मध्यप्रदेश में 5-6 दिसंबर से कड़ाके की ठंड, पहाड़ों में बर्फबारी और सर्द हवाओं का अलर्ट

Dec 2, 2025 - 09:44
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मध्यप्रदेश में 5-6 दिसंबर से कड़ाके की ठंड, पहाड़ों में बर्फबारी और सर्द हवाओं का अलर्ट

भोपाल 


मध्य प्रदेश में अब ठंड का असली दौर शुरू होने जा रहा है। मौसम विभाग के मुताबिक 5 या 6 दिसंबर से प्रदेश में शीतलहर (Cold Wave) की एंट्री हो जाएगी। उत्तरी पर्वत क्षेत्रों में नया वेस्टर्न डिस्टर्बेंस सक्रिय होगा, जिसके चलते वहां बर्फबारी बढ़ेगी और उसी का असर ठंडी हवाओं के रूप में एमपी तक पहुंचेगा। अगले तीन दिनों में रात का तापमान 2 से 3 डिग्री की और गिरावट दर्ज हो सकती है।वभोपाल और इंदौर समेत राज्य के 6 जिलों में रविवार-सोमवार की रात पारा 10 डिग्री से नीचे पहुंच गया। इंदौर सर्वाधिक ठंडा रहा, जहां न्यूनतम तापमान 8.2°C दर्ज हुआ। भोपाल में 9.4°C, जबलपुर 11.8°C, और ग्वालियर-उज्जैन में 12°C रहा। प्रदेश का सबसे ठंडा स्थान रहा पचमढ़ी, जहां तापमान 6.8°C दर्ज किया गया। सोमवार को अधिकतम तापमानों में भी गिरावट दर्ज की गई। मलाजखंड 23.7°C के साथ सबसे ठंडा रहा। पचमढ़ी, शिवपुरी, सिवनी, बैतूल, भोपाल, धार, रीवा सभी जिलों में अधिकतम तापमान 24-26 डिग्री के बीच रहा। 

कोल्ड वेव और शीतलहर का असर

मौसम विभाग के अनुसार, 5-6 दिसंबर से भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर और चंबल संभाग में रात का तापमान 5-8 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। जनवरी तक प्रदेश में कोल्ड वेव का असर 20-22 दिनों तक रह सकता है।

मुख्य प्रभावित शहर और संभाग:

    ग्वालियर, चंबल, उज्जैन संभाग
    भोपाल संभाग के सीहोर-विदिशा
    सागर संभाग के निवाड़ी, छतरपुर, टीकमगढ़-पन्ना
    रीवा संभाग के मऊगंज, सीधी-सिंगरौली
    जबलपुर संभाग के मंडला-डिंडौरी
    इंदौर संभाग के इंदौर, धार, झाबुआ

नवंबर ने तोड़ दिए 94 साल पुराने रिकॉर्ड
भोपाल में इस बार लगातार 15 दिन शीतलहर चली यह 1931 के बाद सबसे लंबा शीतलहर काल है। 17 नवंबर की रात पारा 5.2°C पहुंच गया, जो पिछले 80 साल में सबसे कम था। इंदौर में भी 25 साल बाद पारा 6.4°C तक लुढ़का। सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन के अनुसार उत्तर भारत में नवंबर की शुरुआत में ही भारी बर्फबारी शुरू हो गई थी। जैसे ही हवा की दिशा उत्तर-पश्चिम हुई, ठंडी हवाएं सीधे मध्य प्रदेश में दाखिल हो गईं।

दिसंबर-जनवरी कड़कड़ाती ठंड के असली महीने
जैसे मानसून में जुलाई-अगस्त सबसे ज्यादा प्रभावी रहते हैं, वैसे ही सर्दियों में दिसंबर और जनवरी ठंड का पीक सीजन होते हैं। इन्हीं दो महीनों में उत्तरी हवाएं सबसे ज्यादा सक्रिय रहती हैं और तापमान सबसे तेज गिरता है। पश्चिमी विक्षोभ के एक्टिव होने से दिसंबर में मावठा (हल्की सर्दी की बारिश) भी होती है, जिससे दिन की ठंड और बढ़ जाती है।

दिसंबर-जनवरी में 20-22 दिन कोल्ड वेव चलने की संभावना
मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस बार कोल्ड वेव का असर लंबे समय तक रहेगा। जनवरी में कई जिलों में 20 से 22 दिनों तक शीतलहर देखने को मिल सकती है।

दिन में ठंडक घुली...पारा 23 डिग्री तक आया दूसरी ओर, सोमवार दिन के तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई। बालाघाट का मलाजखंड सबसे ठंडा रहा। यहां अधिकतम तापमान 23.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। पचमढ़ी-शिवपुरी में 24.2 डिग्री, सिवनी में 24.6 डिग्री, बैतूल में 24.8 डिग्री, नरसिंहपुर में 25 डिग्री, टीकमगढ़ में 25.2 डिग्री भोपाल-धार में 25.6 डिग्री, रीवा में 25.8 डिग्री रहा।

नवंबर में रिकॉर्ड तोड़ चुकी है सर्दी इस बार नवंबर में सर्दी रिकॉर्ड तोड़ चुकी है। भोपाल में लगातार 15 दिन तक शीतलहर चली। रिकॉर्ड के अनुसार, साल 1931 के बाद शीतलहर के यह सबसे ज्यादा दिन है। दूसरी ओर, 17 नवंबर की रात में पारा 5.2 डिग्री तक पहुंच गया, जो ओवरऑल रिकॉर्ड भी रहा। इससे पहले 30 नवंबर 1941 में तापमान 6.1 डिग्री रहा था। इंदौर में भी पारा 6.4 डिग्री ही रहा। यहां भी सीजन की सबसे सर्द रात रही। 25 साल में पहली बार पारा इतना लुढ़का।

सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन बताती हैं, इस बार उत्तरी राज्यों में नवंबर के पहले ही सप्ताह में बर्फबारी होने लगी। इस वजह से ठंडी हवाएं प्रदेश में पहुंची। आखिरी सप्ताह में हवा की दिशा बदल गई। जिससे ठंड का असर कम रहा है।

ठंड के लिए दिसंबर-जनवरी खास मौसम विभाग के अनुसार, जिस तरह मानसून के चार महीने (जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर) में से दो महीने जुलाई-अगस्त महत्वपूर्ण रहते हैं और इन्हीं में 60 प्रतिशत या इससे अधिक बारिश हो जाती है, ठीक उसी तरह दिसंबर और जनवरी में कड़ाके की ठंड पड़ती है।

इन्हीं दो महीने में प्रदेश में उत्तर भारत से सर्द हवाएं ज्यादा आती हैं। इसलिए टेम्प्रेचर में अच्छी-खासी गिरावट आती है। सर्द हवाएं भी चलती हैं। पिछले 10 साल के आंकड़े यही ट्रेंड बताते हैं। वेस्टर्न डिस्टरबेंस (पश्चिमी विक्षोभ) के एक्टिव होने से दिसंबर में मावठा भी गिरता है। इससे दिन में भी सर्दी का असर बढ़ जाता है।

कहां कितना रहा तापमान

शहर

अधिकतम (°C)

न्यूनतम (°C)

बैतूल

24.8

11.5

भोपाल

25.6

8.4

दतिया

26.2

12.6

धार

25.6

13.3

गुना

27.4

13.0

ग्वालियर

27.7

11.7

नरसिंहपुर

29.8

14.4

इंदौर

26.6

8.6

खंडवा

28.5

12.0

खरगोन

28.0

12.2

पचमढ़ी

24.2

7.2

रायसेन

26.0

---

राजगढ़

---

8.5

रतलाम

27.5

13.2

शाजापुर

---

---

श्योपुर

26.0

14.0

शिवपुरी

24.2

12.0

उज्जैन

28.5

11.8

शहर

अधिकतम तापमान (°C)

न्यूनतम तापमान (°C)

छिंदवाड़ा

26.4

11.2

दमोह

26.2

11.5

जबलपुर

26.6

11.2

खजुराहो

27.4

13.0

मंडला

29.0

11.6

नरसिंहपुर

25.0

12.6

नौगांव

27.0

8.6

रीवा

25.8

9.6

सागर

26.7

13.8

सतना

27.5

11.7

सिवनी

24.6

13.6

सिधी

26.6

11.4

टीकमगढ़

25.2

13.2

उमरिया

26.5

9.3

मलाजखंड

23.7

11.1

नोट: पचमढ़ी और मलाजखंड जैसे हिल स्टेशन सबसे ठंडे रहे।

पश्चिमी विक्षोभ और मौसम विज्ञान

मौसम विभाग के मुताबिक, पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टरबेंस) 5 दिसंबर से पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र को प्रभावित करेगा। इसके चलते प्रदेश में दिन और रात के तापमान में तेजी से गिरावट आएगी। मौसम विशेषज्ञों ने बताया कि, उत्तर हरियाणा और निकटवर्ती क्षेत्रों में सक्रिय उच्च चक्रवातीय परिसंचरण मध्य प्रदेश में ठंडी हवाओं को प्रवेश कराएगा।

पिछले रिकॉर्ड और ला नीना का असर

नवंबर में भोपाल में लगातार 15 दिन शीतलहर रही, जो 1931 के बाद सबसे लंबी रिकॉर्ड है। 17 नवंबर की रात पारा 5.2°C तक गिर गया था। इंदौर में न्यूनतम तापमान 6.4°C दर्ज हुआ। मौसम वैज्ञानिक के अनुसार, उत्तरी राज्यों में हिमालयी क्षेत्रों में जल्दी बर्फबारी के कारण मध्य प्रदेश में ठंडी हवाओं का असर बढ़ा। ला नीना के सक्रिय होने से ठंड का असर लंबा रहेगा।

क्यों बढ़ी इस बार इतनी ठंड?

1. ला नीना का प्रभावः वैश्विक मौसम मॉडल पहले से संकेत दे रहे थे कि इस साल ला नीना सक्रिय रहेगा। प्रशांत महासागर का ठंडा होना एशिया और भारत की ओर ठंडी हवाओं को और तेज धकेलता है। उसी का असर मध्य भारत में कड़ाके की ठंड के रूप में दिख रहा है।

2. पहाड़ों पर जल्द बर्फबारीः हिमाचल, उत्तराखंड और कश्मीर में सामान्य समय से काफी पहले बर्फबारी शुरू हो गई। इससे मध्य भारत में ठिठुरन 20–30% तक बढ़ी।

3. ठंडी हवाएं 25% ज्यादा गहराई तकः इस बार ठंड सतह तक सीमित नहीं रही। भोपाल, ग्वालियर, रतलाम, सागर जैसे चार प्रमुख मौसम जोन में ठंडी हवाएं 25% तक ज्यादा अंदर तक घुस आईं।

4. पश्चिमी विक्षोभ का लगातार सक्रिय रहनाः बार-बार आने वाले वेस्टर्न डिस्टर्बेंस से कई जिलों में मावठा होगा। इससे तापमान 4-6 डिग्री गिर सकता है और भोपाल, मंदसौर, रतलाम, उज्जैन, इंदौर-देवास, ग्वालियर-मुरैना में कोल्ड-डे की स्थिति बन सकती है। 

 

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