बिहार मॉडल बना उदाहरण, अब पश्चिम बंगाल में SIR पर राहत की तैयारी

Oct 16, 2025 - 08:14
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बिहार मॉडल बना उदाहरण, अब पश्चिम बंगाल में SIR पर राहत की तैयारी

नई दिल्ली

बिहार में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर उठे विवादों और कानूनी चुनौतियों के बाद, चुनाव आयोग (EC) अब इस प्रक्रिया में बड़े बदलाव करने जा रहा है। इसका उद्देश्य मतदाताओं की परेशानियों को कम करना और प्रक्रिया को मतदाता अनुकूल बनाना है। बिहार में SIR के दौरान दस्तावेजों की जटिल मांग, फॉर्म न भरने पर नामों की बड़ी संख्या में हटाई गई प्रविष्टियां (डिलीशन) और बहुत कम समय सीमा जैसी समस्याओं को लेकर मतदाताओं में असंतोष था। अब आयोग इन तीनों बिंदुओं पर लचीलापन लाने की योजना बना रहा है।

दस्तावेजों की अनिवार्यता में ढील

बिहार में पहली बार हर मतदाता से नए दस्तावेजों की मांग की गई थी, जिससे लोगों में भ्रम और तनाव फैला। अब आयोग इस नीति में बदलाव पर विचार कर रहा है ताकि कम से कम मतदाताओं को दस्तावेज जमा करने पड़ें। राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) पुराने रजिस्टरों और पारिवारिक लिंक के आधार पर ऐसे मतदाताओं की पहचान कर रहे हैं जिनसे नए सिरे से प्रमाण पत्र नहीं मांगे जाएंगे।

फॉर्म न भरने पर नाम हटाने की नीति में बदलाव

बिहार में इस साल SIR के दौरान करीब 65 लाख नाम ड्राफ्ट वोटर लिस्ट से हटा दिए गए थे इनमें मृतक, स्थानांतरित व्यक्ति और वे लोग शामिल थे जिन्होंने एन्यूमरेशन फॉर्म या दस्तावेज जमा नहीं किए। यह प्रक्रिया पहले के रिवीजन की तुलना में असामान्य थी। अब आयोग विचार कर रहा है कि ड्राफ्ट सूची से नाम न हटाए जाएं, बल्कि हर मतदाता को अंतिम सूची प्रकाशित होने से पहले फिर से शामिल होने का अवसर दिया जाए।

समय सीमा बढ़ाने पर विचार

बिहार में SIR प्रक्रिया तीन महीने तक चली। 25 जून से एक महीने तक एन्यूमरेशन, फिर 30 दिन में वेरिफिकेशन, और 30 सितंबर को अंतिम सूची जारी की गई। यह कार्यक्रम विधानसभा चुनावों की घोषणा से सिर्फ छह दिन पहले पूरा हुआ। इस तंग समय सीमा ने मतदाताओं और सरकारी कर्मचारियों दोनों पर बेहद दबाव डाला। अब आयोग मानता है कि इतनी कठोर समय सीमा, वह भी चुनाव से ठीक पहले, व्यावहारिक नहीं है। इसलिए भविष्य के SIR में अवधि बढ़ाने का फैसला लिया जा सकता है।

बंगाल, तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी में होंगे SIR

चुनाव आयोग के पास अगले SIR के लिए ज्यादा समय नहीं है। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुडुचेरी में मई 2026 तक नई विधानसभा बननी है। आयोग आम तौर पर फरवरी के अंत तक चुनाव कार्यक्रम घोषित करता है, इसलिए दीपावली के तुरंत बाद इन राज्यों में SIR की घोषणा की संभावना है।

हाल ही में बाढ़ या मौसम की विपरीत परिस्थितियों से प्रभावित राज्य तथा वे राज्य जहां स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं, उनमें SIR को अगले चरण में आयोजित किया जाएगा।

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