गीता जयंती 2025: तारीख, पूजा विधि और महत्व पूरी जानकारी

Nov 29, 2025 - 15:14
 0  7
गीता जयंती 2025: तारीख, पूजा विधि और महत्व पूरी जानकारी

नई दिल्ली

मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की एकादशी का दिन बेहद पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि इसी तिथि पर कुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन, धर्म, कर्म और मोक्ष का वह दिव्य ज्ञान दिया था, जिसे आज हम श्रीमद्भगवद्गीता के रूप में जानते हैं। उसी स्मृति में हर वर्ष यह पावन दिन गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। गीता केवल एक धार्मिक पुस्तक नहीं, बल्कि जीवन को सही दृष्टि देने वाला शाश्वत मार्गदर्शन है। इसकी शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रभावशाली हैं जितनी हजारों वर्ष पहले थीं। इस वर्ष गीता जयंती 1 दिसंबर 2025, सोमवार को मनाई जाएगी। गीता जयंती पर भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण की उपासना से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट होते हैं और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

एकादशी तिथि प्रारंभ: 30 नवंबर 2025, रात 9:29 बजे

तिथि समाप्त: 1 दिसंबर 2025, शाम 7:01 बजे
गीता जयंती 2025 पूजा विधि:

एक साफ चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान कृष्ण की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

नई गीता की प्रति को लाल या पीले कपड़े में लपेटकर उनके सामने रखें।

फल, पंचामृत, फूल और मिठाई का भोग लगाएं।

मंत्र जप करें-

“वासुदेव सुतं देवं कंस चाणूर मर्दनम्।

देवकी परमानंदं कृष्णं वन्दे जगत्गुरुम॥”

गीता का संपूर्ण पाठ करें या कम से कम अध्याय 11 अवश्य पढ़ें।

अंत में गीता की आरती करें और मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।

गीता के पाठ का महत्व- गीता केवल एक ग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन की हर परिस्थिति में सही दिशा दिखाने वाला आध्यात्मिक मार्गदर्शन है। कहा जाता है कि गीता जयंती पर गीता का पाठ करने से मन की उलझनें दूर होती हैं, निर्णय लेने की क्षमता बढ़ती है और जीवन में शांति, साहस और स्पष्टता आती है। यह दिन मनुष्य को याद दिलाता है कि कर्म ही जीवन का मूल आधार है और बिना अपेक्षा के किए गए कर्म ही सच्ची आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करते हैं।

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0