एकनाथ शिंदे असहाय! अमित शाह के दरवाज़े पर पहुंचे—उद्धव ठाकरे का तीखा वार

Nov 20, 2025 - 15:44
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एकनाथ शिंदे असहाय! अमित शाह के दरवाज़े पर पहुंचे—उद्धव ठाकरे का तीखा वार

मुंबई 
महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे ने एकनाथ शिंदे पर तंज कसा है। उन्होंने गुरुवार को कहा कि एकनाथ शिंदे अब महायुति में मची कलह से परेशान हो गए हैं। इसी के चलते वह बुधवार रात को दिल्ली जाकर अमित शाह से मिले थे। उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे फिलहाल असहाय नजर आते हैं। शिवसेना-यूबीटी की टीचर्स विंग शिक्षक सेना को संबोधित करते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि जब दूसरे दल जनता के लिए कोई कदम उठाते हैं तो ये लोग रेवड़ी बोलते हैं, लेकिन खुद करते हैं तो उसे जनहित में बताते हैं। उन्होंने कहा कि अब तो ये लोग आपस में ही लड़ रहे हैं। कोई दिल्ली भागता है तो कोई किसी और के पास जाता है। आखिर ये लोग इतने असहाय क्यों हो गए हैं।
 
महायुति में भाजपा, शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल हैं। शिवसेना के मंत्रियों ने इसी मंगलवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में हिस्सा नहीं लिया था। इस बैठक में अकेले एकनाथ शिंदे ही गए थे और चुपचाप बैठे रहे। अन्य सभी मंत्री मुख्यमंत्री कार्यालय में देवेंद्र फडणवीस का इंतजार कर रहे थे। मीटिंग खत्म होने के बाद फडणवीस जब ऑफिस पहुंचे तो वहां शिवसेना के मंत्री पहले से मौजूद थे। इस दौरान मंत्रियों ने कहा कि भाजपा ने डोंबिवली में हमारे कार्य़कर्ताओं को पार्टी में शामिल किया है। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। इस पर फडणवीस ने कहा कि आखिर इस तरह के दलबदल अभियान की शुरुआत तो आपने ही की थी।

फडणवीस ने कहा था कि कई इलाकों में भाजपा के लोगों को शिवसेना जॉइन कराई गई है। यदि आप लोगों ऐसा करना बंद कर देंगे तो फिर हम भी ऐसा कदम नहीं उठाएंगे। माना जा रहा है कि मंत्रियों ने इस पर सहमति जताई और फिर आपस में समझौता हुआ है कि एक-दूसरे के दलों के नेताओं को शामिल नहीं कराएंगे। इसके बाद बुधवार को ही एकनाथ शिंदे दिल्ली आए और अमित शाह से मिले।

मंगल को बहस और बुधवार को शाह से मिले एकनाथ शिंदे
कहा जा रहा है कि महाराष्ट्र में चल रही खींचतान को लेकर ही एकनाथ शिंदे ने अमित शाह से मुलाकात की थी। ठाकरे ने कहा कि आज तो रेवड़ी एक नियम जैसा बन गया है। पर इन लोगों की राजनीति यह है कि खुद बांटो तो कल्याण और दूसरा दे तो रेवड़ी कहा जाएगा। बता दें कि कई चुनाव में फ्री वाली स्कीमों की भाजपा ने आलोचना की थी और इसे रेवड़ी कल्चर का नाम दिया गया था।

 

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