योगी कैबिनेट ने अर्बन ग्रीन पॉलिसी को दी मंजूरी... तीन चरणों में मियावाकी जंगल, रूफटॉप गार्डन और ग्रीन बिल्डिंग्स पर होगा काम

लखनऊ
पर्यावरण संरक्षण और शहरी क्षेत्रों में सतत विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सरकार ने 'अर्बन ग्रीन पॉलिसी' को मंजूरी दे दी है. इस नीति का उद्देश्य नगर निकायों में हरियाली बढ़ाकर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना और लोगों को स्वच्छ, हरा-भरा वातावरण उपलब्ध कराना है. इसे तीन चरणों में लागू किया जाएगा.
एजेंसी के अनुसार, शहरी विकास विभाग द्वारा प्रस्तावित इस नीति के तहत योजना को तीन स्तरों पर लागू किया जाएगा. इनमें शहर, पड़ोस और भवन स्तर पर सिस्टम तैयार होगा. शहर स्तर पर मियावाकी पद्धति से घने मिनी जंगल तैयार किए जाएंगे, ताकि शहरी क्षेत्रों में तेजी से हरियाली बढ़ सके.
इसके अलावा पड़ोस स्तर पर पार्क और सामुदायिक ग्रीन जोन विकसित किए जाएंगे. वहीं भवन स्तर पर नई इमारतों में 'ग्रीन बिल्डिंग' मानकों को अनिवार्य किया जाएगा, जिसमें हरित छतें, ऊर्जा-संरक्षण तकनीक और पर्यावरण-अनुकूल सामग्री का उपयोग शामिल होगा.
इस नीति के तहत एक ग्रीन सिटी मॉनिटरिंग सिस्टम भी विकसित किया जाएगा, जो पर्यावरणीय प्रयासों और ग्रीन इन्फ्रास्ट्रक्चर के आधार पर शहरों को ‘ग्रीन स्टार’ रेटिंग देगा. इससे एक स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा और नगर निकायों को अधिक हरित बनाने की दिशा में प्रेरित किया जाएगा.
शहरी क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए नीति में वर्टिकल गार्डन, रूफटॉप गार्डन और मियावाकी वन को प्राथमिकता दी गई है. इन उपायों से न केवल तापमान में कमी आएगी, बल्कि शहरों में ऑक्सीजन स्तर भी सुधरेगा.
राज्य सरकार की योजनाओं से धनराशि जुटाने का प्रावधान
नए भवन निर्माण के लिए हरित भवन मानकों को अनिवार्य किया जाएगा, जो पर्यावरण के अनुकूल सामग्री, ऊर्जा बचाने वाली प्रौद्योगिकी और ग्रीन रूफ्स को बढ़ावा देगा। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के माध्यम से धनराशि जुटाने का प्रावधान है। इसमें अमृत 2.0, राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम, केंद्रीय वित्त आयोग, राज्य वित्त आयोग शामिल हैं। इसके अलावा शहरी स्थानीय निकाय अपनी आय, सीएसआर फंड और अन्य स्रोतों से भी सहायता ले सकते हैं।
सामुदायिक भागीदारी में स्कूलों, कार्यालयों और संगठनों के माध्यम से पौधरोपण अभियान चलेंगे। इस नीति को तीन चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण में 2025–2027 तक स्मार्ट शहरों और प्रमुख महानगरों पर ध्यान केंद्रित करेगी। तो वहीं दूसरे चरण में 2027–2030 तक उन शहरों को शामिल किया जाएगा, जिनकी जनसंख्या एक लाख से अधिक है। तीसरे चरण में वर्ष 2030 के बाद ये नीति पूरे राज्य की नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में भी लागू की जाएगी।
शहरी हरित नीति प्रदेश में विकसित करेगी ग्रीन सिटी मॉनिटरिंग प्रणाली
शहरी हरित नीति के तहत ग्रीन सिटी मॉनिटरिंग फ्रेमवर्क स्थापित होगा। इसके तहत शहरों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाएगा। शहरों को उनके ग्रीन कवर और हरित पहलों के आधार पर ग्रीन सिटी, ग्रीन प्लस, ग्रीन प्लस प्लस और ग्रीन प्लस प्लस प्लस की रैंक प्रदान की जाएगी। प्रत्येक शहर की निगरानी स्थानीय, राज्य और तीसरे पक्ष की एजेंसियों द्वारा की जाएगी। सर्वाधिक रैंकिग प्राप्त करने वाले शहर अल्टीमेट ग्रीन सिटी का पुस्कार प्राप्त करेंगे।
तीन चरणों में लागू होगी योजना
पहला चरण (2025-2027): इस अवधि में योजना को स्मार्ट सिटी और बड़े मेट्रो शहरों में लागू किया जाएगा.
दूसरा चरण (2027-2030): इस चरण में एक लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों को शामिल किया जाएगा.
तीसरा चरण (2030 के बाद): इस चरण में सभी नगर पालिकाएं और नगर पंचायतें भी इस नीति के दायरे में आ जाएंगी.
‘अर्बन ग्रीन पॉलिसी’ उत्तर प्रदेश सरकार की उस सोच को दर्शाती है, जो विकास और पर्यावरण संरक्षण को एकसाथ लेकर चलना चाहती है. यह नीति शहरी जीवन को न केवल अधिक सुंदर और स्वच्छ बनाएगी, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी एक संतुलित पर्यावरण तैयार करेगी.
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