सुधांशु त्रिवेदी ने कहा- आपातकाल के दौरान देश के चारों स्तंभों को कमजोर कर दिया गया था, विरोध करने वाले भेजे गए थे जेल

Jun 26, 2025 - 15:44
 0  6
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा- आपातकाल के दौरान देश के चारों स्तंभों को कमजोर कर दिया गया था, विरोध करने वाले भेजे गए थे जेल

इंदौर 
भाजपा के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सुधांशु त्रिवेदी ने कहा है कि भारत अनादि काल से लोकतंत्र परंपरा का संवाहक राष्ट्र रहा है, मगर पांच दशक पहले ऐसा काल आया था जो सबसे दुखद, दर्दांत और कलंकित अध्याय था। उस दौर में जिसने विरोध किया उसे जेल में डाला गया था। आपातकाल के 50 वर्ष पूरे हो जाने के उपलक्ष्य में देश भर में भाजपा द्वारा अलग-अलग तरह के कार्यक्रम किए जा रहे हैं इसी कड़ी में भाजपा के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने इंदौर में संवाददाताओं से बात की। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान देश के चारों स्तंभों को कमजोर कर दिया गया था और उस समय जो लोग इस आपातकाल का विरोध करते थे, तो उन्हें जेल के सलाखों के पीछे पहुंचा दिया जाता था।
उन्होंने आगे कहा कि भारत में राजनीतिक चेतना का उद्भव जेपी आंदोलन के बाद हुआ और नवनिर्माण आंदोलन गुजरात में शुरू हुआ था, जिसने देश के राजनीतिक पटल को ही बदल दिया। आपातकाल का असर यह है कि कांग्रेस कई राज्यों में 1977 के बाद सत्ता में नहीं आ पाई है। देश की स्वतंत्रता के बाद सांस्कृतिक चेतना का उद्भव 1990 के दशक में राममंदिर आंदोलन के बाद देखा गया। वैचारिक स्वतंत्रता की लड़ाई तो अब भी जारी है । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि यह अमृतकाल है कि इसमें गुलामी की मानसिकता से अपने को मुक्त करना है।
उन्होंने कहा कि आपातकाल से हमें वास्तविक राजनीतिक लोकतंत्र मिला था फिर सांस्कृतिक लोकतंत्र हमें बीसवीं शताब्दी के अंत में मिला और वैचारिक लोकतंत्र के लिए अभी भी संघर्ष जारी है। इसलिए लोकतंत्र की रक्षा का संकल्प लेते हुए और यह सुनिश्चित करते हुए बाबासाहेब अंबेडकर ने जिस संविधान की रचना की, जो हमारी परंपरा है, उसके अनुसार लोकतंत्र इतना मजबूत होना चाहिए कि ऐसे विचार के बारे में सोच भी नहीं सके। भाजपा और एनडीए इसे चरितार्थ कर रहा है।
उन्होने आगे कहा कि विरोधी दल के नेताओं को भाजपा की सरकार ने सम्मान दिया है, जिसने भी इस देश के लिए योगदान दिया है। यह इस बात का प्रमाण है कि लोकतंत्र में वैचारिक विभेद के बाद भी हम देश के लिए योगदान देने वाले के साथ कैसे खड़े होते है। यह लोकतांत्रिक भावना है।
ईरान और इजरायल युद्ध को लेकर आए बयानों पर राज्यसभा सदस्य त्रिवेदी ने कहा कि सोनिया गांधी के नेतृत्व में चलने वाली सरकार के दौरान ईरान का विरोध किया था। इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति को वोट बैंक के तराजू पर तौलना नहीं चाहिए।

What's Your Reaction?

Like Like 0
Dislike Dislike 0
Love Love 0
Funny Funny 0
Angry Angry 0
Sad Sad 0
Wow Wow 0