सोनप्रयाग-गौरीकुंड मार्ग पर भूस्खलन, केदारनाथ यात्रा तीन दिन के लिए ठप

Jul 30, 2025 - 12:14
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सोनप्रयाग-गौरीकुंड मार्ग पर भूस्खलन, केदारनाथ यात्रा तीन दिन के लिए ठप


रुद्रप्रयाग

सोनप्रयाग-गौरीकुंड पैदल मार्ग पर भारी भूस्खलन हुआ है, जिसके चलते केदारनाथ यात्रा पर ब्रेक लग गया है। मुनकटिया से करीब डेढ़ किमी आगे पहाड़ी का बड़ा हिस्सा ढहने से रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हो गया है। यहां दोनों तरफ से आवाजाही ठप हो गई है।

मौसम के ठीक होने पर आज सड़क बहाल होने की उम्मीद थी, लेकिन भारी भूस्खलन के चलते सोनप्रयाग-गौरीकुंड मार्ग बंद हो गया। हाईवे बंद होने पर पुलिस ने गौरीकुंड और सोनप्रयाग से दोतरफा आवाजाही को रोक दिया है। मंगलवार को शाम साढ़े छह बजे बारिश के बीच मुनकटिया से करीब डेढ़ किमी आगे ऊपरी तरफ चट्टान का बड़ा हिस्सा भरभराकर सड़क आ गिरा। उस दौरान हाईवे से वाहन नहीं गुजर रहे थे, अन्यथा नुकसान हो सकता था।

सोनप्रयाग कोतवाली प्रभारी राकेंद्र सिंह कठैत ने बताया कि बड़े-बड़े बोल्डर के साथ ही मलबा भी गिरा है, जिससे आवाजाही पूरी तरह से ठप हो गई है। इससे गौरीकुंड और सोनप्रयाग में यात्रियों को रोक दिया गया है। एनएच के अधिशासी अभियंता ओंकार नाथ पांडे ने बताया कि दो मशीनों की मदद से मलबा साफ करने का काम शुरू कर दिया गया है। रुक-रुककर होती बारिश और अंधेरे के चलते कार्य में दिक्कत हो रही है। मौसम ने साथ दिया तो बुधवार सुबह सात बजे तक हाईवे पर यातायात बहाल कर दिया जाएगा।

2000 श्रद्धालु गए केदारनाथ
मंगलवार को दिनभर हुई बारिश के बीच सोनप्रयाग से 2000 श्रद्धालु पैदल मार्ग से धाम रवाना हुए। वहीं दर्शन कर 1300 यात्री शाम 5 बजे तक सोनप्रयाग पहुंच गए थे। केदारनाथ में भी बारिश के बीच दर्शनों के लिए भक्तों का उत्साह चरम पर रहा। तड़के से हुई बारिश के बीच सुबह 6 बजे से सोनप्रयाग से श्रद्धालुओं को केदारनाथ के लिए रवाना किया गया। इस दौरान कई बार बारिश तेज भी हुई, जिसके चलते यात्रियों को रोका भी गया।

कोतवाली प्रभारी निरीक्षक राकेंद्र सिंह कठैत ने बताया कि शाम 5 बजे तक 2000 यात्रियों को केदारनाथ के लिए भेजा गया, जिसमें ज्यादातर केदारनाथ पहुंच गए थे। वहीं, बाबा केदार के दर्शन कर 1300 यात्री लौट चुके थे। उधर केदारनाथ में भी बारिश के बीच सुबह से भक्तों का उत्साह चरम पर रहा। दूसरी तरफ केदारनाथ में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा पुराण के पांचवें दिन कथावाचक आचार्य स्वयंवर प्रसाद सेमवाल ने श्रीकृष्ण जन्मलीला का वर्णन किया।

 

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