H-1B वीजा पर फिर मंडराया खतरा, ट्रंप प्रशासन कर सकता है कड़े बदलाव – भारतीयों की बढ़ेगी चिंता

Oct 10, 2025 - 09:14
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H-1B वीजा पर फिर मंडराया खतरा, ट्रंप प्रशासन कर सकता है कड़े बदलाव – भारतीयों की बढ़ेगी चिंता

नई दिल्ली

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन फिर से H-1B वीजा के नियमों में बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है. ये वीजा खासतौर पर भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स और विद्यार्थियों के लिए बेहद अहम होते हैं, क्योंकि इसी से अमेरिका में काम करने और आगे चलकर ग्रीन कार्ड पाने का रास्ता बनता है. लेकिन अब अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने ‘रिफॉर्मिंग द H-1B वीजा नॉन इमिग्रेंट वीजा प्रोग्राम’ नाम से एक नया प्रस्ताव जारी किया है. इसमें सिर्फ 1 लाख डॉलर की नई फीस ही नहीं, बल्कि कई सख्त बदलाव भी शामिल हैं- जैसे कौन सी कंपनी यह वीजा इस्तेमाल कर सकती है, कौन से पदों के लिए आवेदन मान्य होंगे और थर्ड पार्टी कंपनियों की निगरानी बढ़ाई जाएगी.

क्या है नया प्रस्ताव?

नए नियमों के तहत H-1B वीजा के चयन में अब ‘वेतन आधारित प्रणाली’ (Wage-Based Selection) लागू करने की योजना है. यानी जिन लोगों को ज्यादा वेतन मिलेगा, उन्हें प्राथमिकता दी जाएगी. अब तक यह चयन पूरी तरह लॉटरी सिस्टम पर आधारित था. DHS का कहना है कि इन बदलावों का मकसद है ‘अमेरिकी मजदूरों के हितों की रक्षा करना और वीजा प्रक्रिया की पारदर्शिता बढ़ाना.’ अगर यह नियम लागू हुआ तो अमेरिका में काम करने की इच्छा रखने वाले छात्रों और कम एक्सपीरियंस वाले वर्किंग प्रोफेशनल्स को एंट्री मुश्किल हो जाएगी. साथ ही, सरकार उन कंपनियों पर कड़ी नजर रखेगी जिन्होंने पहले वीजा नियमों का उल्लंघन किया है.

च-1बी वीजा कैटिगरी की शुरुआत 1990 के इमिग्रेशन ऐक्ट के तहत की गई थी। इसके तहत यह प्रावधान किया गया था कि अमेरिकी कंपनियां बाहर के लोगों को ला सकें, जिनके पास जरूरी तकनीकी स्किल हो। इसी नियम के चलते बड़े पैमाने पर भारतीयों को अमेरिका में जाने का मौका मिला। खासतौर पर अमेरिकी टेक कंपनियों में भारतीय की बड़ी संख्या है। अब तक नियम था कि 65 हजार एच-1बी वीजा ही साल में जारी किए जा सकते थे। इसके अलावा 20 हजार ऐसे लोगों को भी छूट थी, जिन्होंने अमेरिका की किसी यूनिवर्सिटी से मास्टर्स की डिग्री ली हो। इसके अलावा कई यूनिवर्सिटी और गैर-लाभकारी संस्थानों को इससे छूट रही हो।

प्यू रिसर्च सेंटर की एक रिपोर्ट के अनुसार 2023 में एच-1 बी वीजा के तहत अमेरिका जाने वाले लोगों में तीन चौथाई भारतीय ही थे। 2012 से अब तक एच-1 बी वीजा हासिल करने वाले 60 फीसदी लोग कंप्यूटर से संबंधित नौकरियों में गए। इसके अलावा हेल्थ सेक्टर, बैंक, यूनिवर्सिटी और अन्य संस्थानों के लिए भी एच-1 बी वीजा जारी किए गए।

कब लागू होंगे नियम?

अभी यह प्रस्ताव फेडरल रजिस्टर में सार्वजनिक सुझावों के लिए रखा गया है. अगर सब कुछ तय समय पर हुआ तो दिसंबर 2025 तक यह नया नियम लागू हो सकता है. H-1B वीजा 1990 के इमीग्रेशन Act के तहत शुरू हुआ था ताकि अमेरिकी कंपनियां ऐसे कुशल लोगों को ला सकें जिनकी विशेषज्ञता अमेरिका में आसानी से नहीं मिलती. यही वजह है कि गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न जैसी कंपनियों में हजारों भारतीय इसी वीजा पर काम कर रहे हैं. अभी हर साल अमेरिका 65,000 H-1B वीजा जारी करता है, और 20,000 अतिरिक्त वीजा अमेरिकी यूनिवर्सिटी से मास्टर्स या उससे ऊपर की डिग्री धारकों को मिलते हैं. 2023 में मिले सभी H-1B वीजा में से करीब 75% भारतीय नागरिकों को मिले थे. ऐसे में यह कदम भारत के लिए भी बड़ी खबर है.

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