आइडिया की गुणवत्ता, तकनीकी क्षमता और बिजनेस संभावनाओं के आधार पर होता है। यही कारण है कि आईआईटी कानपुर का स्टार्टअप नेटवर्क आज राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक पहचान बना चुका है, लेकिन इसका सबसे बड़ा लाभ उत्तर प्रदेश को मिल रहा है।

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