गांधी सेवा आश्रम बना रोजगार का मंच, चंबल से उत्तराखंड-असम तक 1278 परिवारों को मिली रोज़ी

Oct 2, 2025 - 14:44
 0  6
गांधी सेवा आश्रम बना रोजगार का मंच, चंबल से उत्तराखंड-असम तक 1278 परिवारों को मिली रोज़ी

मुरैना
जौरा स्थित गांधी सेवा आश्रम में 53 साल पहले महात्मा गांधी की तस्वीर के सामने 654 डकैतों ने बंदूकें डालकर आत्मसमर्पण किया था। यह आश्रम अब गांधीवादी विचारों की अलख ही नहीं जगा रहा, बल्कि मुरैना से लेकर दूसरे प्रांतों के गरीब परिवारों को रोजगार भी दे रहा है। चंबल से लेकर उत्तराखंड, बिहार और असम तक 1278 परिवारों को तीन दशक से भी ज्यादा समय से कुटीर उद्योगों से जोड़कर रोजी-रोटी मुहैया करवा रहा है।

कहां-कहां मिला लोगों को रोजगार
आश्रम जौरा से लेकर मुरैना और आसपास के क्षेत्रों में 1130 परिवारों को साढ़े तीन दशक से रोजगार दे रहा है। इनमें 325 परिवार सूत कताई व खादी की बुनाई का काम कर रहे हैं। 805 परिवार मधुमक्खी पालन से आजीविका चला रहे हैं। इनके अलावा रोजगार की यह मुहिम उत्तराखंड में 50 परिवारों का भरण पोषण कर रही है। उत्तराखंड में यह परिवार कालीन बुनाई व अगरबत्ती बनाने का काम करते हैं। असम के 50 परिवार साड़ी, चादर व साफी बनाने का काम करते हैं, वहीं बिहार में गांधी सेवा आश्रम से जुड़कर 48 परिवार दौरी (बांस की टोकरी) बनाने का काम करते हैं।

एक चक्की से शुरू हुआ रोजगार का चक्का
आश्रम में सबसे पहले आटा चक्की लगाई गई थी। रोजगार की यह चक्की ऐसी चली कि गांधी सेवा आश्रम में आज खादी बनाने से लेकर सरसों तेल, मधुमक्खी पालन से शहद, केंचुआ खाद, स्वदेशी साबुन आदि सामान बनाए जा रहे हैं। यहां बनने वाले उत्पाद खादी ग्रामोद्योग, मप्र की जेलों में, पुलिस महकमे को, पुणे के प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र, उज्जैन के बाल आश्रम सहित कई जगहों पर सप्लाई होते हैं।

जिनकी बंदूक उगलती थी आग, वो बना रहे केंचुआ खाद
आश्रम में काम करने वाले पूर्व दस्यु बहादुर सिंह कुशवाह माधौसिंह-हरिविलास गैंग के सबसे भरोसेमंद सदस्य थे। यह पूर्व दस्यु अब यहां केंचुआ खाद बनाने का प्रशिक्षण देकर किसानों को खाद बनाना सिखा रहा है। इसी तरह पूर्व दस्यु सोनेराम भी आश्रम से जुड़कर बागवानी का काम कर रहे हैं। आश्रम प्रबंधक प्रफुल्ल श्रीवास्तव ने बताया कि लोगों को गांधीवादी विचारों से जोड़ने के साथ गरीब परिवारों को कुटीर उद्योगों के जरिए रोजगार से भी जोड़ रहे हैं। आश्रम का प्रयास देश के अन्य राज्यों से भी धीरे-धीरे जुड़ रहा है।

27 सितंबर 1970 को बना था गांधी सेवा आश्रम
गांधीवादी विचारक डॉ. एसएन सुब्बाराव के प्रयासों से 14 अप्रैल 1972 को समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण और उनकी पत्नी प्रभावती देवी की मौजूदगी में गांधीजी की तस्वीर के सामने 654 डकैतों ने आत्मसमर्पण किया था। जौरा में जिस जगह पर डकैतों ने आत्मसमर्पण किया, वहां 27 सितंबर 1970 को गांधी सेवा आश्रम बना था।

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0