‘ना मैं समाचार देखता, ना यूट्यूब इंटरव्यू से फैसला करता’ – सुनवाई में CJI गवई का बयान

Aug 8, 2025 - 13:14
 0  6
‘ना मैं समाचार देखता, ना यूट्यूब इंटरव्यू से फैसला करता’ – सुनवाई में CJI गवई का बयान

नई दिल्ली

मुख्य न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई ने 7 अगस्त, 2025 को एक मामले की सुनवाई के दौरान स्पष्ट किया कि वे यूट्यूब  नहीं देखते और न ही किसी मामले का निर्णय इंटरव्यूज या प्रेस रिपोर्ट्स के आधार पर करते हैं. उन्होंने बताया कि उनकी दिनचर्या में केवल अखबार पढ़ना शामिल है. यह टिप्पणी उस समय आई जब अदालत में यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि बड़े नेताओं के घरों पर छापेमारी के दौरान यूट्यूब चैनलों पर इंटरव्यूज के माध्यम से एक विशेष नैरेटिव तैयार किया जाता है.

सीजेआई बी आर गवई, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड के लिए जेएसडब्ल्यू स्टील की समाधान योजना से संबंधित एक समीक्षा याचिका पर सुनवाई की. यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के पूर्व के आदेश के खिलाफ दायर की गई है, जिसमें समाधान योजना को अस्वीकृत किया गया था.

कमेटी फोर क्रेडिटर्स की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में जानकारी दी कि प्रवर्तन निदेशालय ने 23 हजार करोड़ रुपये का जब्त किया गया कालाधन उन लोगों में वितरित किया है जो फ्रॉड का शिकार हुए हैं. इस दौरान, मुख्य न्यायाधीश गवई ने एसजी मेहता से यह सवाल किया कि ईडी की दोषसिद्धी दर क्या है, यानी कितने आरोपियों को दोषी ठहराया गया है.

तुषार मेहता ने सीजेआई गवई के प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि यह एक अलग विषय है. उन्होंने ईडी का बचाव करते हुए बड़े पैमाने पर होने वाली वसूली का उल्लेख किया. मेहता ने यह भी बताया कि मीडिया के कारण एजेंसी की इन सफलताओं की जानकारी आम जनता तक नहीं पहुँच पाती है.

एसजी तुषार मेहता ने बताया कि दंडनीय अपराधों में दोषसिद्धी की दर अत्यंत कम है, और उन्होंने इसे देश की आपराधिक न्याय प्रणाली में मौजूद खामियों का परिणाम बताया. सुनवाई के दौरान उपस्थित सीनियर लॉ ऑफिसर ने उल्लेख किया कि कुछ मामलों में नेताओं के ठिकानों पर छापे के दौरान भारी मात्रा में नकदी मिलने के कारण उनकी नोट गिनने वाली मशीनें काम करना बंद कर गईं, जिसके चलते उन्हें नई मशीनें खरीदनी पड़ीं. उन्होंने यह भी कहा कि जब बड़े नेता पकड़े जाते हैं, तो यूट्यूब इंटरव्यूज के माध्यम से कुछ नैरेटिव्स स्थापित किए जाते हैं.

सीजेआई बी आर गवई ने इस विषय पर स्पष्ट किया कि वे मामलों का निर्णय नैरेटिव्स के आधार पर नहीं करते हैं. उन्होंने कहा कि वे न्यूज चैनल नहीं देखते और केवल सुबह 10-15 मिनट अखबारों की सुर्खियों पर नजर डालते हैं. लॉ ऑफिसर ने भी यह बताया कि जज सोशल मीडिया और अदालतों के बाहर बने नैरेटिव्स के आधार पर निर्णय नहीं लेते हैं.

सुप्रीम कोर्ट की विभिन्न बेंचें, विशेषकर विपक्षी नेताओं से संबंधित धनशोधन मामलों में प्रवर्तन निदेशालय की कथित मनमानी पर अपनी चिंता व्यक्त करती रही हैं. सीजेआई बी आर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने 21 जुलाई को एक अन्य मामले में यह टिप्पणी की थी कि प्रवर्तन निदेशालय अपनी सीमाओं को पार कर रहा है.

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0