भोपाल में बिजली बिल बकाया ₹100 करोड़ से अधिक, 86 उपभोक्ताओं पर ₹1 लाख से अधिक का बकाया

Jun 6, 2025 - 03:44
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भोपाल में बिजली बिल बकाया ₹100 करोड़ से अधिक, 86 उपभोक्ताओं पर ₹1 लाख से अधिक का बकाया

भोपाल

चिराग तले अंधेरा वाली कहावत तो आपने सुनी होगी..अब देख भी लीजिए. तेजी से उभरते मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बिजली विभाग को लंबा पलीता लगा रहा है. बिजली बिलों का बकाया अब खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है. अकेले शहर में घरेलू उपभोक्ताओं पर 100 करोड़ रुपये से अधिक का बिल बकाया है.

हैरानी की बात तो ये कि इनमें से 86 उपभोक्ताओं पर 1 लाख रुपये से अधिक का बकाया है. बिजली वितरण कंपनी (डिस्कॉम) के अनुसार, इनमें से अधिकांश मामलों में कोई न कोई विवाद है. कई केस अदालतों में विचाराधीन हैं. सबसे अधिक बकाया एक घरेलू उपभोक्ता पर 4.21 लाख रुपये का सामने आया है. यह उपभोक्ता कटारा हिल्स वितरण क्षेत्र की एक कॉलोनी में रहता है.

फिर भी कनेक्शन चालू
TOI की रिपोर्ट के अनुसार
, कटारा हिल्स वाले उपभोक्ता का मई महीने का चालू बिल 2,246 रुपये था, जिस पर 5,199 रुपये विलंब शुल्क और 4.15 लाख रुपये का पुराना विवादित बकाया जुड़कर कुल देय राशि 4,21,079 रुपये हो गई. मामला अदालत में लंबित होने के कारण बिजली कनेक्शन चालू है. इस मामले में डिस्कॉम के अधिकारियों का कहना है कि सामान्य स्थिति में यदि किसी घरेलू उपभोक्ता पर 5,000 रुपये से अधिक बकाया होता है तो उसका कनेक्शन काट दिया जाता है. लेकिन, जिन उपभोक्ताओं के बिल विवादित है या न्यायिक प्रक्रिया में है, उनके खिलाफ तत्काल कोई कार्रवाई नहीं हो पाती.

छोटे बकायदार भी करीब 37 हजार
1 लाख रुपये से अधिक बकाया रखने वालों के बाद सबसे बड़ी संख्या उन उपभोक्ताओं की है, जिन पर 10,000 से 1 लाख के बीच की राशि बकाया है. ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या 16,681 है. इनमें से किसी पर 99,797 रुपये तो किसी पर 10,001 रुपये तक का बकाया है. इसके अलावा 19,704 उपभोक्ता ऐसे भी हैं, जिन पर 5,000 से 10,000 रुपये तक की राशि लंबित है.

बिजली कंपनी इस काम में लगी
विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी बड़ी राशि का बकाया होना बिजली वितरण व्यवस्था और बिल वसूली प्रक्रिया में गहराते संकट की ओर संकेत करता है. यदि विवादों और अदालती मामलों का शीघ्र समाधान नहीं किया गया तो यह बकाया राशि और बढ़ सकती है. डिस्कॉम की ओर से फिलहाल ऐसे उपभोक्ताओं से संपर्क कर विवाद सुलझाने और समझौते की कोशिश की जा रही है. वहीं, अधिकारियों ने संकेत दिए कि सरकार से नीति-निर्माण स्तर पर भी हस्तक्षेप की मांग की जाएगी.

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