जनजातीय समुदाय की समृद्धि के लिए संकल्पित राज्य सरकार : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

Oct 25, 2025 - 16:44
 0  6
जनजातीय समुदाय की समृद्धि के लिए संकल्पित राज्य सरकार : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

भोपाल 
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि राज्य सरकार जनजातीय समुदाय की समृद्धि के लिए संकल्पित है। सरकार के रणनीतिक प्रयासों से विकास के हर क्षेत्र में जनजातीय समुदाय आगे बढ़ रहा है। जनजातीय कल्याण की योजनाओं के लिए बजट बढ़ाकर 47 हजार 295 करोड़ किया गया है जो पिछले वर्ष से 6,491 करोड़ रूपये ज्यादा है। सरकार के सतत् प्रयासों से मध्यप्रदेश आज जनजातीय कल्याण के क्षेत्र में देश का अग्रणी प्रदेश बनकर उभर रहा है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि जनजातीय समुदायों को आर्थिक विकास के भरपूर अवसर दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि 'सबका साथ-सबका विकास' दर्शन अपनाते हुए जनजातीय समुदायों योजनाओं का लाभ दिलाने के साथ उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि विशेष रूप से पिछ़डी और कमजोर जनजातियों (पीवीटीजी) के समग्र विकास और कल्याण के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने कई ऐतिहासिक प्रयास और नवाचार किए हैं। जनजातीय समुदाय के जीवन स्तर को गुणवत्तापूर्ण बनाने और देशज संस्कृति को संरक्षित रखने के लिए समर्पित प्रयास किए गए हैं। परिणामस्वरूप जनजातीय समुदाय को न केवल अपने अधिकार मिले हैं, बल्कि संस्कृति की भी रक्षा हुई है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि शिक्षा के लोकव्यापीकरण के जरिए जनजातीय युवाओं को चयन प्रतिस्पर्धाओं में भाग लेने के अवसर दिए जा रहे हैं। उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने के लिए आजीविका के नए-नए विकल्प और जरूरी साधन भी दिए जा रहे हैं। आदि संस्कृति को आजीविका से जोड़ने की पहल की गई है।

जनजातीय समुदायों के जन, जल, जंगल, जमीन और वन्यप्राणियों की नैसर्गिक सुरक्षा के अधिकार से लेकर वन अधिकार पत्र और इनकी आजीविका, शिक्षा, स्वास्थ्य, सांस्कृतिक संरक्षण के लिए भी सरकार ने व्यापक दृष्टिकोण अपनाया है।

पेसा नियमों से सशक्त हुई ग्राम सभाएं
मध्यप्रदेश में पेसा नियमों के प्रभावी क्रियान्वयन से जनजातीय ग्राम सभाओं को अपने जैविक संसाधनों, भूमि, जल, वन और पारम्परिक व्यवस्थाओं पर अधिकार प्राप्त हुए हैं। अब ग्राम सभाएं विकास योजनाओं में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं, जिससे जनजातीय अंचलों में स्वशासन की दिशा में एक सशक्त आधार स्थापित हुआ है। वे अपने गांवों की विकास योजनाएं खुद बना रही हैं।

तेंदूपत्ता संग्राहकों का बढ़ा पारिश्रमिक
जनजातीय समुदाय की आजीविका से जुड़े लाखों तेंदूपत्ता संग्राहकों का पारिश्रमिक बढ़ाकर अब 4,000 रुपये प्रति मानक बोरी कर दिया गया है। इस निर्णय से संग्राहकों की आय बढ़ी है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिली है। तेंदू पत्ता व्यापार बढ़ने से उन्हें लाभ हुआ है।

‘पीएम जनमन’ और ‘धरती आबा’ योजनाओं से विकास को गति
प्रदेश में प्रधानमंत्री जन-मन एवं धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष जैसी योजनाओं के अंतर्गत 68 करोड़ 30 लाख रुपये से अधिक लागत के विकास कार्यों का लोकार्पण एवं शिलान्यास किया गया है। साथ ही, जनजातीय अंचलों में स्वास्थ्य सुविधाएं सुलभ कराने के लिये 21 जिलों में 66 मोबाइल मेडिकल यूनिट्स (एमएमयू) प्रारंभ की गई हैं।

सिकलसेल उन्मूलन मिशन का विस्तार
मध्यप्रदेश में सिकलसेल हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन सभी 89 जनजातीय विकासखंडों में लागू किया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कर-कमलों से प्रदेश में हाल ही में एक करोड़वां सिकल सेल स्क्रीनिंग एवं काउंसिलिंग कार्ड वितरण का ऐतिहासिक क्षण भी दर्ज हुआ है।

शिक्षा एवं छात्रवृत्ति में उल्लेखनीय कार्य
जनजातीय वर्ग के सभी विद्यार्थियों की शिक्षा के प्रोत्साहन के लिए इन्हें छात्रवृत्ति देने की अवधि साल में 10 माह से बढ़ाकर अब पूरे 12 माह कर दी गई है। उनके छात्रावासों को सुविधा संपन्न बनाया गया है।जनजातीय वीर नायकों की शौर्य कथाएं और गौरवगाथाएं स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल की गई हैं। भगवान बिरसा मुंडा जी की जीवनी अब विद्यालयीन शिक्षा के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनेगी। प्रदेश के सभी जनजातीय कन्या आवासीय शिक्षा परिसरों को अब ‘माता शबरी कन्या शिक्षा परिसर’ नाम दिया गया है। यह जनजातियों को सम्मान देने का एक अनूठा उदाहरण है।

आंगनवाड़ी भवन निर्माण में म.प्र. अव्वल
‘पीएम जन-मन कार्यक्रम’ अंतर्गत आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण में मध्यप्रदेश देश में पहले स्थान पर रहा है। इस योजना से विशेष पिछड़ी जनजातियों (बैगा, भारिया, सहरिया) को अत्यधिक लाभ मिला है। इससे पीवीटीजी परिवारों, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, पोषण और प्रारंभिक शिक्षा में उत्तरोत्तर सुधार देखा जा रहा है।

सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना
राज्य सरकार द्वारा जनजातीय गौरव और पहचान को सम्मान देने के लिए अलीराजपुर जिले का नाम परिवर्तित कर अब ‘आलीराजपुर’ कर दिया गया है। यह निर्णय जनजातीय वर्ग की अस्मिता के सम्मान और इनके सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है।

 

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0