BJP को मिला एकनाथ शिंदे का तोड़! गणेश नायक की एंट्री से महाराष्ट्र की सियासत में मचा हलचल

Nov 12, 2025 - 12:14
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BJP को मिला एकनाथ शिंदे का तोड़! गणेश नायक की एंट्री से महाराष्ट्र की सियासत में मचा हलचल

मुंबई 
महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति में सबकुछ ठीक नहीं है। इसके संकेत हाल ही में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से मुंबई मेट्रोपॉलिटन रीजन में की चुनाव प्रभारी की नियुक्ति से मिलते हैं। दरअशल, भाजपा ने राज्य सरकार में वन मंत्री गणेश नाइक को 7 जिलों का प्रभारी बनाया है, जिनमें ठाणे भी शामिल है। खास बात है कि नाइक को उपमुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे का प्रतिद्वंद्वी भी माना जाता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, नाइक को बड़े नेताओं को चुनौती देने और मुश्किल राजनीतिक हालात में खड़े रहने वाला माना जाता है। खास बात है कि वह अविभाजित शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे से अलग हो गए थे और इसके बाद भी ठाणे में अपनी पार्टी के लिए खड़े रहे। इस सीट पर शिंदे के गुरु माने जाने वाले आनंद दीघे का दबदबा था।

कहा जाता है कि उनका मजबूत जनाधार युवाओं और मजदूरों के बीच है। उनके समर्थन से ही नाइक वाशी, नेरुल, एरोली, तुर्भे, घंसोली और TTC बेल्ट यानी ट्रांस ठाणे क्रीक में शिवसेना के चेहरे बन गए थे। 1980 के दशक में वह नवी मुंबई में बड़े नेता के तौर पर स्थापित हो चुके थे। रिपोर्ट के अनुसार, जैसे-जैसे शिवसेना का विस्तार हो रहा था, तो नाइक का क्षेत्र दीघे से ज्यादा बढ़ता जा रहा है। ऐसे में ठाकरे को हस्तक्षेप करना पड़ा और नवी मुंबई को नाइक का क्षेत्र घोषित किया गया।

सरकार और बाल ठाकरे दोनों से असहमति जताई
1990 के विधानसभा चुनाव में नाइक ने बेलापुर से पहली बार बड़ी चुनावी जीत हासिल की थी। इसके 5 साल बाद वह मनोहर जोशी की अगुवाई वाली सरकार में मंत्री भी बने। हालांकि, यहां भी जोशी और ठाकरे से उनका टकराव जारी रहा। रिपोर्ट के अनुसार, नाइक ने इस्तीफा देने से मना कर दिया था और बाद में जोशी ने उन्हें सरकार से बाहर कर दिया।

एनसीपी से मिलाया हाथ
1990 में नाइक ने अविभाजित NCP यानी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी से हाथ मिलाया, लेकिन इसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में हार गए। साल 2004 में उन्हें फिर सफलता मिली और वह एक्साइज मंत्री बन गए। 2014 में उन्हें भाजपा उम्मीदवार मंदा म्हात्रे के हाथों हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद 2019 में उन्हें भाजपा से हाथ मिला लिया और एरोली में जीत हासिल की। रिपोर्ट के अनुसार, शिंदे के प्रतिद्वंद्वी होने के चलते भाजपा उन्हें कैबिनेट में शामिल नहीं कर सकी थी।

क्यों है भाजपा के लिए खास
रिपोर्ट के अनुसार, टीटीसी में लंबे समय से मौजूदगी, कामगारों और ठेकेदारों से संपर्क के चलते माना जाता है कि वह जल्द समर्थन जुटा सकते हैं। वहीं, कई बड़े नेताओं से सीधी टक्कर लेने की उनकी क्षमता भी उन्हें चुनिंदा नेताओं में से एक बनाती है, जो शिंदे को उनके ही गढ़ में चुनौती दे सकते हैं। इसके अलावा नाइक के जरिए भाजपा नवी मुंबई और ठाणे के उन इलाकों में समर्थन मिलता है, जहां शिंदे की पहुंच सीमित है। रिपोर्ट के अनुसार, गुजरातियों, मुस्लिम, उत्तर भारतीयों और अन्य पिछड़ा वर्गों में भी उनका मजबूत जनाधार है।

अलग-अलग चुनाव लड़ने के संकेत
अक्तूबर में महाराष्ट्र में शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल भाजपा ने ठाणे और नवी मुंबई में आगामी नगर निकाय चुनाव अकेले लड़ने का संकेत दिया है, जिसका उद्देश्य इन नगर निकायों में अपने महापौर बनाना है। मुंबई के इन दो बड़े नगरों में भाजपा द्वारा अकेले चुनाव लड़ने के इस संकेत के बाद शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने भी इसका जवाब देने के लिए ऐसी ही रणनीति तैयारी करनी शुरू कर दी है। शिवसेना का ठाणे क्षेत्र में खासा प्रभाव है।

 

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