सिंधु नदी के पानी में कटौती से पाकिस्तान में फसलों की बुआई प्रभावित, सिंध-पंजाब में हाहाकार

नई दिल्ली
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान की ओर जाने वाले सिंधु नदी के पानी के बहाव में कटौती कर दी है। इससे पाकिस्तान के सिंध प्रांत में फसलों की बुआई पर असर पड़ रहा है। पानी की कमी से वहां के किसान परेशान हैं। भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित किया हुआ है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भी इस वक्त किसानों को मिलने वाले सिंधु के जल में पिछले साल के मुकाबले कमी देखी जा रही है। इस समय खरीफ की बुआई का समय है और अगर समय पर यह काम नहीं हो पाया तो फिर खेती पूरी तरह से चौपट होने की आशंका है।
पिछले साल के मुकाबले दोनों प्रांतों को मिला कम पानी
पाकिस्तान सरकार के इंडस रिवर सिस्टम अथॉरिटी (IRSA) की रिपोर्ट के अनुसार इस साल 16 जून को सिंधु नदी से सिंध प्रांत को 1.33 लाख क्यूसेक पानी मिला। पिछले साल इसी दिन 1.6 लाख क्यूसेक पानी मिला था। यानी यह लगभग 17% की कमी है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत को भी इस साल पिछली बार से थोड़ा कम पानी मिला है। इस साल उसे 1.26 लाख क्यूसेक पानी मिला है, जबकि पिछले साल 1.29 लाख क्यूसेक पानी मिला था। यह 2.25% की कमी है।
खरीफ फसलों की बुवाई पर पड़ा असर
इंडस वॉटर ट्रीटी के पूर्व आयुक्त और केंद्रीय जल आयोग के पूर्व प्रमुख एके बजाज ने पाकिस्तान में आए इस जल संकट को लेकर बात की.उनका कहना था कि पाकिस्तान में सिंधु नदी से जुड़ी नदियों और जलाशयों में पानी कम बचा है. इससे वहां के किसानों के सामने संकट पैदा हो गया है.पाकिस्तान में इन दिनों खरीफ फसलों की बुवाई चल रही है.ऐसे में पानी के संकट का असर खरीफ फसलों की बुवाई पर भी पड़ रहा है. मुश्किल यह है कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में मॉनसून जून के आखिरी में या जुलाई के पहले हफ्ते तक पहुंचता है. इसका मतलब यह हुआ कि अगले तीन हफ्ते में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में पानी का संकट और बड़ा हो सकता है.
भारत ने सिंधु जल समझौते को स्थगित करने के बाद पाकिस्तान से इंडस रिवर सिस्टम से जुड़ी नदियों के जलस्तर के बारे में जानकारी शेयर करना बंद कर दिया है. ऐसे में जब मॉनसून सीजन के दौरान इंडस रिवर सिस्टम से जुड़ी नदियों का जलस्तर बढ़ेगा तो इससे पाकिस्तान में बाढ़ का खतरा और बड़ा हो सकता है. ऐसे में पाकिस्तान को आपदा झेलनी पड़ सकती है.
भारत ने स्थगित किया सिंधु जल समझौता
भारत ने 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को स्थगित कर दिया था. भारत-पाकिस्तान ने यह संधि 1960 में की थी.इसके तहत सिंधु वाटर सिस्टम की तीन पूर्वी नदियों का पानी भारत इस्तेमाल कर सकता है. वहीं तीन पश्चिमी नदियों के पानी पर पाकिस्तान को अधिकार दिया गया था.
पाकिस्तानी नदियों-जलाशयों में खत्म होने लगा पानी
रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान में सिंधु नदी से जुड़ी नदियों और जलाशयों में कम पानी बचा है। खरीफ की फसलों की बुआई का समय है और ऐसे में पानी की कमी किसानों के लिए मुसीबत बन गई है। मानसून आने में अभी कम से कम दो हफ्ते बाकी हैं, इसलिए स्थिति और खराब हो सकती है। सिंधु जल संधि को निलंबित करने के बाद भारत ने पाकिस्तान को नदियों के जल स्तर की जानकारी देना भी बंद कर दिया है। इससे पाकिस्तान को बाढ़ की तैयारी करने में मुश्किल हो सकती है। अगर भारत में नदियों का जल स्तर बढ़ता है तो पाकिस्तान को बाढ़ से निपटने में परेशानी हो सकती है।
1960 में हुई भारत-पाकिस्तान सिंधु जल संधि क्या है
सिंधु जल संधि 1960 में हुई थी। यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच कई तनावों के बावजूद बनी रही। लेकिन, 22 अप्रैल को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने इसे निलंबित कर दिया। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे। विश्व बैंक ने इस संधि को कराने में मदद की थी। संधि के अनुसार, भारत को सिंधु नदी की तीन पूर्वी सहायक नदियों - रावी, ब्यास और सतलुज के जल पर पूरा अधिकार है। वहीं, पाकिस्तान को तीन पश्चिमी नदियों,सिंधु, झेलम और चिनाब से लगभग 135 मिलियन एकड़ फीट (MAF) पानी मिलता रहा है। ये सभी नदियां भारत से पाकिस्तान की ओर बहती हैं। पाकिस्तान ने संधि के निलंबन पर आपत्ति जताई है। लेकिन, भारत का कहना है कि 'खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।' मतलब, जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता, तब तक पानी साझा नहीं किया जा सकता।
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