कफ सिरप से मौत: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत ने मांगी पूरी जांच और सख्त कार्रवाई

जयपुर
राजस्थान में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत वितरित की जा रही खांसी की दवा को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। बीते दिनों Dextromethorphan Hydrobromide Syrup लेने के बाद कई बच्चों की तबीयत बिगड़ने और कई बच्चों की मौत के मामले सामने आए। परिजनों ने आरोप लगाया कि बच्चों की हालत यह दवा लेने के बाद ही खराब हुई। इसके बाद राज्य सरकार ने संबंधित कंपनी कायसन फार्मा की दवाओं की जांच करवाई, लेकिन रिपोर्ट में कंपनी को क्लीन चिट दे दी गई।
शेखावत ने कही ‘पूरी जांच’ की बात
रविवार को जब केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से इस मामले में प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कहा कि दवाओं के मानकीकरण को लेकर भारत सहित पूरी दुनिया में एक निश्चित प्रोटोकॉल निर्धारित है। किसी भी दवा को मानव उपभोग के लिए अनुमति देने से पहले उसे कठोर परीक्षण प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। उन्होंने कहा कि भारत में अंतरराष्ट्रीय मानकों से भी अधिक सख्त परीक्षण प्रणाली अपनाई जाती है। फिर भी यदि किसी तकनीकी कारण, रासायनिक प्रतिक्रिया या किसी अन्य वजह से ऐसी घटनाएं होती हैं, तो इसकी पूरी जांच होनी चाहिए। दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की जानी चाहिए। शेखावत ने यह भी जोड़ा कि भारत में दवाओं की लाइसेंसिंग, प्रत्येक बैच की पहचान और टेस्टिंग को लेकर सुव्यवस्थित और सख्त नियम बने हुए हैं और यदि कहीं चूक हुई है तो कार्रवाई तय है।
भरतपुर, सीकर और चूरू से आईं शिकायतें
गौरतलब है कि बीते दिनों भरतपुर, सीकर और अन्य जिलों से मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना में दी जा रही Dextromethorphan HBr Syrup IP 13.5mg/5ml की गुणवत्ता पर सवाल उठे। पहली शिकायत 28 सितंबर 2025 को भरतपुर से आई, जिसमें बैच नंबर KL-25/147 की दवा का जिक्र था। इसके अगले दिन, 29 सितंबर को सीकर से बैच नंबर KL-25/148 को लेकर शिकायत मिली। शनिवार को चूरू से जयपुर रेफर किए गए छह वर्षीय बच्चे की मौत भी इसी सिरप के सेवन के बाद हुई, जिससे विवाद और गहरा गया।
सरकार की कार्रवाई पर उठे सवाल
राज्य सरकार द्वारा कैसन फार्मा की दवा की जांच रिपोर्ट में कोई खामी न मिलने पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। स्थानीय स्तर पर यह मांग उठ रही है कि जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए, ताकि प्रभावित परिवारों को न्याय मिल सके।
What's Your Reaction?






