केंद्र के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने तय की गेहूं के स्टॉक की सीमा, थोक व्यापारी 3000 टन से ज्यादा नहीं रख सकेंगे

Jul 19, 2025 - 12:44
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केंद्र के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने तय की गेहूं के स्टॉक की सीमा, थोक व्यापारी 3000 टन से ज्यादा नहीं रख सकेंगे

भोपाल
 गेहूं के भाव को नियंत्रित करने के लिए भारत सरकार ने अधिकतम भंडारण की सीमा निर्धारित कर दी है। मध्य प्रदेश में भी इसके अनुरूप अब व्यापारी और थोक विक्रेता तीन हजार टन से अधिक गेहूं का भंडारण(wheat stock MP) नहीं कर पाएंगे। फुटकर व्यापारियों के लिए यह सीमा 10 टन की रहेगी। यह भंडारण सीमा 31 मार्च 2026 तक प्रभावी रहेगी।

प्रदेश के खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि थोक और फुटकर व्यापारियों के साथ चेन रिटेलर के लिए भी अधिकतम भंडारण की सीमा तय की गई है। चेन रिटेलर के प्रत्येक आउटलेट के लिए 10 टन की सीमा इस आधार पर निर्धारित की गई है कि सभी आउटलेट पर अधिकतम मात्रा आउटलेटों की कुल संख्या के 10 गुना से अधिक भंडारित नहीं होना चाहिए। 

प्रोसेसर के लिए भंडारण की मात्रा उसकी मासिक स्थापित क्षमता के 70 प्रतिशत को वर्ष 2025-26 के शेष महीनों से गुणा करने के आधार पर निर्धारित होगी। यह शेष अवधि की मात्रा से अधिक नहीं होना चाहिए।

केंद्र सरकार ने तय की स्टॉक की सीमा 

इसी तरह चेन रिटेलर के प्रत्येक आउटलेट के लिये 10 मीट्रिक टन की सीमा इस आधार पर निर्धारित की गई है कि सभी आउटलेट पर अधिकतम मात्रा आउटलेटों की कुल संख्या के 10 गुना मीट्रिक टन से अधिक भण्डारित नहीं होना चाहिये। प्रोसेसर के लिये स्टॉक की मात्रा उसकी मासिक स्थापित क्षमता के 70 प्रतिशत मात्रा को वर्ष 2025-26 के शेष महीनों से गुणा करने पर आने वाली मात्रा से अधिक नहीं होना चाहिये।
29 लाख मीट्रिक टन अधिक गेहूं की खरीद 

उल्लेखनीय है कि इस साल प्रदेश सरकार ने करीब 9 लाख किसानों से 77 लाख 74 हजार मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन किया जो पिछले साल की तुलना में 29 लाख मीट्रिक टन अधिक है, पिछले साल 48 लाख 38 हजार मीट्रिक टन गेहूं का उपार्जन हुआ था।
इस साल 2600 रुपये MSP पर मप्र सरकार ने खरीदा गेहूं

यहाँ बताना जरूरी है कि इस बार केंद्र सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2425 रुपये निर्धारित किया था लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने इस पर 175 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बोनस दिया जिसके बाद गेहूं की खरीदी 2600 रुपये प्रति क्विंटल की दर से की गयी, परिणाम स्वरुप किसानों ने सरकार को गेहूं बेचा जिसका लाभ किसानों और सरकार दोनों को ही हुआ।

 

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